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Stories related to लिखी हुई बात का पर्यायवाची

Tripurari Pandey

सच्ची बात

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Unsplash किताबों के साथ - साथ
आंखों को भी पढ़ने का हुनर रखिए ।
क्योंकि चेहरे गुमराह कर सकती है मगर आँखें नहीं ।

©Tripurari Pandey सच्ची बात

Tripurari Pandey

सच्ची बात

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Unsplash आपके जो सबसे दिल के करीब लोग होंगे वो कोई गैर होंगे 
वहीं आपके जो सबसे दिल  के दूर के लोग होंगे वो कोई अपने होंगे ।

©Tripurari Pandey सच्ची बात

Tripurari Pandey

सच्ची बात

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Unsplash जिसके हिस्से में मां होती है 
उसके किस्से में सारा जहां होती है ।

©Tripurari Pandey सच्ची बात

F M POETRY

#ज़िन्दगी उलझी हुई.....

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Unsplash ज़िन्दगी उलझी हुई पहेली है..

कैसे हल होगी ये मालूम नहीं..



यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #ज़िन्दगी उलझी हुई.....

Parasram Arora

रुकी हुई साँसे

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White हवाए तों अभी भी
 अपनी शालीन गति 
से बह रहीं है 
इसके बावजूद उसकी
 साँसे  रुकी हुई दिख रहीं है 

हो सकता है वो 
आदमी इतने लम्बे अर्से 
से साँसे लेते  लेते थक
 गया हो और अब वो 
एक लम्बी नींद लेकर 
 अपनी उस थकान 
को विश्रान  देने की कोशिश कर रहा हो

©Parasram Arora रुकी हुई साँसे

neelu

#sad_quotes #बात का है

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White चक्रव्यूह चाहे चिंताओं का हो
 चक्रव्यूह चाहे विचारों का हो 
चक्रव्यूह चाहे किसी भी...बात का है
अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह को 
तोड़ने का स1हस दिखाइए

©neelu #sad_quotes #बात का है

neelu

White होने में सिर्फ दो लोग शामिल होते हैं
नहीं होने में चार लोग शामिल होते हैं
यह क्या बात हुई

©neelu #sad_quotes #यही_तो_ज़िंदगी_है  #क्या_कहेंगे_लोग  #बात_बस_इतनी_सी_है  हुई

neelu

White अपने आप को मुक्ति दीजिए 
थोड़ी सी चिंता से ...
और किस किस बात से देना चाहते हैं
 आप खुद को मुक्ति

©neelu #love_shayari #बात

Anjali Singhal

"इलाज क्या करना लफ़्ज़ों के घाव का! मुँह तोड़ जबाव दे दिया करो ताने कसती हुई हर बात का!!" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto

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Shashi Bhushan Mishra

#बे-दखल चाहत हुई है#

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बे-दखल चाहत हुई है,
भावना  आहत  हुई है,

प्रेम का मरहम लगाया,
तब कहीं राहत  हुई है,

बेवज़ह  बेचैन  हो मन,
समझ लो उल्फ़त हुई है,

देखता  हरबार मुड़कर,
जब कोई आहट हुई है,

ध्यान में  बैठे हो जबसे,
फिर कहां फ़ुर्सत हुई है,

हो मनोरथ सिद्ध अपना,
ऐसी कब किस्मत हुई है,

मुस्कुराकर  भूल जाना,
अपनी तो आदत हुई है,

याद तड़पाती है 'गुंजन',
घर   गये   मुद्दत  हुई है,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
     प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #बे-दखल चाहत हुई है#
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