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Tarakeshwar Dubey
आयातित रक्तबीज """"""""""""''''"""""""""" किसी के दिल को बहकाई, इटाली महफिल की खुशबू, कोई बहलाता दिल जाकर, लंदन, पेरिस, सिंगापुर। किसी को लगी कोट फिकी, गुलाबी फूल न होने से, कोई रगड़ा सिर अपना, लेडी माउंट के कदमों में। भारत भूमि को अपना कह, राज यहां करता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। डोलने लगा सिंहासन जब, इमर्जेंसी वह दे मारी, बंगलादेश की आजादी में, वीरों की आहुति दे डाली। कायरता की निशानी है, अक्साई चिन की धरती, पूछ रही है वह अब भी, दिलाओगे कब मुझे मुक्ति। वहसी खानदान आज भी, जमीर बेचा करता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। हो बोफोर्स का घोटाला, कभी कोयला, कभी चारा, कामनवेल्थ गेम्स को भी, स्पेक्ट्रम संग धो डाला। पहन लेता कभी जनेऊ, कभी टोपी, कभी खंजर, कभी गले में क्रास डाले, बकता रहता अटर पटर। कभी किसानों की रग में, काला जहर घोलता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। है खानदानी भ्रष्टाचारी, जिसका उज्जड जीजाजी, गरीबदास की बनी मसीहा, उसकी प्रियतम दीदीश्री। अमर जवानों के रक्त से, रंग दी घाटी की माटी, तीन सौ सत्तर के हटने से, फटती है उसकी छाती। बात-बात में समर्थन हित, विदेशों में बिचरता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। जो दीवाली में दीप जलाई, सियाचिन में प्रधान सेवक, तीनों सेनाएं संग मिली तो, हुए बली राष्ट्र रक्षक। टुकड़े गैंग, पत्थरबाजों की, तानाशाही छुड़वाई, रहा पाकिस्तान चाहें चीन, सबकी नानी याद दिलाई। राष्ट्रभक्त सेवादारों को, चोर कह शोर करता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। तीन तलाक हटा जिसने, नारी का सम्मान किया, घाटी को आजाद करा, माटी को नव मान दिया। नारियों को हज करने की, मुक्त हक जो दे डाली, तब से मक्का गमन की, तैयारी में है राजकुमारी। राजकुँवर का आंगन सुना, पर सपने में रहता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। कोई समझता भारत को, अपने वंश की जागीरदारी, येन केन प्रकारेण बस में, रखने की लगा ली बिमारी। लोकतान्त्रीक भारत को, अपनी खेती समझता है, जैसा बोए, जो भी काटे, किसी की न कोई महत्ता है। राष्ट्र प्रहरियों की छाया से, वो घबड़ाया रहता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। आयातित रक्तबीज को भारत, माता कैसे लग सकती है? कैसे लगे श्रीराम अपने? सती कैसे जंच सकती है? देश प्रेमियों की भक्ति को, अंधभक्ति कह चिढ़ाता है, धर्म मार्गियों की जमात से, हरदम वह कतराता है। असूर शक्ति का स्वामी वह, द्रोहियों का पोषणकर्त्ता है, स्विस बैंक के खातों को, काले धन से भरता है। ©Tarakeshwar Dubey आयातित रक्तबीज #creativeminds
Nasar Alam Nasar
करो ज़रा खैरात अगर तुम रोगी हो मान लो मेरी बात अगर तुम रोगी हो सर को झुकाना हाथ उठाना मत छोड़ो नसर पढ़ो आयात अगर तुम रोगी हो नसर आलम नसर ©Nasar Alam Nasar #Dhund नसर पढ़ो आयात किया अगर तुम रोगी हो
Ek villain
यह उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्रालय ने 2050 तक एक लाख 70 लाख करोड़ रुपए की रक्षा सामग्री के उत्पादन पर लक्ष्य रखा है इसमें 35000 करोड रुपए का निर्यात भी शामिल है रक्षा मंत्रालय ने हाल ही के समय में कुछ ऐसे हथियारों और उपकरणों की सूचियां जारी की है जिनको निर्माण स्वदेशी में ही किया जाना चाहिए हमारे जो भी वैज्ञानिक और तकनीकी सिली युद्धक सामग्री और उपकरणों के निर्माण में रहते हैं उन्हें एक अधिक प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है ताकि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की गति और तेज हो सके इसलिए एक शोध एक अनुशासन की प्रक्रिया पर विशेष ध्यान देना होगा और इसी क्रम में यह सुनिश्चित करना होगा कि हम कैसे स्वदेशी में है अपनी जरूरत की अधिकाधिक रक्षा सामग्री का निर्माण कर सके कोई देश वास्तव में महाशक्ति तब बनता है जब युद्ध सामग्री और उपकरणों के मामले में भी आत्मनिर्भर होता है जो कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने में लक्ष्य को देरी से तय किया गया इसलिए अब उसे एक निश्चित समय सीमा पर आने पर विशेष ध्यान देना ©Ek villain #भारत रक्षा सामग्री का आयात करने वाले प्रमुख देशों में शामिल है #airforce
Yunus golden
उसका चहरा इक आयात कि तरहा है देखूं जितनी बार सवाब मिले उतना yunus golden उसका चहरा इक आयात कि तरहा है देखो जितनी बार सवाब मिले उतना yunus golden
Anita Saini
भीगी सी रात तू मेरे साथ, निकल जाएं बेख्याली मे दूर कहीं लेकर हाथों में हाथ। आगोश में तेरे, मेरे इश्क़ की इबादत हो, चांद भी रश्क़ करे ऐसी मोहब्बत में शिद्दत हो। शुभ रात्रि । जय श्री कृष्णा । Thank you😇💞💞💕 #आगोश़ #तुम्हारेलिए #मैं_और_मेरे_जज़्बात #आयातें_मोहब्बत_की
Swapnil Parab
प्रथमेश विशाल
vipin bansal
काली सुरख रातों में महकाब मिल गया। उनसे मिले तो लगा परवरदिगार मिल गया।। कोई तो वजा़ दो उनसे इश्क ना करने कि खुदा ने छुपाया जग से , वो फरिश्ता हु-ब-हु मिल गया।। नजाकत झलकती है उसके चलने , बोलने , हंसने ,हर अदा में वो हकिकत थी ,या किसी शायर का नज्म मिल गया ।। बड़ी थकावट थी , बदन में ,हयात से उसे देखा ,तो आयात का शुकुन मिल गया।। उनसे मिले तो लगा परवरदिगार मिल गया।। #vipinbansalg unse mile to Laga parvardigar mil gaya काली सुरख रात =अमावस्या महकाब = चंद्रमा परवरदिगार=भगवान फरिश्ता =भगवान का दुत नज्म =एक
The solo pen
तथाकथित जीवन का बिगड़ता परिद्रश्य हमारे समाज में चर्चा का विषय रहा है। हमसे पहले कई सभ्यताएं आई और खत्म हो गई।(हालांकि ये असत्य भी हो सकता है जबकि पूर्ण सत्य न पता हो) जीवन की प्रकृति में ही है परिवर्तन होना। हालांकि प्रकृति में परिवर्तन से विनाश हो सकता है। असल में इंसान जब दूसरी सभ्यताओं को अपनाने लगता है या दूसरी सभ्यताओं का आयात होने लगता है तो जो आयातक सभ्यता होती है वहाँ का वातावरण मिश्रित हो जाता है और समस्या शुरू हो जाती है और ये समस्याएं तब तक चलती हैं जब तक पूर्ण परिवर्तन न हो जाए। तथाकथित जीवन का बिगड़ता परिद्रश्य हमारे समाज में चर्चा का विषय रहा है। हमसे पहले कई सभ्यताएं आई और खत्म हो गई।(हालांकि ये असत्य भी हो सकता