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Anjali Singhal
"एस.एस.वी.शिशु सदन रेलवे रोड हापुड़....शिक्षा का मंदिर...हमारा स्कूल...जी हाँ...उस दौर में हमारे इस स्कूल को हापुड़ में सर्वोच्च स्थान प्राप
read moreSlumdog Entertainment
खेसारी लाल यादव के भोजपुरी फिल्म डंस का नोशन पोस्टर रिलीज #खेसारीलालयादव #डंस #मोशनपोस्टर #रिलीज
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
#Shaayari मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है,ये आंख रोने की शिद्दत से लाल थोड़ी है!! बस अपने वास्ते ही फ़िक़्रमंद हैं सब लोग,यहां किसी को किसी
read moreSlumdog Entertainment
संजय निरुपम के प्रचार में खेसारी लाल यादव के ठुमके पर झूमा उत्तर भारतीयों का जनसैलाब #sanjaynirupam #candidate #dindoshi #khesarilalyadav c
read moreKrishna G
Sumit
White किस लिए करती हो पूजा खुद तो कैमेरे में कैद तुम तो ख़ुद ही कैमेरे से भी ख़ूब-सूरत हो ©Ajay Pratap #Camera Puja सुशील यादव "सांँझ" दोस्त शायरी
#Camera Puja सुशील यादव "सांँझ" दोस्त शायरी
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} पहले कोई भी जाति नही थी, सबसे पहले 4 वर्ण थे, ये सब का काम के आधार पर निर्भर था, ये तो सनातन धर्म को तोड़ने की साज़िश रची गई, सादी विवाह के लिए हम सब ने अपने आप बाट लिया, जो काम करता था, वही जाती मानली, यह सरासर गलत है, धर्म व शास्त्र विरुद्ध हैं, यह व्यवस्था है, जाति नही है, सबका शरीर परम् पिता ने बिल्कुल एक सा बनाया है, और हम सदा से सर्वदा सनातन से हैं, आगे आप सब की बुद्धि व विचारधारा हैं, दोस किसी का नही, अब हर जाति व धर्म में विवाह हो रहे हैं, पूरी दुनिया का मालिक एक और हम सब उस मालिक के, सबका खून लाल, हा विधि, विकार, विचार, रहन-सहन, भाषा और बहुत कुछ अलग हो सकता है।। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #diwali_wishes {Bolo Ji Radhey Radhey} पहले कोई भी जाति नही थी, सबसे पहले 4 वर्ण थे, ये सब का काम के आधार पर निर्भर था, ये तो सनातन धर्म को
#diwali_wishes {Bolo Ji Radhey Radhey} पहले कोई भी जाति नही थी, सबसे पहले 4 वर्ण थे, ये सब का काम के आधार पर निर्भर था, ये तो सनातन धर्म को
read moreJayesh gulati
सोलह शृंगार । (Read in caption) ©Jayesh gulati *सोलह शृंगार* मैं नासमझ, कहां समझता था, किसी शृंगार को । वो जिसने किए मेरे लिए सोलह शृंगार ।। पहले पहना माथे उन्होंने, माँग–टिका । जैसे बा
*सोलह शृंगार* मैं नासमझ, कहां समझता था, किसी शृंगार को । वो जिसने किए मेरे लिए सोलह शृंगार ।। पहले पहना माथे उन्होंने, माँग–टिका । जैसे बा
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