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Sarvesh Vaidh
Ratan Singh Champawat
हरि नाम से हेत कर, एक अलख अभिप्रेत । चेतन चित चिंतामणि, सुख मन से समवेत। हरि नाम से हेत कर, एक अलख अभिप्रेत । चेतन चित चिंतामणि, सुख मन से समवेत। ✍🏻✍🏻✍🏻 रतन सिंह चंपावत रचित #dilkideharise
Vikas Sharma Shivaaya'
मां काली एकाक्षरी मंत्र( मां चिंतामणि काली का विशेष मंत्र):- क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥ मां वैभव लक्ष्मी मंत्र:- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: यह वैभव लक्ष्मी का मंत्र है मां सरस्वती बीज मंत्र:- ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः। ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 166 से 176 नाम 166 वीरहा धर्म की रक्षा के लिए असुर योद्धाओं को मारते हैं 167 माधवः विद्या के पति 168 मधुः मधु (शहद) के समान प्रसन्नता उत्पन्न करने वाले 169 अतीन्द्रियः इन्द्रियों से परे 170 महामायः मायावियों के भी स्वामी 171 महोत्साहः जगत की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय के लिए तत्पर रहने वाले 172 महाबलः सर्वशक्तिमान 173 महाबुद्धिः सर्वबुद्धिमान 174 महावीर्यः संसार के उत्पत्ति की कारणरूप 175 महाशक्तिः अति महान शक्ति और सामर्थ्य के स्वामी 176 महाद्युतिः जिनकी बाह्य और अंतर दयुति (ज्योति) महान है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' मां काली एकाक्षरी मंत्र( मां चिंतामणि काली का विशेष मंत्र):- क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ
Rajesh Verma
मांगलिक हरिद्वार ©Rajesh Verma परमात्मा के जन्म वाचन पर गुरु भक्तो ने की महामांगलिक श्रवण By राजेश वर्मा राजगढ़ / हरिद्वार --- पर्युषण महापर्व आराधना के साथ अति प्राचीन सिद
Mysterious Girl
Divyanshu Pathak
लांगुरिया और जोगनिया (लोक-गीत और नृत्य) करौली,धौलपुर,भरतपुर और आगरा ------------------------------------------------ जोगनिया-01 ओ.... रुठौ लांगुरिया.....तू काहे रुठौ लांगुरिया। है गई बेमौसम बरसात कि बादल फूटौ लांगुरिया। बादल फूटौ लांगुरिया कि बादल फूटौ लांगुरिया। खेत डूब रहे पेड़ टूटि रहे फसलि बहै नदि मांहि! बीच भँवर में बछड़ा रोबै अब कछु बचिहै नाहि। उल्टी चली ऋतु की चाल तू काहे रुठौ लांगुरिया। ओ.... रुठौ लांगुरिया.....तू काहे रुठौ लांगुरिया। लांगुरिया-02 ओ काहे जोगनिया तैने काहे जोगनिया? रूखी रूखी बात बनाबै मोसे काहे जोगनिया? अरे काहे जोगनिया बनाबै काहे जोगनिया! ज्वानी असर दिखबै तेरी सावन जेठ बतावै! हिय हमायो हरि कैं गोरी काहे तू बहकाबै। लियो पाल तैने मोह कौ बछड़ा काहे जोगनिया! ओ काहे जोगनिया तैने काहे जोगनिया? लांगुरिया और जोगनिया (लोक-गीत और नृत्य) करौली,धौलपुर,भरतपुर और आगरा ------------------------------------------------ जोगनिया-01 ओ.... रुठौ ल