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RV Chittrangad Mishra
जानबूझकर किसी का दिवाना बनता हूं बड़ा शायर दिखने के लिए पहले दिल लगाता हूं फिर छोड़ देता हूं हाँ मैं ऐसा ही करता हूं लिखने के लिए ©RV Chittrangad Mishra जानबूझकर किसी का दिवाना बनता हूं बड़ा शायर दिखने के लिए पहले दिल लगाता हूं फिर छोड़ देता हूं हाँ मैं ऐसा ही करता हूं लिखने के लिए - चित्रांग
जानबूझकर किसी का दिवाना बनता हूं बड़ा शायर दिखने के लिए पहले दिल लगाता हूं फिर छोड़ देता हूं हाँ मैं ऐसा ही करता हूं लिखने के लिए - चित्रांग
read moreडॉ.अजय कुमार मिश्र
White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं, जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं। हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की, आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं। धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।। कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से , आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं। कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार। आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र डरता हूं
डरता हूं
read moreI͓̽n͓̽n͓̽o͓̽c͓̽e͓̽n͓̽t͓̽ b͓̽e͓̽w͓̽a͓̽f͓̽a͓̽
White हो सकता हैं कुछ लोगो को मेरे मरने के बाद सुकून मिले 😭 ©+-InNocEnT BeWafa-+ लिखने को तो बहुत है मगर आज लिखूँगा नही जिसके लिए ये post h 😝
लिखने को तो बहुत है मगर आज लिखूँगा नही जिसके लिए ये post h 😝
read moreAjay Tanwar Mehrana
ना मेरा कोई मेरा रहबर मेरा रब ना हितैषी मैं ही तो हूं जो मेरा सब मोड़ सब आंधी तूफानों की मरोड़ कोई कह तो दे कि मैं बर्बाद हूं । मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ असल मायने में तो मैं आजाद हूं । जी रहे सब दुःख भरी मर्यादाओं में मैं नहीं विक्षत ना ही दिलशाद हूं , कालचक्र कर्मकांडों की ये सीमा तो भी चलती चक्की का उन्माद हूं । मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ असल मायने में तो मैं आजाद हूं । ना मैं जकड़ा जातियों, पंथों, धर्म ने ना समाज की रिवाजों के भरम ने , झूठ सब देवों - देवियों की ये लीला 'अजय' खुले द्वंद्वों में बजता नाद हूं ! मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ असल मायने में तो मैं आजाद हूं । ©Ajay Tanwar Mehrana मैं आजाद हूं
मैं आजाद हूं
read moreVinod Mishra
"स्वार्थ साधना जिसके लिए साध्य हो ; जिसके लिए साधक अपनी नित नई निष्ठा बदलता रहता हो ऐसा साधक जीवन में कुछ भी पा सकता है परन्तु प्रतिष्ठा कभी
read moreBS NEGI
White स्वयं की खोज में हूँ, शांत एवं मौन मैं हूँ, पथिक हूँ सत्यपथ का, मैं स्वयं में ही व्यस्त हूँ! ©BS NEGI व्यस्त हूं
व्यस्त हूं
read moreSatish Kumar Meena
अकेले बैठ कहीं, ऐसा सोच रही हूं। दुनियां की बदली तस्वीर, नोंच रही हूं।। मुझे लगा हालात, वक्त आने पर सुधर जाएंगे। अपने किरदार को, एक उदाहरण से निभाएंगे। मैं फिर से पुरानी तस्वीर, खरोंच रही हूं। दुनियां की बदली तस्वीर, नोंच रही हूं।। ©Satish Kumar Meena सोच रही हूं
सोच रही हूं
read moreपूर्वार्थ
White बैठी हैं क्यों दर्द लिए; आतीत-सा मन को शान्त किये । जो बीते पल माहुर से थे; आज क्यों उनके जाम पिए। भविष्य सुनहरा राह देखता; तेरे हर पल आने की, हौसले से तोड़ बेड़ियाँ जख्म भरे अल्फाजों की देख आसमाँ भर ऊँची उड़ाने; आगे बढ़ तू इसी बहाने , दर्द मिटा तू ख्व़ाब गढ़ ; भूल न उसे ; जो कहता तू आगे बढ़। जीवन समर में कुछ ऐसे उतर ; शत्रु हो जाए छितर - बितर।। मौत भी घबराए तुझ तक आने के लिए , तू बन जा एक मिसाल इस जमाने के लिए।। ©पूर्वार्थ #जख्म से जीता
#जख्म से जीता
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