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ashish gupta
#quotation #रंगबिरंगी हाथों में हाथ है तो बहुरंगी रात है तुम्हारा साथ है तो सतरंगी रात है जो तुम अगर मेरी बाहों में हो तो जन्नत के जैसी रंग बिरंगी रात है ©ashish gupta #quotation #रंगबिरंगी हाथों में हाथ है तो बहुरंगी रात है तुम्हारा साथ है तो सतरंगी रात है जो तुम अगर मेरी बाहों में हो तो जन्नत के जैसी र
vishnu prabhakar singh
वो लम्हें जो बीत गए बहुरंगी गुलाबों के संदेश थे सादगी से बढ़कर संघर्ष तक अशेष थे वसंत भी आया पतझड़ में क्लेश थे सुर्ख़ हुआ था हृदय स्याह कली के भी उद्देश्य थे काँटों भरे हथेलियों पर क्यारी के भी अवशेष थे जब गुलाबी हुआ था समय सुगंध के उपदेश थे वो जो लम्हें बीत गए विशेष थे। बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी। वो लम्हें जो बीत गए बहुरंगी गुलाबों के संदेश थे सादगी से बढ़कर संघर्ष तक अशेष थे वसंत भी आया पतझड़ में क्
Ashutosh Mishra
--दुनिया-- हे दुनिया बनने वाले,,,क्या तू भी पछतात है इस दुनिया को बना के। कभी तो तुझे भी हैरानी होती होगी, इस मनुष्य को बना के। छोटा सा दिल दिमाग, बड़े बड़े कारनामें कर रहा है। कोई चांद पर परचम लहरा रहा है, कोई जमीन पर की खाक छान रहा है। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #duniya से दुनिया के बनने वाले,,क्या तू भी पछताता है, इस दुनिया को बचाना के। कभी तो होती होगी हैरानी, इस मनुष्य को बना के। छोटा-सा दिल दिमा
रजनीश "स्वच्छंद"
कुछ तेरा था कुछ मेरा था।। धरती के टुकड़े का ये हिस्सा, कुछ तेरा था कुछ मेरा था। उदय अवसान का ये किस्सा, कुछ तेरा था कुछ मेरा था। सुबह की लाली लिए किरण, थी सार छुपाये कण कण में। पत्तों से झांक रही शर्मीली, अवतार छुपाये एक मन मे। एक नया सवेरा आने को, कुछ उत्सुक और बेचैन रहा। कुसुम कली डाली संग झूमे, बीत चला जो उनका रैन रहा। प्रखर भविष्य का ये किस्सा, कुछ तेरा था कुछ मेरा था। एक दिव्य स्वप्न जो देखा था, साकार हुआ सा लगता है। ये इंद्रधनुषी ये बहुरंगी, वृत्ताकार हुआ सा लगता है। धरती अम्बर का एक मिलन, देखो अनन्त में दिखता है। टूटे बन्धन करबद्ध वंदन, ये कवि अंत में लिखता है। आदि अंत का ये किस्सा, कुछ तेरा था कुछ मेरा था। एक बात कही जो पुरखों ने, हर रात की एक तो सुबह रही। आते जो देखी रश्मि किरण, अंधियारी भी देखो दुबक रही। ललक लिए अपने मन मे, नवजीवन का अवतार हुआ। अग्नि जल वायु धरा गगन, पंचतत्वों का मंत्रोच्चार हुआ। इन तत्वों का एक एक हिस्सा, कुछ तेरा था कुछ मेरा था। अनवरत कठिन तप जो रहा, फलदायी होने वाला है। अनुशरण किया जग का तुमने, अनुयायी होने वाला है। शौर्य चहुंदिश कोटि जन गायें, तान प्रत्यंचा लक्ष्य साध तू। शंख भेरी की मृदुल तान पर, कुंडल कवच वक्ष बांध तू। कवि-वीर का ये किस्सा, कुछ तेरा था कुछ मेरा था। ©रजनीश "स्वछंद" कुछ तेरा था कुछ मेरा था।। धरती के टुकड़े का ये हिस्सा, कुछ तेरा था कुछ मेरा था। उदय अवसान का ये किस्सा, कुछ तेरा था कुछ मेरा था। सुबह की ला
रजनीश "स्वच्छंद"
आओ हिंदी सीखें-हिंदी के भेद read the complete poem in comment section #NojotoQuote चलो सीखें हिंदी- हिंदी के भेद।। हिंदी का जो बोलूं भेद, रखो याद, तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशज। मातृभाषा से न हो मतभेद, मुझसे सुनो, लो इसे तुम