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Neeraj Vats
White कितना भी लिख लूं, कितना भी गा लूं एक दिन रुक ही जायेगी मेरी ये जुबां। क्या कहते हो मां को शब्दों में लिख दूं पागल हो क्या शब्दों की इतनी औकात कहां ? ©Neeraj Vats #mothers_day #good_morning #goodvibes #Ma #motherDay कितना भी लिख लूं, कितना भी गा लूं एक दिन रुक ही जायेगी मेरी ये जुबां। क्या कहते हो
Shivkumar
" माॅं " माॅं का रक्त रगों में बहता उसे भुलाना मुश्किल है। रोम-रोम में कर्ज दूध का उसे चुकाना मुश्किल है ।। देती जन्म पालती हमको अमृत हमें पिलाती माॅं। हो गीले में तुरंत उठा ,खुद गीले में सो जाती माॅं।। क्या-क्या पीड़ा माॅं सहती है रखती मगर हिसाब नहीं । माॅं से बढ़कर इस दुनिया में होती कोई किताब नहीं। । सृष्टि व जग की सीमाऍं माॅं ममता का छोर नहीं । माॅं गोद ऑंचल की छाया मिलती कहीं और नहीं ।। प्यार की थपकी लोरी गा के माॅं सुलाती बाहों में । माॅं का हृदय प्यार का तो सागर झलके नेह निगाहों में ।। ©Shivkumar #माँ #माँ_का_प्यार #Mother #mother❤️ #mother_Love #Nojoto " माॅं " माॅं का रक्त रगों में बहता उसे भुलाना मुश्किल है।
Ankur tiwari
शौक सिंगार सब फबे खूब उनके पर सादगी में जान मोर लागे बड़ी बढ़िया दिलवा के तार मोर झन झन बाजे लागे जब पाहिने करेजा मोर मरून कलर सड़िया ©Ankur tiwari शौक सिंगार सब फबे खूब उनपर सादगी में जान मोर लागे बड़ी बढ़िया दिलवा के तार मोर झन झन बाजे लागे जब पाहिनेली जान मैरून कलर सड़िया
Ashutosh Mishra
Black --सुबह-- 🌹शुभ प्रभात🌹 जब मंदिर में घंटे बजें और मस्जिदों में हो अजान गुरूद्वारे में गुरूवाणी हो और गिरजाघर में बाजे धड़ियाल तब जानो हुई भोर चहुंओर मगन हो पंछी गाएं मुर्गा बोले कुक्डुकूं कोयल भी कुहुक कुहुक कर गीत सुनाऐ तब जानो हुई भोर जब सूरज की किरणे ले अंगड़ाई,धरती को चूमने लगें और झूमने लगे मद-मस्त पवन तब जानो सुबह हुई अलफाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #Morning जब मंदिर में घंटे बाजें और मस्जिदों मे हो अजान गुरूद्वारे मे गुरूवाणी हो और गिरजाघर में बाजे घड़ियाल तब जानो हो गई भोर #सुबह #शुभ
दूध नाथ वरुण
Black मन मेरे गीत कोई तू गा, अपने दिलबर को रिझाने को। तू करले ऐसा कोई जतन, रूठे दिलबर को मनाने को।। ©दूध नाथ वरुण #मन #मेरे #गीत #कोई #तू #गा
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
लिए त्रिशूल हाथों में गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा दो अर्ज़ मेरी भी। सुना हमने उसी दर से सभी पाते निवाले हैं ।।२ यही हमको निकालेंगे कभी बेटे बडे़ होकर । अभी जिनके लिए हमने यहाँ छोडे़ निवाले हैं ।।३ नहीं रोने दिया उनको पिया खुद आँख का पानी । दिखाते आँख अब वो हैं कि हम उनके हवाले हैं ।।४ किसी को क्या ख़बर पाला है मैंने कैसे बच्चों को वहीं बच्चे मेरी पगड़ी पे अब कीचड़ उछाले हैं।।५ यहाँ तुमसे भला सुंदर बताओ और क्या जग में । तुम्हारे नाम पर सजते यहाँ सारे शिवाले हैं ।।६ डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की । तेरे नज़दीक आते दिख रहे मुझको उजाले हैं । ७ प्रखर भाता नहीं बर्गर उन्हें भाता नहीं पिज्जा । घरों में रोटियों के जिनके पड़ते रोज़ लाले हैं ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लिए त्रिशूल हाथों में गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा द
संगीत कुमार
Meri Mati Mera Desh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा अपने को जनता का बेटा बता रहा घर घर सब से मिल रहा अपने को जनता का हितैषी बता रहा पैदल गाँव गाँव घूम रहा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहा अपना गुणगान गा रहा सबको उल्लू बना रहा चुनाव चुनाव में ही मिल रहा चुनाव जीतने पर जनता को भूल रहा अपना जेब सब भर रहा जनता का खून चूस रहा सब अपने को ईमानदार बता रहा सच्चाई ऐसा न दिख रहा दागी दोषी से है भरा पड़ा कोई जेल का चक्कर काट रहा तो कोई जेल से चुनाव लड़ रहा कुछ तो बीबी,बेटे को चुनाव उतार रहा कर जोड़ विनती कर रहा जाँच परख कर वोट डालना किसी के बहकावे में मत आना जर्जर हाल है शिक्षा व्यवस्था का महाविद्यालय, विश्वविद्यालय सिर्फ चमक रहा ज्ञान न अब उसमे मिल रहा नेतागिरी सिर्फ हो रहा प्रोफेसर साहब कक्षा में न दिख रहे लगता जैसे शिक्षण संस्थान बंद पड़ा अंचल, अनुमण्डल, जिला कार्यालय में लोग भटक रहे समय से न काम हो रहा पर नेता जी कहते खूब तरक्की हो रहा बाढ़ सूखे से ग्रस्त रहा नहर नाले का न व्यवस्था हुआ लोगों का जीवन बदहाल हुआ मच्छर सब जगह भनभना रहा अस्पताल सब गंदगी से भरापरा लोगों को उपचार न मिल रहा उद्योग धंधा कुछ न स्थापित हुआ जनता तो प्रांत छोड़ चला गुंडागर्दी दिख रहा लोग बात -बात पर लड़ रहा हाल बहुत बुरा है भैया जात पात से ऊपर उठना अच्छे प्रत्याशी को मिल चुनना चला दौर चुनाव का भैया ©संगीत कुमार #MeriMatiMeraDesh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा
Shailendra Anand
Village Life रचना दिनांक 14,,,3,,,2024,, वार,,,, शुक्रवार समय काल,, पांच बजे ््््निज विचार ््् ्््््छाया चित्र में भावचित्र खिंचती मुखपृष्ठ स्क्रीन पर मालवी से लोकगीत लोककथा नूक्कड लघु कथा सत्संग प्रेयर निमाडी आदिवासियों की लोक परमपरम्पराऐ में जन मानस जनजीवन पर जिंदगी में पर्व त्यौहार एवं फाग महोत्सव भगोरिया पर्व आदिवासी बहुल इलाकों में इस अवसर पर नयीनवेली नवयुगल में ब्याह शादी विवाह हो जाते है ्््् ्््््् घर आंगन चौक चौराहे पर हुड़दंग मचाने वाले लव में एक स्वर में प्रेम से अन्तर्मन में नाचते गाते नाचने लगे ।। ढोल बाजे बजने लगे नगाड़े बजाकर खुशी में रंगबिरंगे फूल और कांटे पथ्थर से अपनी दिशा लेकर बाजार में ,, शहर में हाट बाजार में एक साथ हंसी ठिठौली करते ।। फाग गायक फागुन गवैया सांझ ढले में ,, एक बार फिर मांद में जाम लगा ताड़ी पीती रहीं है।। ग्राम में शहर से हर एक को राह दिखाने मेंक्या हो प्यारा सा,, जीवन में एक दुसरे को तैयार होकर श्रंगार किया।। छैल छबीला रंग रंगीला बसंत रीतु और फाग महोत्सव,, पर जिंदगी को मस्त कर देख रही है ।। ्््््् ्््भावचित्र ्् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् ््््््दिनाक ्14 ,,,मार्च,,,2024,,, ©Shailendra Anand #villagelife भगौरियां आदिवासियों में खैलती फागुनी बयार में ढोल बाजे बजने लगे फाग महोत्सव मालवों और निमाडियो में होली की हुड़दंग मची है ्््््