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Ek villain
मासूमियत छीनने वाला बाजार शीर्षक से प्रकाशित लेख में लेखिका बाजारों के खिलौने द्वारा बच्चों की मासूमियत छीन ले की बात करती है बच्चा मासूम एवं चिकनी मिट्टी की तरह होते हैं उन्हें जैसा डाल दिया जाए बड़े होकर वैसे ही बन जाते हैं बचपन में सीखी गई बातें खेल गए खेल कभी नहीं बोलते और इसी उम्र में बच्चों के पहले मित्र ऑन के खिलौने होते हैं भारत के विश्व कृषि बाजार का हिस्सा और वहां भी अन्य देशों में आयत खिलौने खूब बिकते हैं हमारे भारतीय बाजारों में लड़कों के लिए पिस्तौल हथियार बलवान दिखाने हेतु खिलौने भगवता में उपलब्ध है जिससे उन्हें उचित आका मनोभाव बचपन से ही रहता है वहीं दूसरी और लड़कियों के लिए मासूमी प्यारी सुंदर नयन नक्शे की मूर्ति गुड़िया इत्यादि का बाजार से यह प्रभाव रहता है सुंदर दिखना ही लड़के के लिए सब कुछ है लैंगिक भेदभाव की नींव विचारों में ही रखी जाती है इसमें बदलाव की जरूरत है और भारतीय बाजार में भारतीय विरासत और संस्कृति की समझ विकसित करने वाले भारतीय निर्मित खिलौनों को वह कल 4:00 लोकल की तहत बढ़ावा देने के लिए ही लिया या प्रयोग के दुर्भाग्य ग्रामीण परिणाम दिखाने को मिलेंगे ब्रदर्स उत्पादक और उपभोक्ता को जागरूक करने के लिए अभी अथक प्रयास किए जाएंगे डीपी भाटिया नई दिल्ली ©Ek villain # समझ विकसित करने की जरूरत #Glow
'दीपक' अवस्थी
मुझे अत्यधिक खुशी होती है। जब कोई मेरे से बेहतरीन मिलता है मेरे सवालो को समझता है और जवाबो को भी इससे दोनों के ही दिमाग विकसित होते है। #विकसित
Manmohan Dheer
राकेट से उतर के उसने बग्घी भी उतार ली थी नई जमीं पे दौड़ पड़ा था फिर उसमें घोड़े जोत के वो आधुनिक हो गया था वो विकसित हो चुका था विकसित
DR. LAVKESH GANDHI
हिन्दी हिंदी जन-गण की भाषा है भारत के बढ़ते चरणों की यह ज्वलंत परिभाषा है भाषाओं की जननी है यह भारत की राष्ट्रभाषा है यह जनसंपर्क की भाषा है यह भारत के विकसित होने की एकमात्र गारंटी है यह ©DR. LAVKESH GANDHI #Hindidiwas # # विकसित होने की गारंटी है यह #
Ajay Kumar
हेल्प इंडिया विकसित इंडिया इंडिया विकसित इंडिया।
प्रभाकर अजय शिवा सेन
मैं भाव सूची उन भावों की,जो बिके सदा ही बिन तोले। तन्हाई हूँ हर उस खत की जो पढ़ा गया है बिन खोले।। हर आँसू को हर पत्थर तक पहुँचाने की लाचार हूक। मैं सहज अर्थ उन शब्दों का जो सुने गए हैं बिन बोले।। जो कभी नही बरसा खुलकर हर उस बादल का पानी हूँ। लव कुश की पीर बिना गाई सीता की रामकहानी हूँ। ©प्रभाकर अजय शिवा सेन मैं भाव सूची उन भावों की।
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी आँखों मे आँखे डालकर मुलाकात हो रही है दिलो का बहकना लाजिमी है देखो आत्मा में उतरकर प्यार की शुरुआत हो रही है मन का किया है आकर्षण में बहक जाता है इसलिये निभाने के लिये बिना शर्तो के जीवन बगिया खिलाने की बात हो रही है वासनाओ से ऊपर उठकर रूहानी प्यार की सोच विकसित हो रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #eternallove रूहानी प्यार की सोच विकसित हो रही #nojotohindi