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Surendra Sharma
White “बेमानी करके ईमानदारी मांगते हो, करके कामचोरी, रोजगार मांगते हो। क्रोध करके स्नेह मांगते हो, करते हो हिंसा और शांति मांगते हो। असत्य के व्यवहार में, सत्यता मांगते हो, व्यभिचार में रमे, चरित्र मांगते हो, असभ्य हो स्वयं और सभ्य बेटा मांगते हो। पेड़ काटकर छाया मांगते हो। प्रदूषण करके स्वच्छता मांगते हो, मिटाकर नदियों को, पानी मांगते हो। हवा दूषित करके साँसे मांगते हो, भोजन दूषित करके आरोग्यता मांगते हो। संस्कृति को मिटाकर, भारत मांगते हो, तकनीक के आदी! प्रकृति को मिटाकर जीवन मांगते हो। खुदको अविष्कारक समझने वाले, ईश्वर का प्रमाण मांगते हैं।” - प्रेम ©Surendra Sharma “बेमानी करके ईमानदारी मांगते हो, करके कामचोरी, रोजगार मांगते हो। क्रोध करके स्नेह मांगते हो, करते हो हिंसा और शांति मांगते हो। असत्य के व्यव
Shivkumar बेजुबान शायर
White { ∆ कड़क कविता किसी को पता नहीं है, लेकिन मैं इसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इस विचार को समझता हूं.. कम शब्दों में बहुत कुछ कहा जाता है ।। ∆ } मेँ भारत देश का रहने वाला हू हाथ में हर चीज़ आयताकार होनी चाहिए....!! ये बिजली कभी नहीं बचाएगी बील लेकिन माफ़ करें...!! मै कोई पेड़ नहीं लगाऊंगा बारिश लेकिन अच्छी...!! कभी शिकायत नहीं करूंगा लेकिन कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है....!! इन नेताओ का रिश्वत के बिना काम नहीं होगा लेकिन भ्रष्टाचार को ख़त्म होना ही चाहिए...!! मैं कचरा खिड़की से बाहर फेंक दूँगा लेकिन शहर में स्वच्छता की जरूरत है....!! मैं काम पर समय व्यतीत करूंगा लेकिन हर साल एक नये वेतन आयोग की जरूरत होती है....!! जाति के नाम पर रियायत मै लूंगा लेकिन यह मेरा देश धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए...!! मैं वोट देते समय जाऊंगा लेकिन ये जातिवाद बंद होना चाहिए...!! मैं इस टैक्स भरते समय उन कमियां ढूंढूंगा लेकिन ये विकास को पुरी मजबूती से ,होना या करना चाहिए....!! ©Shivkumar #VoteForIndia #Vote #चुनाव #मतदान #Politics { ∆ कड़क कविता किसी को पता नहीं है, लेकिन मैं इसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इस #विचार को
VoteForIndia Vote चुनाव मतदान Politics { ∆ कड़क कविता किसी को पता नहीं है, लेकिन मैं इसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इस विचार को
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