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Devesh Dixit
सत्ता (दोहे) सत्ताधारी जो बना, डोल गया ईमान। जेबें सब अपनी भरें, दिखलाते वो शान।। सत्ता ऐसा है नशा, हो जाते सब चूर। मदिरा में भी डूबते, और लक्ष्य से दूर।। सत्ता नेता को मिले, है उसका अधिकार। सही समय पर काम हो, दिखे नहीं आसार।। सत्ता की ये लालसा, करती जो गुमराह। भटक रहे वे राह से, मिले नहीं है थाह।। सत्ता की इस भूख ने, जीवन दिया बिखेर। दल दल में ऐसे फसे, हो जाते फिर ढेर।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #सत्ता #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi सत्ता (दोहे) सत्ताधारी जो बना, डोल गया ईमान। जेबें सब अपनी भरें, दिखलाते वो शान।। सत्ता ऐसा
Kalpana Uriya
बच्चे का नाम बचपन मे सोच समझ कर रखा नही जाता हैं।इंसान का आसार नाम पे पड़ता हैं। ©Kalpana Uriya नाम का आसार ♥️♥️♥️
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Blue Moon तुम्हारी नियत में खुदा के *अहकाम नजर नहीं आते बखूदा इसलिए हम तुम्हें नज़र नहीं आते//१ सच में बईमानो की यही एक ख़राबी है*मिजान _ए _अदल के इन्हे मंजर नजर नहीं आते//२ जिनको फिक्र नहीं अपने अंजाम_ए-हश्र की, उनको*दोजख ए दहर नजर नहीं आते//३ *चश्म ए हासिद से अपनी*मसर्रतें बचाके रखना ,मासूमों को नजारे*सहर के नजर नहीं आते//४ *मिजाने_विरासत*दस्त में थामना हरेक के बस की बात नहीं,ये और बात है वालिदेन में भी थामने के आसार नजर नहीं आते // "शमा"एहकाम ए खुदा पर वही चलते है,जिन्हे खौफ ए खुदा हो,के *मुनाफिकों को खुदा के *रहबर नजर नहीं आते//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #bluemoon तुम्हारी नियत में खुदा के *अहकाम नजर नहीं आते बखूदा इसलिए हम तुम्हें बशर नज़र नहीं आते//१ *निर्देश,फरमान सच में बईमानो की यही एक
Devesh Dixit
खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों ने तोड़ी कमर, बना हुआ नासूर। जीवन यह बद्तर लगे, कैसा यह दस्तूर।। दिन प्रतिदिन कीमत बढ़े, खर्चों का विस्तार। जिन्हें नौकरी है नहीं, माने दिल से हार।। खुद को भी पीड़ित करें, कुछ औरों को जान। लूट करें वे शान से, बनते हैं नादान।। खर्चों के वश में सभी, कुछ करते तकरार। जीवन में उलझन बढ़े, घटना के आसार।। यही विवश्ता तोड़ती, अपनों के संबंध। प्रेम भाव से दूर हैं, आती है दुर्गंध।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #खर्च #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry खर्च (दोहे) खर्चों की सीमा नहीं, ऐसा है यह दौर। कहते हैं सज्जन सभी, करना इस पर गौर।। खर्चों