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Stories related to दबा दबा दबा

theABHAYSINGH_BIPIN

#good_night ज़िंदगी में आज़माइश तो होगी, ज़िंदगी से फरमाइश तो होगी। अगर न मिले चाहत के मोती, तो ज़िंदगी से शिकायत तो होगी। कैसे करूँ मैं

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White ज़िंदगी में आज़माइश तो होगी,
ज़िंदगी से फरमाइश तो होगी।
अगर न मिले चाहत के मोती,
तो ज़िंदगी से शिकायत तो होगी।

कैसे करूँ मैं प्यार की नुमाइश,
अंत तक ख़्वाहिश तो होगी।
हाथ थामे रखना, जब तक जान है,
छोड़ते वक्त, इतनी गुज़ारिश तो होगी।

यह दुनिया की रीतें खोखली हो गईं,
मोहब्बत में मुझको रियायत तो होगी।
जिगर को कैसे दबाकर बैठा हूँ,
लग जा गले से, ख़्वाहिश तो होगी।

©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night 

ज़िंदगी में आज़माइश तो होगी,
ज़िंदगी से फरमाइश तो होगी।
अगर न मिले चाहत के मोती,
तो ज़िंदगी से शिकायत तो होगी।

कैसे करूँ मैं

Unknown Shayar

#Book झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं shayari love

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Unsplash झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं

©Unknown Shayar #Book झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
 shayari love

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#sad_quotes इस सफर-ए-हयात में क्या- क्या न मुझे दिखा,अपने ही घर मे हर अफराद जुदा- जुदा सा मुझे दिखा//१ खल्क की सदा को नक्कारा -ए-खुदा न समझ

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White इस सफर-ए-हयात में क्या- क्या न मुझे दिखा,
अपने ही घर मे हर अफराद जुदा-जुदा सा मुझे दिखा//१

खल्क की सदा को नक्कारा-ए-खुदा न समझा,उमीदे-अदल थी
जिनसे,वो बाप विरासत देने मे गूंगा-बहरा सा मुझे दिखा//२

जो दबाते है सरमाया अपने हमशीरी का,वो रोजे
      मह्शर अल्लाह-रसूल् से शर्मिंदा खड़ा सा मुझे दिखा//३

वो एहसासे कमतरी का शिकार न दिखा,हाँ आज
    उसके मन मे जहरीला गुबार उड़ता सा मुझे दिखा//४

नफरत की अफीम बोई है,जिस हासिद ने,अब ईद दिवाली
 स्नेह मिलन पर,वो नफरते फसल काटता सा मुझे दिखा//५

हाशिये पर पसमन्दो को निशाना बनते मुझे दिखा,
       इस मानिंद नशेमन रिआया का गिरता सा मुझे दिखा//६

जो अना और किना परस्त बड़े लोग है,मुझको तो
ऐसे लोगो का किरदार अदना सा मुझे दिखा//६

जाइए मत आप"शमा"की बेबाकी पर,मै खामखाह,
सुर्ख़रू हुआ,जो ये हयात शनासा सा मुझे दिखा//७
#shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sad_quotes इस सफर-ए-हयात में क्या- क्या न मुझे दिखा,अपने ही घर मे हर अफराद जुदा-
जुदा सा मुझे दिखा//१

खल्क की सदा को नक्कारा
-ए-खुदा न समझ

theABHAYSINGH_BIPIN

मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प

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White मन मेरा अशांत क्यों है भला,
आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली?
कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं,
अधरों पर क्यों सवाल खड़ा?

नयन रूखे से लगते हैं अब,
लबों पर क्यों नहीं मुस्कान भला?
एक शोर उठता है, रह-रह कर जो,
आख़िर खुद में ही क्यों दबा?

ढूंढता हूँ, फिर भागता हूँ,
सवालों का कभी जवाब नहीं मिला।
गिरता हूँ, उठता हूँ और फिर चलता हूँ,
मन में लिए कितने सवाल चला।

कितनों से बात की मैंने,
कितनों को बेहतर सलाह दी।
मिला दे मुझे खुद से या रब से,
एक मकसद को डर में फिरा।

सुना, गुनाह रब माफ़ करते,
मंदिर मस्ज़िद को निकला।
माफ़ कर सकूँ पहले खुद को,
खुद से मैं अब तक खुद नहीं मिला।

©theABHAYSINGH_BIPIN मन मेरा अशांत क्यों है भला,
आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली?
कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं,
अधरों पर क्यों सवाल खड़ा?

नयन रूखे से लगते हैं अब,
लबों प

Manjeet

जब जब निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता को दबाया गया है, एक भयभीत और गुलाम देश को बनाया गया है!! ✍️Ⓜαทʝεεt✍️ #independent #Press #Media manjeet

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जब जब निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता को दबाया गया है,

एक भयभीत और गुलाम देश को बनाया गया है!!

✍️Ⓜαทʝεεt✍️

©Manjeet जब जब निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता को दबाया गया है,
एक भयभीत और गुलाम देश को बनाया गया है!!
✍️Ⓜαทʝεεt✍️


#independent #press #media #manjeet

gudiya

#NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार

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पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार 

क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते 
अपने आधे हिस्से में अंधेरा 
और आधे में उजाला लिए 
रात को दिन और दिन को रात करते 
कभी-कभी कांपती हो 
तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार 
अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले
सभी कुछ को नष्ट कर दोगी 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 
तुम्हारी सतह पर कितना जल है
तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है
लेकिन तुम्हारे गर्भ में
गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है 
सिर्फ अग्नि 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता
अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो 
किन प्रक्रियाओं से गुजर कर 
कितने चुपचाप 
रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से 
भरा है तुम्हारा ह्रदय 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो

-नरेश सक्सेना

©gudiya #NatureLove 
पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार
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