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krishna sharma
#5LinePoetry कविता का शीर्षक: आज का मानव लेखक: कृष्ण गोपाल शर्मा स्वरचित क्या हुआ आज के इंसा को जो सत्य ना बोला करते हैं है तिमिर अंधेरा जीवन पर इत उत डोला करते हैं हाथों पर बनी लकीरों में तकदीरे ढूंढा करते हैं लालच ही लालच भरा हुआ ना कर्म कोई वह करते हैं ना मानवता है इनमें अब ना कोई भाईचारा है छल कपट झूठ है भरा हुआ इनका बस यही सहारा है ऐसे तो जीवन ना चलता कोई तो इनको समझाए इस अंधकारमय जीवन में कोई तो दीप जला जाए तिनके का मात्र सहारा ही इनमें आशा भर सकता है कोई एक दीप ही इन सब का अंधकार हर सकता है मैं कब कहता हूं इंशां को कि तुम कोई भगवान बनो कुछ ना बन सकते हो गर तो एक अच्छे इंसान बनो कृष्णा हर इंसान को नजरों से तोला करते हैं क्या हुआ आज के इंसान को जो सत्य ना बोला करते हैं है तिमिर अंधेरा जीवन पर इत उत डोला करते हैं ©Krishan Gopal sharma आज का मानव #आज का मानव
Ek villain
संकर्षण ने भड़काऊ बयानों पर अखतर दौर आया है रवैया शिव से लेकर अपने आलेख में उचित ही कहा है कि भड़काऊ बयानों पर तंत्र की अनदेखी से समुदाय का नमन बढ़ती है जिससे समाज को भारी क्षति उठानी पड़ती है इसमें खास बात यही है कि तंत्र का एक रवैया आजादी के बाद से बढ़ता गया है समय-समय पर देश के खिलाफ आवाजें भी उड़ती रही है लेकिन मजबूती शासन प्रशासन तंत्र एकपक्षीय झुकाव हमेशा राय विश्वविद्यालयों में हिंदू देवी देवताओं पवित्र ग्रंथों रामायण महाभारत और गीत को लेकर अभद्र 80 जनक kalpana-1 बातों को साजिश साहित्य आजादी के नाम पर बढ़ाया गया है भाई ऐसी आजादी जो की तिथि आत्मक रही हो उसका समुदाय विशेष की कट्टरता की करण दबोचा गया यदि लोकतंत्र में किसी भी विषय पर चर्चा नहीं हो सकती तो क्या तानाशाह में होगी जबकि यह न्यायालय श्री राम के स्वरूप को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस के आग्रह को स्वीकार करने का तत्पर दिखाता है इसी कारण लोकतंत्र पर विस्तार खतरा मंडरा रहा है ना कि अभिव्यक्ति की तर्कपूर्ण देनी है लेकिन सही कहा है कि कोई भी अपने धर्म जाति संप्रदाय के लिए अधिकार नहीं ले सकता जो वह दूसरों को ना चाहे ©Ek villain #तंत्र का एक पक्षीय झुकाव #friends
Anshu writer
है प्यार का मानवता से कैसा नाता कीमत रिश्तों की जानता है भूख की आग बुझाने को केवल दो रोटी मागता हैं मुश्किल है सफर बिना प्यार के काटना यही एहसास दिल में दर्द की पीड़ा को जन्म दे पाता है मानव का एहसास
Ajit Kumar
जीओ और जीने दो यही जीवन का सत्य मानवता है। जय हिंद ©Ajit Kumar मानव का कर्तव्य
teri yaad
मानव हृदय एक रहस्मय वस्तु है। कभी कभी लाखो की ओर आखें उठा कर नही देखता और कभी कभी कोड़ियो पर फिसल करता है। ©teri yaad मानव का स्वभाव
Pradyumn awsthi
एक सज्जन इंसान के लिए उसका आत्म सम्मान, इज्जत और चरित्र ही सबसे बड़ा धन होता है ©"pradyuman awasthi" #मानव का सर्वोपरि धन
Pradyumn awsthi
इंसान ,प्रकृति और पशु पक्षियों का आपस में गहरा और घनिष्ठ संबंध होता है । प्रकृति और पशु पक्षी तो इंसानों को अपना मित्र मानते हैं लेकिन इंसान प्रकृति और पशु पक्षियों को अपना मित्र हरकिज नहीं समझता है ,इंसान तो केवल अपने स्वार्थ मात्र के लिए प्रकृति एवम पशु पक्षियों पर अपने मनमाने ढंग से अनेक जुल्म करता रहता है। जबकि सबसे बड़ी बात तो यह है की यदि पूरी धरती पर चींटी से लेकर हाथी तक एक भी पशु पक्षी कम हो गया तो पूरी धरती का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाएगा और धरती को भारी हानि पहुंचेगी लेकिन इंसान इन सब बातों के बारे में कहां सोचता है उसको तो बस अपने स्वार्थ ,मतलब की ही भूख लगी रहती है और ये भूख कभी शांत ही नहीं होती है ©"pradyuman awasthi" #गंभीर सत्य ,मानव का
Pradyumn awsthi
इंसान चाहे कितना भी अमीर, संपन्न और बड़ा बन जाए लेकिन वह अपने शिर से अपने माता-पिता और गुरुजनों का ऋण कभी नहीं उतार सकता विशेष रुप से अपनी मां के दूध कारण ऋण तो कभी भी नहीं चुका सकता लेकिन माता पिता के बुढ़ापे में सहारा बनकर और पूरे तन, मन से उनकी सेवा करने से बड़ा कर्म और धर्म दुनिया में नहीं है ©"pradyuman awasthi" #मानव का धर्म और कर्म