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Stories related to वह तोड़ती पत्थर कविता के संदर्भ

M.K Meet

दिल पत्थर होने लगा है या कि पत्थर बना रहा कोई!!

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दयार-ए-इश्क में, मुश्किल है दिल को समझाना 
के मासुम मशविरों को, पागल ये मानता ही नहीं

©M.K Meet दिल पत्थर होने लगा है 
या कि पत्थर बना रहा कोई!!

Ghumnam Gautam

गुल व भँवरे की हर कहानी में
हैं बहारों के बाद पतझर भी

घर में अमरूद गर लगाओगे
आएँगे आँगनों में पत्थर भी

©Ghumnam Gautam #गुल
#पत्थर
#कहानी 
#ghumnamgautam

Sunil Kumar Maurya Bekhud

पत्थर
सड़क किनारे आज पड़ा हूँ
मेरी होगी पूजा कल
इंतजार में बैठा हूँ मैं
सब्र का मीठा होगा फल

नहीं किसी को घाव मैं देता
खुद ही टकराती दुनिया
मेरी यही कामना सबको
मिल जाए अपनी खुशियाँ

मैं कठोर हूँ इसमें मेरा
कोई भी है दोष नहीं
जहाँ मुझे कोई भी रखे
रहता हूँ खामोश वहीं

कोई ढूढ़ता मुझमें ईश्वर
कोई ढूँढता है प्रियतम
बेखुद जैसा भाव हो जिसका
उसी रूप में मिलते हम

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #पत्थर

neelu

#sad_quotes #जिन्होने #खिलौने_और_मै के #फैसले तक नहीं लिए वह खेलने के फैसले कैसे लेंगे

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White जिन्होने खिलौने  के फैसले तक नहीं लिए
वह खेलने के फैसले कैसे लेंगे

©neelu #sad_quotes #जिन्होने #खिलौने_और_मै   के #फैसले तक नहीं लिए
वह खेलने के फैसले कैसे लेंगे

Writer Mamta Ambedkar

#sad_quotes हिंदी कविता कविता कोश कविताएं कविता प्रेम कविता

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White 

मन का जख्म

बदन पर जो लगे,
वो जख्म भर जाते हैं,
वक़्त की मरहम से,
दर्द भी मिट जाते हैं।

पर जो गहरे घाव,
मन के भीतर लगते हैं,
वो हर धड़कन के संग,
फिर से जी उठते हैं।

न कोई मलहम,
न कोई दवा कारगर,
इन घावों को बस,
सहेजना ही है बेहतर।

ये घाव सिखाते हैं,
जीवन का एक पाठ,
हर दर्द के पीछे छुपा,
कोई अटल सत्य का साथ।

तो मन के जख्मों को,
बस प्यार से थाम लो,
दर्द की इस धारा में,
खुद को पहचान लो।

क्योंकि मन का घाव ही,
तुम्हें मजबूत बनाएगा,
और जीवन के हर मोड़ पर,
नया सूरज दिखाएगा।

©Writer Mamta Ambedkar #sad_quotes  हिंदी कविता कविता कोश कविताएं कविता प्रेम कविता

कवि प्रभात

हिंदी कविता कविता कोश कविता

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मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब  तक  प्रियतम |
जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम ||

©कवि प्रभात  हिंदी कविता कविता कोश कविता

gudiya

#love_shayari nojotophoto #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प

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White वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती पत्थर 
कोई ना छायादार 
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ;
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
 नत नयन ,प्रिय-  कर्म -रत मन,
 गुरु हथोड़ा हाथ ,
करती बार-बार प्रहार ;- 
सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार ।

चढ़ रही थी धूप;
 गर्मियों के दिन 
दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू 

रूई - ज्यों जलती हुई भू
गर्द   चिनगी छा गई,
 प्राय: हुई दुपहर :- 
वह तोड़ती पत्थर !
देखे देखा मुझे तो एक बार 
उस भवन की ओर देखा,  छिन्नतार;
 देखकर कोई नहीं,
 देखा मुझे इस दृष्टि से 
जो मार खा गई रोई नहीं,
 सजा सहज सीतार ,
सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार;
 एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर,
ढोलक माथे से गिरे  सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा -
मैं तोड़ती पत्थर 
                'मैं तोड़ती पत्थर।'
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

©gudiya #love_shayari 
#Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish 
वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती प

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

चाहकर भी घर से निकलते नहीं अब..
खूब फिसले जमाने फिसलते नहीं अब.. 

वो बड़े ही सख्त मिजाज़ हुए रे कलम 
तेरे लफ्जों के कमाल चलते नहीं अब.. 

पिघले होंगे पत्थर किसी के पिघलाये से 
मेरे पिघलाये से वो पिघलते नहीं अब..

रातों के इंतजार में रहता हूँ तुम्हारे लिये 
ये दुश्मन दिन जल्दी ढलते नहीं अब..

ख़ुद को बाँट तो लिया सर्द गर्म रातों सा 
मौसम हैं कि सही से बदलते नहीं अब..

वादियाँ मशगूल हैं हुस्न की फिराक में 
दिवाने दिल के अरमाँ मचलते नहीं अब..

एक हम हैं, कोशिशें खूब की भुलाने की 
एक वो हैं, दिल से खिसकते नहीं अब..

©अज्ञात #पत्थर

Anurag Nishad

बारिश पर कविता हिंदी कविता कविता कोश प्रेम कविता कविता

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Subhendu Bhattacharya

#वह तोड़ती पत्थर (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

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