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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा । कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।। #शायरी

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ग़ज़ल :-
पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा ।
कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।।
बनाओ नेक को साथी बुराई त्यागकर सारी ।
नहीं भाई तुम्हारा भी बिगड़ना सीख जायेगा ।।
अदाओ का हमें अपनी दिखाओ आज तुम जादू ।
सुना है इक इशारे पे वो हँसना सीख जायेगा ।।
सँवर कर और अब ऐसे नहीं निकला करो बाहर ।
दीवाना देखकर तुमको मचलना सीख जायेगा ।।
मिलेगी जब उसे ठोकर यहाँ हालात से जिसदिन ।
यकीं मानो उसी दिन से वो चलना सीख जायेगा ।।
अभी नादान है देखो नहीं घर की फिकर कोई ।
पडेगा बोझ जब घर का सँभलना सीख जायेगा ।।
चुनावी दौर है आया प्रखर मुमकिन नहीं कुछ भी ।
कहानी आज वो झूठी भी गढ़ना सीख जायेगा ।।
२२/०३/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-


पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा ।

कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।।

Praveen Jain "पल्लव"

#binod चुनावी चन्दा मुखर हो चला है अब #nojotohindi #कविता

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां  करना भी आसानी नहीं है ।।२ #शायरी

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ग़ज़ल :-

यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है ।
बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१

गिरा जो आँख से पानी नहीं है ।
बयां  करना भी आसानी नहीं है ।।२

लगाओ खूब नारे हिंद के अब ।
यहाँ कोई भी यूनानी नहीं है ।। ३

जरा सा हौसला करके तो देखो  ।
कोई भी दरिया तूफ़ानी नहीं है ।।४

तुम्हीं से पूछने आये चले हम ।
हमीं पे क्यूँ मेहरबानी नहीं है ।।५

चुनावी खेल चालू हो गये तो ।
दिखा कोई भी अभिमानी नहीं है ।।६

लगे आरोप झूठे सैनिकों पे ।
हमारा देश बलदानी नहीं है ।।७

अदब से सर झुकाते हैं उन्हें बस ।
प्रखर की वह महारानी नहीं है ।।८

१२/०३ २०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है ।
बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१

गिरा जो आँख से पानी नहीं है ।
बयां  करना भी आसानी नहीं है ।।२
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