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Inner voice of srishti

अभागन #story

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Pradyumn awsthi

#चिंता, बड़ी अभागनी है #विचार

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चिंता से चतुराई घटे, 
घटे रूप और ज्ञान
चिंता बड़ी अभागनी है
 ,चिंता है चिता समान

©"pradyuman awasthi" #चिंता, बड़ी अभागनी है

Arpna Bharti

मैं अभागन😞

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22'Mar,2020 तक,
मैं अपने आपको बहुत खुशकिस्मत समझती थी।
दादा दादी का हाथ,
अपने सिर पर महसूस करती थी।
सबकुछ था सही सही,
फिर आयी वो मनहूस घड़ी।
चले गए दादा हम सबका साथ छोड़कर,
छोड़ गए दादी को अपने सारे ज़िमेदारी सौंप कर।
अब सारा भार था दादी के ऊपर,
पुरे परिवार का अस था उनपर।
अब आया था 4'Oct,2021 का दिन,
सोचा नहीं था कि इतनी जल्दी आएगा ये दिन,
सोचा नहीं था इतनी जल्दी चले जाएगी दादी भी।
अब मैं भी थी वो अभागी,
अब मैं भी हूँ बिना दादा दादी की पोती।  मैं अभागन😞

Abhijeet Yadav

कहते है कि, नारी उद्धार बिना ये जग कैसे होगा उत्तम, क्या नारी अभागन न थी, जब थे मर्यादा पुरुषोत्तम।। #दशहरा #हिंदी #oneliner #shayri

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Happy Dussehra  कहते है कि, नारी उद्धार बिना ये जग कैसे होगा उत्तम,
क्या नारी अभागन न थी, जब थे मर्यादा पुरुषोत्तम।। कहते है कि, नारी उद्धार बिना ये जग कैसे होगा उत्तम,
क्या नारी अभागन न थी, जब थे मर्यादा पुरुषोत्तम।। #दशहरा #हिंदी #oneliner #shayri

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

देशभक्ति या भक्ति भाव पर लिखी रचनाओं को बड़े सम्मान से देखा जाता है। कुछ कवियों के लिए तो प्रेम पर लिखना भी पाप है उनके लिए हैं यह कलंकित कवि #Poetry #कविता

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एक अभागन कविता हूं मैं।

रसिक हृदय की जली त्रिवेणी
संगम सी ही पविता हूँ मैं।।
नेह स्पर्श से हुई कलंकित 
एक अभागन कविता हूँ मैं।।

गौरव गीत नही वीरों का
गर्वित होकर जिसको गाओ
वंचित भक्ति भाव से कथनी
ईश्वर को जिस से हर्षाओ
आहत हिय क्रंदन से उपजी
क्षुब्ध कलम की द्रविता हूँ मैं।
एक अभागन कविता हूँ मैं।।

खड़ी अलंकृत धूमिल काया
श्रेष्ठ ज्ञानियों की पंगत में
गंध नही करुणामय किंचित
सर्पों सा मलयज संगत में
भटके प्रेम पथिक की दुर्बल
अभिव्यक्ति की भविता हूँ मैं।
एक अभागन कविता हूँ मैं।।

घोर तिमिर का ले अवगुंठन
डूब रही दुख के सागर में
तानों का अम्बार सँजोती
रिक्त भाग्य की हठ गागर में
भोर प्रतिक्षा में वर्षों से
परित्यक्ता सी सविता हूँ मैं।
एक अभागन कविता हूँ मैं।।

©Ankur Raaz देशभक्ति या भक्ति भाव पर लिखी रचनाओं को बड़े सम्मान से देखा जाता है। कुछ कवियों के लिए तो प्रेम पर लिखना भी पाप है उनके लिए हैं यह कलंकित कवि

Ratan Singh Champawat

#dilkideharise छप्पय पट घ़ूँघट के खोल, पिया से मिलना होई। अवसर जाय अमोल, तू मोह नींद में सोई। सांचा कर सिंगार, त्याग दे कंचन काया घट में

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पट घ़ूंघट के खोल, पिया से मिलना होई।
अवसर जाय अमोल, तूँ मोह नींद में सोई।
सांचा कर सिंगार,  त्याग दे कंचन काया
घट में उपजे ज्ञान, शरण ब्रह्म के आया
जाग अभागन जाग अब,  जगत की झूठी आसा।
सुरतां तज संसार अर,चलो पिवजी के पासा।
♥️अनुभूति के आंगन से ♥️ #dilkideharise 

छप्पय

पट घ़ूँघट के खोल, पिया से मिलना होई।
अवसर जाय अमोल, तू मोह नींद में सोई।
सांचा कर सिंगार,  त्याग दे कंचन काया
घट में

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

देख रहा हूँ बाट मृत्यु की होकर मैं मजबूर , जीवन से अब हार गया हूँ मैं बेबस मजदूर ,, राह नहीं अब किधर चलूँ मैं मैं अब थक कर चूर , पग पग पै #कविता #zindgi

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देख रहा हूँ बाट मृत्यु की 
होकर मैं मजबूर ,
जीवन से अब हार गया हूँ 
मैं बेबस मजदूर ,,

राह नहीं अब किधर चलूँ मैं
मैं अब थक कर चूर ,
पग पग पैरों में शूल चुभे 
नैनों में है भूर ,,

जाओ कह दो उनसे जाकर
वो मस्ती में चूर 
धूल हूँ मैं एक गर्द हवा
मैं न हूँ कोहिनूर ,,

घर में जिसके चाँदी चमके
माँग उसी सिंदूर ,
मैं अभागन इसी दुनिया में
देखो तुम भरपूर ,,

देख रहा हूँ बाट मृत्यु की
होकर मैं मजबूर .......महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR देख रहा हूँ बाट मृत्यु की 
होकर मैं मजबूर ,
जीवन से अब हार गया हूँ 
मैं बेबस मजदूर ,,

राह नहीं अब किधर चलूँ मैं
मैं अब थक कर चूर ,
पग पग पै

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

**मैं बेबस मजदूर ** देख रहा हूँ बाट मृत्यु की होकर मैं मजबूर , जीवन से मैं हार गया हूँ मैं बेबस मजदूर ,, राह नहीं अब किधर चलूँ मैं

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देख रहा हूँ बाट मृत्यु की 
होकर मैं मजबूर ,
जीवन से मैं हार गया हूँ 
मैं बेबस मजदूर ,,

राह नहीं अब किधर चलूँ मैं
मैं अब थक कर चूर ,
पग पग पैरों में शूल चुभे 
नैनों में है भूर ,,

जाओ कह दो उनसे जाकर
वो मस्ती में चूर 
धूल हूँ मैं एक गर्द हवा
मैं न हूँ कोहिनूर ,,

घर में जिसके चाँदी चमके
माँग उसी सिंदूर ,
मैं अभागन इसी दुनिया में
देखो तुम भरपूर ,,

देख रहा हूँ बाट मृत्यु की
होकर मैं मजबूर ......
*##डियर कॉमरेड##*

©Ankur Mishra **मैं बेबस मजदूर **

देख रहा हूँ बाट मृत्यु की 
होकर मैं मजबूर ,
जीवन से मैं हार गया हूँ 
मैं बेबस मजदूर ,,

राह नहीं अब किधर चलूँ मैं

Thakur Akhilesh

मेरी नज्म का एक हिस्सा आप सब को समर्पित है। दुशमन की सरहद पे अब ज्यादती है,घायल परेशान मां भारती है। मगर वो अभागन सी होके यहाँ पर, नूरे-ए

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मेरी  नज्म का एक हिस्सा आप सब को समर्पित है।

दुशमन की सरहद पे अब ज्यादती है,घायल परेशान मां भारती है।
मगर वो अभागन सी होके यहाँ पर, नूरे-ए

अपनी कलम से

भाग -13 एक बाप ने अपनी बेटी को कुछ इस कदर थी समझायी, मां ने भी प्यार से, परी के लिए हलुआ बनाकर लायी। देख बेटा, तुझे जरूरत नहीं परेशान होने #Poetry #India #Hindi #Like #share #Support #poem #kavita #कविता #kisse #Comment

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एक बाप ने अपनी बेटी को कुछ इस कदर थी समझायी,
मां ने भी प्यार से, परी के लिए हलुआ बनाकर लायी।
देख बेटा, तुझे जरूरत नहीं परेशान होने की,
मैं हूं न, फिर तुझे क्या जरूरत अपने अरमान खोने की।
बेटा, बेटी होती है परायी धन, धन होती नहीं अपना,
एक दिन बिदा होना हीं है उसे, छोड़ जाती है घर अपना।
गर जवान बेटी हो घर में,  फिर भी सब दुत्कारतें हैं,
चलते -फिरते लोग भी, अभागन हीं पुकारते हैं।
फिर भी मेरी बिटिया रानी तो, लाखों में एक है,
तू चिंता मत कर, तेरे खातिर किए मेरे, हर कर्म नेक है।
तू खुश रहा कर, तेरे चेहरे पर मुस्कान देख, हिम्मत मुझमें आती है,
तू ऐसे रोया न कर, ऐसे रौंदे चेहरे तेरे, मुझे बिल्कुल नहीं भाती है।
बेटी मुस्कुरायी, और बोल उठी-
बता बापू, किसी के घर में बेटी होना कैसा अभिशाप है,
घर में सब परेशान से रहते हैं, भगवान का दिया कैसा ये शाप है?
अभी तू कितना परेशान है, ये देख रहीं हूं मैं,
एक बेटी के खुशियों के खातिर तू जो झेल रहा, सोच सकती हूं मैं।
मुझे पता है, मुस्कान मेरी बहोत हीं अच्छी लगती है तुम्हें,
पर मैं भी क्या करूं, तेरी परेशानी देख परेशान हो जाती हूं मैं।
तू क्या सोचता है, खुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
खुश रहती मैं भी, जब तेरे चेहरे पर खुशी होती,
पर तू तो परेशान है, सामने तेरी परेशानी हमेशा है झलकती।
कितनी अभागन हूं मैं, तेरी खुशियां तक छीन ली,
तू भी क्या सोचता होगा बापू, मैने दर्द तुम्हे कितनी दी।
देख बापू, मुझे पता है, तू सहता है, अपने सारे दर्द छुपाता है,
चाहे कुछ भी हो जाए, अपने दिल में दफन कर, किसी से कुछ नहीं बताता है,
लाख अरचनें भी आ जाए, तू फिर भी मुस्कुराता है,
कैसा तेरा दिल है, सोच हीं सहम जाती हूं मैं, पर तू फिर भी नहीं घबराता है।
फिर क्या......

©dashing raaz भाग -13

एक बाप ने अपनी बेटी को कुछ इस कदर थी समझायी,
मां ने भी प्यार से, परी के लिए हलुआ बनाकर लायी।
देख बेटा, तुझे जरूरत नहीं परेशान होने
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