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Chintesh Sharma
कितना हुँ अकेला मैं, पर ना मैं कमजोर बैठा हूँ। जमाना बैठ गया उस छोर,मैं अकेला इस छोर बैठा हुँ। अगर मैं हुँ गलत तो तुम सही लगते भी कैसे हो। बस इक प्रश्न पूछा ओर,सभी को झंझोर बेठा हुँ। सभी को झंझोर बैठा हूँ।
Indra
कभी अकेले में मिलके झंझोर दूंगा उसे, जहां- जहां से टूटा है जोर दुंगा उसे, और मुझे वो छोर दिया ये कमाल है उसका, इरादा मैंने किया था छोर दूंगा उसे। पसीने बांटता फिरता है हर तरफ सूरज,कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूंगा उसे, और मजा चखा के ही माना हु मै भी दुनियां को, समझ रही थी ऐसे ही छोर दूंगा उसे। #unfaithful #breakinheartकभी अकेले में मिले झंझोर दूंगा उसे...
Arpna Bharti
मन का शोर, मुझे कर देते हैं झंझोर। कोई इन्हें शांत करो, इनपर नहीं है मेरा जोर। दुख की बातों को पुकारते रहते है ये, मेरे मन को उलझाते रहते है ये। मन का शोर, मुझे कर देते झंझोर..... #मन #बातें #yqdidi #yourquotebaba #yqbaba #yourquotedidi #mankibaat #anestheticthought
Shree
मौन से नहीं बड़ा! कोई भी डर कभी मौन नहीं रहा! भीतर तक चीरता है ये मौन सब कुछ कर देता गौण, रख देता झंझोर! Shree OPEN FOR COLLAB✨ #ATकोईभीडर • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨
Alok verma
Vikrant Rajliwal
और एक साया धीरे धीरे चलते हुए मेरे समीप आकर ठहर गया। और देखते ही देखते उसने मेरा गला जकड़ लिया और दबाने लगा। फिर मैं बुरी तरह तड़पने लगा कि छोड़ दो छोड़ दो। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता कि तभी मेरी मम्मी ने मुझे झंझोर कर निंद्रा से जगा दिया। "उठो विक्रांत उठो तुम यह क्या बडबडा रहे हो! विक्रांत राजलिवाल द्वारा लिखित। (संसोधित रूप से) ©Vikrant Rajliwal #Hunted और एक साया धीरे धीरे चलते हुए मेरे समीप आकर ठहर गया। और देखते ही देखते उसने मेरा गला जकड़ लिया और दबाने लगा। फिर मैं बुरी तरह तड़पन
A NEW DAWN
In Caption पतझड़ लगी है दिल में फिर एक बार और शायद अब भी है मुझे तेरे दस्तक का इंतजार...।। इन उड़ते पत्तों से बिखरे मेरे भी ख्वाब
Rabiya Nizam
In Caption पतझड़ लगी है दिल में फिर एक बार और शायद अब भी है मुझे तेरे दस्तक का इंतजार...।। इन उड़ते पत्तों से बिखरे मेरे भी ख्वाब
shailesh jha( सांझ_शैलेश)
नज़रिया अच्छा , कहा क्या आपने, इस इमारत के आखिरी कमरे में, जो 'तम' से भरा है, 'सन्नटा' पसरा है यहां। (पूरी कविता captions में है -read and review pls) नज़रिया अच्छा , कहा क्या आपने, इस इमारत के आखिरी कमरे में, जो 'तम' से भरा है, 'सन्नटा' पसरा है यहां। दिलों को भेदती- दिमागी नसों को सुन्न क