मोती नही हुँ रेत का जर्रा तो में भी हुँ
ओ दरिया तेरे वुजूद का हिस्सा तो में भी हुँ
ए केहकहें बिखरने वाले तू खुश भी है
हंसने की बात छोड़ हंसता तो में भी हुँ
तैमूर हसन तैमूर तैमूर हसन तैमूर
तैमूर हसन तैमूर
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Dr. Alpana suhasini
कहानी --सहादत हसन मंटो
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Ayush kumar gautam
बहुत जालिम हो हसन तुम कहते हो हमारी सादगी पर मरते हो
तो फिर क्यूं होली में गालों पर मोहब्बत का रंग लगाने से बचते हो
रंग तुमने उडा़ये हजारों हमसे दूर रहकर
कहते हो इश्क तुम हमसे ही करते हो
आयुष कुमार गौतम बहचत जालिम हो हसन