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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

©मुझें लिखना आता है तभी तो मैं लिखती हूं.... जार जार होते अल्फ़ाज़ बिन्त हव्वा के हिस्से के रंजो अलम,वो मायूसी के आलम,वो शामो_ सहर जारों कता

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White ©मुझें लिखना आता है तभी तो मैं लिखती हूं....
जार जार होते अल्फ़ाज़
बिन्त हव्वा के हिस्से के रंजो अलम,वो मायूसी के आलम,वो शामो_ सहर जारों कतार अश्क, अलूदा चश्म से आलूदा  कजरारी पलके....
वो कुछ बुने हुए ख्वाब
कुछ गिले_शिकवे....?जो इब्न_आदम इल्म रखते हुए भी,औरत के अंतर्मन को जानबूझकर बेझिझक उसके द्वारा नजर अंदाज कर देना....
हां मैं लिखती हूं तरतीब से लफ्जों को पिरोकर,
तमाम आलमी औरत के अंतर्मन को,उनके मन में चलते शोरगुल करते सांय सांय सन्नाटे को....
गर रही हयात तो मै बहुत कुछ लिखूंगी इन
इब्न आदम पर भी ....
#Shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर ©मुझें लिखना आता है तभी तो मैं लिखती हूं....
जार जार होते अल्फ़ाज़
बिन्त हव्वा के हिस्से के रंजो अलम,वो मायूसी के आलम,वो शामो_ सहर जारों कता

बेजुबान शायर shivkumar

हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता | लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, प्यार का सफ़र हमदम देर त

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हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, 
कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता |

लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, 
प्यार का सफ़र हमदम देर तक नहीं रहता |

ऊँचे ऊँचे महलों की दास्ताँ ये कहती है, 
क़हक़हों का ये आलम देर तक नहीं रहता |

दिल किसी का टूटे या घर किसी का जल जाए, 
बेवफ़ा के दिल को ग़म देर तक नहीं रहता |

हो सके तो चाहत की चोट से बचे रहना, 
वर्ना ज़ख़्म पर मरहम देर तक नहीं रहता |

क्यों ग़ुरूर करते हो जा के तुम बुलंदी पर, 
शोहरतों का ये परचम देर तक नहीं रहता |

कौन जाने कब किस पर ज़िंदगी ठहर जाए |
कोई रुस्तम-ए-आज़म देर तक नहीं रहता ||

©बेजुबान शायर shivkumar हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, 
कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता |

लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, 
प्यार का सफ़र हमदम देर त

theABHAYSINGH_BIPIN

#fog वो हक जताती है कभी-कभी वो हक जताती है कभी-कभी, प्यार जताती है कभी-कभी। डूब जाओगे गहरी आँखों में, पलके झुकाती है कभी-कभी।

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वो हक जताती है कभी-कभी

वो हक जताती है कभी-कभी,
प्यार जताती है कभी-कभी।
डूब जाओगे गहरी आँखों में,
पलके झुकाती है कभी-कभी।

मासूमियत से भर जाती नज़रें,
आँखें झुकाती है कभी-कभी।
जज़्बातों को बयां किए बिना,
बहुत कुछ कह जाती है कभी-कभी।

कितनी गर्मजोशी है अदाओं में,
वो बिजलियाँ गिराती है कभी-कभी।
इशारों में कह जाती है बातें,
पास बुलाती है कभी-कभी।

वैसे गुस्से में लाल हो जाती,
शरमाती भी है कभी-कभी।
बातों में अपनी उलझा कर,
दिल चुराती है कभी-कभी।

इश्क़ का आलम कुछ ऐसा,
कि पास बुलाती है कभी-कभी।
दिल के करीब रहकर भी,
फासले बढ़ा जाती है कभी-कभी।

ख्वाबों में छुपा लेती है खुद को,
हकीकत में दिख जाती है कभी-कभी।
साज़िश सी लगती है ये मोहब्बत,
हद से गुजर जाती है कभी-कभी।

©theABHAYSINGH_BIPIN #fog 

वो हक जताती है कभी-कभी

वो हक जताती है कभी-कभी,
प्यार जताती है कभी-कभी।
डूब जाओगे गहरी आँखों में,
पलके झुकाती है कभी-कभी।

Shivkumar barman

इश्क की इंतेहा को हमने यूं ही छोड़ा नहीं, उसकी हर एक अदा में हम खो गए, रोका नहीं। दीवानगी का है आलम कुछ ऐसा हम पर, दिल भी उसका हो गया, और

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इश्क की इंतेहा को हमने यूं ही छोड़ा नहीं,
 उसकी हर एक अदा में हम खो गए, रोका नहीं।
 दीवानगी का है आलम कुछ ऐसा हम पर,
 दिल भी उसका हो गया, और हम भी अपने रहे नहीं।

©Shivkumar barman इश्क की इंतेहा को हमने यूं ही छोड़ा नहीं,
 उसकी हर एक अदा में हम खो गए, रोका नहीं।
 दीवानगी का है आलम कुछ ऐसा हम पर,
 दिल भी उसका हो गया, और

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#traveling nojoto life #New #viral #post #Trending फासलों से गुरेज क्या करना,फासले कुर्बते बढ़ाते है,बात तो सही है,अक्सर ये हिजरते भी कराते

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Unsplash फासलों से गुरेज क्या करना,फासले कुर्बते बढ़ाते है,
बात तो सही है,अक्सर ये हिजरते भी कराते है//१

मेरी कुर्बानिओं को भुलाकर अब मुझपे ऊँगली उठाते है,
लोगो ये नफरतों के आलम कैसे कैसे मन्सुबे बनाते है//२

बारहा लज्जतें तो उल्फत मे ही बरकरार रही है,हरसु
     वो खुदको बड़गर बताकर्,दूसरों को कमतर बताते है//३

या रब शादाब रख उनको जो जमीर से ज़िंदा है,
ये बेजमीर वाले तो इंसानियत को हद पार रुलाते है//४

देखा है"शमा"ने नफरतों मे फासला ए हिजरतों को,
रब्बा वो लोग कहाँ है जो खुलुस से दस्त मिलाते है//५
#Shamawritesbebaak 
१२/१२/२४ ✍️

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #traveling #nojoto #life #new #viral #post #trending फासलों से गुरेज क्या करना,फासले कुर्बते बढ़ाते है,बात तो सही है,अक्सर ये हिजरते भी कराते

Rabindra Kumar Ram

" मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये , इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये , आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की , तेरी

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" मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये ,
इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये ,
आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की ,
तेरी तलब अब भी ऐसी है जैसे की अभी अभी मुतमास हो ."

                                 --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " मैं अपने ख़सारे की बात कब तक करें कि जाये ,
इस दफा भी दिल को फिर बात की दुहाई दी जाये ,
आलम तेरे एहसासों अब भी जीने को बैठे ऐसे की ,
तेरी

Sarfaraj idrishi

एक रात एक बात लिखेंगे. हर कोई पढ़ सके एतना साफ लिखेंगे। कोई जज़्बात नहीं अपने ही अरमान लिखेंगे। हसीन आलम नहीं अपने ही हालात लिखेंगे. बहु

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Book quotes एक रात एक बात लिखेंगे
 हर कोई पढ़ सके एतना साफ लिखेंगे। 
कोई जज़्बात नहीं अपने ही अरमान लिखेंगे।
 हसीन आलम नहीं अपने ही हालात लिखेंगे.
 बहुत शिकयत है हमें तुझसे एक जिंदगी। 
अब तेरे बारे में मैं भी एक किताब लिखूंगा।

 लिखते-लिखते ख़तम ना हो जाए ये जिंदगी
 एक ही शब्द है मैं पूरी कायनात लिखूंगा...

©Sarfaraj idrishi एक रात एक बात लिखेंगे.
 हर कोई पढ़ सके एतना साफ लिखेंगे। 
कोई जज़्बात नहीं अपने ही अरमान लिखेंगे। 
हसीन आलम नहीं अपने ही हालात लिखेंगे.
 बहु
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