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CK JOHNY
बाहर से कान बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं ऐनक के साथ मास्क का भी भार उठा रहे हैं। अंदर से कान अभी भी लापरवाह हैं जूँ तक रेंगती नहीं सुनते नहीं किसी की आह हैं। निंदा बुरी लगती इन्हें बुरे लगते बड़ों गुरु के बोल गफलत की नींद से जागते नहीं लाख बजाओ ढोल। इन्हें तो झूठी तारीफ सुनने की ही चाह है कान के कच्चे लोग झूठे रिश्तों पे इतरा रहे हैं। बाहर से कान बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं ऐनक के साथ मास्क का भी भार उठा रहे हैं। बगल में छुरी मुख में राम राम गधे को बाप बना लें गर हो काम। वरना आँखों आगे देख के मुँह फेरें अच्छे अच्छों के कान कतर दें खबर हो न किसी को कानों कान। कान पकड़ो अंतर की बात सुनों देकर कान अफसोस हम सब किस दिशा में जा रहे हैं। बाहर से कान बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं ऐनक के साथ मास्क का भी भार उठा रहे हैं। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 06.08.2020 कान
अनंत पाटील
विषय-चित्र चारोळी/काव्य लेखन शीर्षक- कान श्रवण कानाचे सुंदर कार्य पण ऐकणारे कानी लागतात दुसऱ्याना कळू नये म्हणून इतरांचे कान फुकतात कान हे सापाप्रमाणेच विषारी एखाद्याला कानपिचक्या देतात यावर त्यांचे भागत नसते हितचिंतक म्हणून कान भरतात ऐकावे जनांचे करावे मनाचे पण आता लोकं उलटं करतात आपले सोडून परक्यावर जास्त विश्वास कारण ते हलक्या कानाचे असतात एखाद्याचे वाईट चिंतण्या दुर्जनांचा कानमंत्र घेतात सज्जनांनी कान उघडणी केली की , हेच लोक कानावर हात ठेवतात मला एवढेच सांगणे कानामागून येऊन कशाला तिखट व्हावे भिंतीला ही कान असतात एका कानी ऐकावे दुजा कानी सोडून द्यावे काही वाक्प्रचार कानी लागणे-चहाड्या करणे कान फुकणे- निंदा करणे कानपिचक्या देणे- दोष दाखवून समज देणे ऐकावे जनांचे करावे मनाचे- योग्य हिताचे करणे हलक्या कानाचे-खोटी गोष्ट खरी वाटणे कानमंत्र देणे-सल्ला देणे कान उघडणी करणे-स्पष्ट बोलणे कानामागून येऊन तिखट होणे-वरचढ होणे कानावर हात ठेवणे- माहीत नसणे भिंतीला कान असतात -सावधगिरी बाळगणे एका कानी ऐकावे दुजा कानी सोडून द्यावे- गरजेचे घेणे श्री अनंत पांडुरंग पाटील उमरोळी पालघर 8446819542 ©अनंत पाटील कान
Rakhi Yadav
जब तक आपका मन कैकई ना हो तब तक कोई भी मंथरा कान नहीं भर सकती हैंI ©Rakhi Yadav कान भरना....
Deepak Kumar 'Deep'
किसको दिखायें घाव यह दिलों के यह घाव घेेहरे बहुत हैं! संघर्ष जारी है और उस पर पेहरे बहुत हैं!! सुना हैे आजकल उनके कानों पर जूँ भी नहीं रेंगती! ये सरकारी कान हैं जो बहरे बहुत हैं!! #Deepak Kumar 'Deep' ©Deepak Kumar #सरकारी कान
somnath gawade
हलक्या कानाच्या मंडळींची वेळीच 'कान उघडणी' करून कान टोचावे. 😎🤣 #कान उघडणी
Baabar Azim
देखा हैं मैने हजार रंगो को, मगर जो आजकल चलन मे हैं, वो रंग ना देखा किसी गिरगिट पर मैने, और ना कभी ईन्द्रधनुस पर = "फरेबी रंग" कान का कच्चा
Rajesh Khanna
आंखे बुलाती है रातों में दिल उसके पास जाने की सोचता रहता है मैं उसे पाने की मेरे होंठ चूमने की और मेरे कान उसकी आवाज सुने के लिए तरस्ता रहता है ©Rajesh Khanna #HBDSonakshiSinha कान सुने