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Himanshu Prajapati
Unsplash पसंद है सबको गोरे गोरे गाल, नागिन से लहराते काले काले बाल, प्रेमिका से पूछे गए हर छोटे-बड़े सवाल, बस ऐसे ही शुभकामनाएं पसंद आए ये नया साल...! ©Himanshu Prajapati #snow पसंद है सबको गोरे गोरे गाल, नागिन से लहराते काले काले बाल, प्रेमिका से पूछे गए हर छोटे-बड़े सवाल, बस ऐसे ही शुभकामनाएं पसंद आए ये नया
#snow पसंद है सबको गोरे गोरे गाल, नागिन से लहराते काले काले बाल, प्रेमिका से पूछे गए हर छोटे-बड़े सवाल, बस ऐसे ही शुभकामनाएं पसंद आए ये नया
read moregaTTubaba
Unsplash वाकई में तुम बेमिसाल हो ? या फिर ये गलतफहमी हैं क्या सच में भगवान मिल गया हैं या फिर ये गलतफहमी हैं ? यकीन को यकीन पर इतना यकीन क्यों हैं या फिर ये गलतफहमी हैं कितनी खूबसूरत हैं चाहे फिर भी अगर ये गलतफहमी हैं ©gaTTubaba #lovelife वाकई में तुम बेमिसाल हो ? या फिर ये गलतफहमी हैं क्या सच में भगवान मिल गया हैं या फिर ये गलतफहमी हैं ?
#lovelife वाकई में तुम बेमिसाल हो ? या फिर ये गलतफहमी हैं क्या सच में भगवान मिल गया हैं या फिर ये गलतफहमी हैं ?
read moreUrmeela Raikwar (parihar)
White रोशनी भी कम होने लगी, पर देख अब आस और बड़ने लगी, ये रोशनी फिर आएगी, तुम भी लौट आओगे ना? wrote by Urmee ki Diary ©Urmeela Raikwar (parihar) #sad_quotes लौट आओगे ना?
#sad_quotes लौट आओगे ना?
read moreUrmeela Raikwar (parihar)
White खड़ी तो आज भी हु मैं, कल तेरे साथ थीं, आज तेरे इंतजार मै, लौट आओ या ना आओ. wrote by Urmee ki Diary ©Urmeela Raikwar (parihar) #GoodNight लौट आओ या ना?
#GoodNight लौट आओ या ना?
read moreVinod Mishra
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी छाया है पूरा शहर,धुंध के आगोश में अफरातफरी का आलम है चेतती नही सरकारे दिल्ली आज फिर थमने के कगार पर है पाबंदिया के साये में पब्लिक है मगर प्रदूषण के बचाव में वाहनों से बसूली के फंड कहा पर है सब जिमेदारी का दामोदर पब्लिक पर है तो फिर रोल किया सरकारों का है इनकी बेतुकी हरकतो से दिल्ली आज दम तोड़ रही है बीमारियो की जद में बच्चों बुजुर्गों को ले रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Yaari दिल्ली आज फिर थमने के कगार पर है
#Yaari दिल्ली आज फिर थमने के कगार पर है
read moredr.rohit sarswati
White ( घर लौट चलूँ ) मन करता है छोड़ शहर की चका चौंद को घर अपने में लौट चलूँ ! मन करता है तोड़ नौकरी की जंजीरें इस शहर को तनहा छोड़ चलूँ । छोड़ चलूँ इस चँचल मन को इस शहर की भीड़ में रोता बिल्कता ! पीछे मुड़के ना देखूँ में चला जाउँ बस आगे बढ़ता । झुटी दिखावटी इस दुनिया से अब में नाता तोड़ चलूँ ! घर अपने मे लौट चलूँ घर अपने में लौट चलूँ । ©dr.rohit sarswati #घर लौट चलूँ
#घर लौट चलूँ
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