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MAHI
Shivkumar
White सारा शहर तो मेरे दो शेर सुनकर ही झूम उठता है और तुम पूछते हो कि शायर की औकात ही क्या है ।। ©Shivkumar #City #Nojoto #nojotohindi #शायरी #दिलकीबातशायरी143 # सारा #शहर तो मेरे दो #शेर सुनकर ही #झूम उठता है और तुम पूछते हो कि #शायर की #औक
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन । आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।। देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन । मन ये प्यासा रह गया , बीत गई फिर रैन ।। रूप मोहिनी देखकर , ठहर गये दो नैन । लब बेचारे मौन थे , कह न सके दो बैन ।। जिनकी सुन तारीफ में , निकल न पाये बैन । कजरारे वह नैन अब , लूट रहें हैं चैन ।। इतना तो अब ध्यान रख , भोर नही ये रैन । झूठ बोलते आप हैं , बोल रहे दो नैन ।। अमृत कलश पिला दिए , तेरे ये दो नैन । झूम-रहा हूँ देख लो , पीकर अब दिन रैन ।। लाकर होठों पर हँसी , पीर छुपाये कौन । दो नैना यह देखकर , रह न सकेंगे मौन ।। दो नैना जो चार हो, खिले अधर मुस्कान धीरे-धीरे हो गया , देख हृदय का दान ।। ०४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन । आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।। देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन । मन ये प्यासा रह गया ,
Bharat Bhushan pathak
चित्रपदा छंद विधान:-- ८ वर्ण प्रति चरण चार चरण, दो-दो समतुकांत भगण भगण गुरु गुरु २११ २११ २ २ नीरद जो घिर आए। तृप्त धरा कर जाए।। कानन में हरियाली। हर्षित है हर डाली।। कोयल गीत सुनाती। मंगल आज प्रभाती। गूँजित हैं अब भौंरे। दादुर ताल किनारे।। मेघ खड़े सम सीढ़ी। झूम युवागण पीढ़ी।। खेल रहे जब होली। भींग गये जन टोली।। दृश्य मनोहर भाते। पुष्प सभी खिल जाते।। पूरित ताल तलैया। वायु बहे पुरवैया।। भारत भूषण पाठक'देवांश' ©Bharat Bhushan pathak #holikadahan #होली#holi#nojotohindi#poetry#साहित्य#छंद चित्रपदा छंद विध
Sangeeta Kalbhor
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. हर मोड़ मुझे तेरी ओर.. हर मोड़ मुझे तेरी ओर लेकर ही जाता है पता नही क्यूँ और कैसे तू समीप मेरे रहता है रहूँ मैं कितने भी खयालों में एक खयाल तेरा भी होता है तू है कही आसपास ही मेरे हरपल अहसास ये आता है झूकी झूकी पलकों से मन मयूर जरुर बनता है बूँदे तेरे प्यार की पाकर तन जरुर झूम लेता है ये कौनसा है नशा जो सुरुर पे सुरुर आता है दिल भूल जाता है हर बात पर तुझे भूल नही पाता है..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #holi2024 हर मोड़ मुझे तेरी ओर.. हर मोड़ मुझे तेरी ओर लेकर ही जाता है पता नही क्यूँ और कैसे तू समीप मेरे रहता है रहूँ मैं कितने भी खयालों मे
Devesh Dixit
होली (दोहे) होली का यह पर्व है, जिस पर हमको मान। कहते हैं सज्जन सभी, ये अपनी पहचान।। मिल जुल कर हम सब रहें, देता है ये ज्ञान। बैर भाव छोड़ो सभी, कर सबका सम्मान।। हँसी खुशी सब खेलते, हैं रंगों के साथ। मिल जुल कर सब रंगते , ले रंगों में हाथ।। फागुन का यह मास है, रंगों का त्यौहार। दिल न दुखाना तुम कभी, है ये ही संस्कार।। मात पिता के छू चरण, बन जाओ तुम नेक। ईश ज्ञान देते यही, फिर मिलती है टेक।। बहुत बहुत शुभकामना, देते हैं हम आज। खुशी मनाओ झूम के, हो सुंदर सब काज।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #Holi #nojotohindi #nojotohindipoetry #होली होली (दोहे) होली का यह पर्व है, जिस पर हमको मान। कहते हैं सज्जन सभी, ये अपनी पहचान।। मिल जुल
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
हीर छन्द आप मिले, फूल खिले, देख रहे नैन है । पास रहो, बात करो , आज बड़ा चैन है ।। आप बनें ,साथ रहे , आप ही करार हो । आप बिना , नींद कहा , मेरे सरकार हो ।। रंग उड़े, फाग चले , झूम रहा आज है । संग रहूँ , प्रेम करूँ, दिल पे तो राज है ।। प्यास बुझे , आस जगे, दिल में मधुमास हो । देख पिया , आज जिया , छूता आकाश हो ।। १३/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हीर छन्द आप मिले, फूल खिले, देख रहे नैन है । पास रहो, बात करो , आज बड़ा चैन है ।। आप बनें ,साथ रहे , आप ही करार हो ।
PURAN SINGH CHILWAL
शुभ शिवरात्रि हमारी तरफ से आपको और आपके पूरे परिवार को महा शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं सारा जहां है जिसकी शरण में नमन है शिव के चरणों में बने उस शिवजी के चरणों की धूल आओ मिल कर के चढ़ाएं हम श्रद्धा के फूल ©PURAN SINGH CHILWAL #mahashivaratri 💖 दिल से ❤️ दिल तक ❤️ 💖💗💐💐💗ओम नमः शिवाय जय शिव शंकर जय भोलेनाथ महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी को ढेर सारी शुभकामन
Devesh Dixit
सपनों का महल सपनों का एक महल बना था, पलकों में जो मेरे सजा था। बिखर न जाए कहीं पत्तों सा, ऐसा मेरे मन में रमा था। हर पल को ही पिरोया मैंने, बीज को उसके बोया मैंने। पाऊँ सफलता आगे चलकर, गीत यही गुनगुनाया मैंने। अच्छे से सब कुछ चल रहा था, मगन मैं भी अब झूम रहा था। देख रहा जो महल सपनों का, उसे ही अब मैं ढूंँढ़ रहा था। आँखें खुलीं तो मैंने पाया, महल सपनों का बिखरा पाया। हर एक सपना उजड़ चुका था, देख खुद को ही बेबस पाया। सपनों का एक महल बना था, पलकों में जो मेरे सजा था। बिखर गया वो कहीं पत्तों सा, जो की मेरे मन में रमा था। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #सपनों_का_महल #nojotohindi #nojotohindipoetry सपनों का महल सपनों का एक महल बना था, पलकों में जो मेरे सजा था। बिखर न जाए कहीं पत्तों सा, ऐ