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Kumar Rohit

मेरी डायरी

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इस छोटी सी ज़िन्दगी में वैसे तो काफी बाते सीखने को मिलती है,
काफी धक्के लगते है,मग़र जो सबसे बड़ी सिख मिली, सबसे बड़ा धक्का लगा, वो ये हम किसी को कितना भी खास बनाले कितना भी वैल्यू देदे, कितना भी दिल से निभाये,मग़र रद्दी ही रहते है लोगो के नज़रो में, बिल्कुल उस अखबार की तरह जिसे लोग तो पहले पढ़ते है बड़े चाव से, जब पढ़ लेते जरूरत पूरी हो जाती, उठाकर फेक देते कचड़े में,
 ये सच है
जो अखबार की  कीमत सुबह अच्छी खासी होती
शाम होते ही रद्दी में बिक जाती।
फिर भी अखबार बहोत कुछ सिखाती है,
लोगो को जागरूक करती रहती है, दुआ देती रहती है।
🙏प्रणाम🙏

©Kumar Rohit मेरी डायरी

Kumar Rohit

मेरी डायरी #RIPRohitSardana

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#RIPRohitSardana इस टूटे हुवे दिल की आवाज़ को
अपने दिल की कलम के आवाज़ को
अपने एकतरफा मोहबब्त के प्यार को
इस ज़ख्म से भरे अपने दिल के दास्तान को
किसको सुनाऊं क्यों सुनाऊ किसी पथर दिल  बेज़ान को
अब तो लड़ लूंगा अपने आंसुओं से
लड़ लूंगा अपने रूह से
लड़ लूंगा हर उस उम्मीदों से
लड़ लूंगा इस टूटे दिल से
अब तो तनहाई भाने लगी
क्योंकि दर्द मेरी ज़िंदगी मे छाने लगी
अरे  मोहबब्त  तो  मौत  है
फिर भी इसका नशा मुझे  और झुमाने लगी
या ख़ुदा कर छोटी उस लकीरो को
अगर थोड़ी भी खुशी हो किस्मत में तो उन लकीरो को
क्योंकि अब गम ही हमे रास आने लगी।
🙏प्रणाम🙏

©Kumar Rohit मेरी डायरी

Kumar Rohit

मेरी डायरी #RIPRohitSardana

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#RIPRohitSardana आप कितना भी किसी रिश्ते को संभाल हो
कितना भी सम्भल कर चलो ठोकर लग ही जाती है
आप गलत हो  या सही  आजकल के रिश्तों
ये मायने नही रखता, मायने तो ये रखता,
आपसे मतलब कब तक था,
मतलब खत्म रिश्ते खत्म,हंसी आती है
उन लोगो से, दिलो के चोर जैसे
लोगो से, मन टूट जाता जब ये पता चलता,आपकी अहमियत कितनी है,
जितना आपने निभाया,क्या उतना पाया,
नही क्यों क्योंकि आप गेलतफहमी मे जी रहे थे, गेलतफहमी थी मोहबब्त जितनी हमने दी, उन्होंने बस टाइम पास किया,
इस टूटे हुवे दिल को उदास किया।
🙏प्रणाम🙏

©Kumar Rohit मेरी डायरी

Kumar Rohit

मेरी डायरी

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बस इतना बस इतनी सी है बात हमारी,
लगती हो हमको बहोत प्यारी,
खवाबो में आते हो रात को,
 क्यों दिल को चुरा लेती हो  हमारी
हर पल सोचूं मैं तुम्हे,
पता नही ना समझू मैं,
नादान नही पर बन नादान मैं
सब कुछ जान कर भी रह जाऊँ अनजान मैं,
तड़प जाता मैं उस वक़्त,
जब नही देते तुम वक़्त,
लगाऊँ उम्मीद इतना ही,
दो कुछ ना बस वक़्त थोड़ा सा या हो जितना ही,
पता है हर इंसान परेशान यहाँ,
कोई नही खुश यहाँ,
कुछ पल निकाल मेरे लिए भी,
क्योंकि चल रहा अभी मौत का मंजर यहां,
काश समझ पाते मेरी बात को
 फिर  कभी नही करते आघात दिल को,
रह जाती कहानी हमेशा अधूरी हमारी,
घिसी पीटी सी है तकदीर हमारी,
बस इतनी सी है बात हमारी....
🙏प्रणाम🙏

©Kumar Rohit मेरी डायरी

Kumar Rohit

मेरी डायरी

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मेरी दुआ  पता नही क्या गुनाह हुई जो सजा हमे  मिली,
जब था नही मुक्कमल भी क्यों वो शख्स थी हमे मिली
लगता लिखा खुदा ने मुक्कदर  में मेरे रोना
हम भी है वो बदनसीब जिसके हाथो
मिला था अधूरी मोहबब्त नाम का खिलौना
टूट गया अब  खिलौना वो जो सोचा नही था
पड़ेगा खोना
चार दिन की ज़िंदगी दी ख़ुदा ने
उसमे भी लिख दी हमेशा रोना ,
ऐ मौत आ जरा लगा ले गले हमे
रुख़शत सी हो गयी अब ज़िन्दगी से
जिसको समझ बैठे सोना ।
अब तो डर नही दुख से लगता
ज़िन्दगी  है तंगहाल सा 
रहो खुश हमेशा खुदा करे
मुस्कुरा एक बार , सुन  और  आ  टूटे आदमी दुआ लोना ।🙏 प्रणाम🙏

©Kumar Rohit मेरी डायरी

Kumar Rohit

मेरी डायरी

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उनकी यादो ने हमे कुछ इस कदर दिया है तोड़,
अब ना मिले चैन मुझे ना कोई मिला जोड़ ।
मुस्कुराहट जो  देखी थी तूने ,
हुनर है वो मेरा, मुस्कुराने  की कला वो 
 जिन्होंने ने सिखाया है वो  माँ  है मेरी ।
कहूँ क्या तुझसे ज़िन्दगी
शाम खत्म भी है तुझसे ,
सुबह की शुरुवात भी है तुझसे ।
कर याद ना कर,
दिखा ईगो पर इग्नोर ना कर 
क्योंकि रूह जुड़ चुकी है तुझी से ।
हालात ऐसी हो चुकी मेरी ,
भूलना चाहूँ भुला ना पाऊँ यादो को तेरी ।
कुछ तो लोग कहते है ,
हम सभी की बातों को सहते है ।
नियत  साफ है फिर भी पता नही क्यों गलत समझते है ।
तुझे भूल जाऊँ अब ये मुमकीन नहीं ,
तुम याद ना आओ ऐसा कोई दिन नहीं ।
दिल   है   मेरा   तुम  धड़कन   हो  मेरी ,
छोड़  दूंगा  कैसे  सांस  निकल जायेगी मेरी ।
इस टूटे हुवे दिल  से निकल जाती जब अलफ़ाज़ मेरे,
उतार देता कागज़ पर  स्याही आँसु बन जाते है मेरे ।
अब ये जो वीरानगी छाई है,
ये  अंतिम  अलफ़ाज़ मेरे दिल से आई है ।
की तन्हा ये शमा है,
अब तो हर जगह  शोर थमा है ।

🙏प्रणाम🙏

©Kumar Rohit मेरी डायरी

Kumar Rohit

मेरी डायरी

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ज़रूरी है  कोई भी रिश्ते की पवित्रता  भरोषा विश्वाश है,आप साथ हो दुनिया की नजरों में पर दिलो में दूरिया हो,
रिश्ता तो वो है कि आप साथ ना हो,
बात भी ना हो, फिर भी एक अजीब सी बैचैनी हो, उम्मीद हो, फिक्र हो, कोई ख्वाहिश ना हो,
कुछ पाने की उम्मीद ना हो,
फिर भी चाह हो, एक तरंग हो , एक उमंग हो,
जैसे ज़मीन और आसमान काफी दूर है, कभी साथ नही हो सकते,
फिर भी जब भी बारिश होती बादलो से ज़मीन को छू जाती एक सुकून मिलता,
उम्मीद की,
हर  खामोश रात डरावनी नही होती,
हर  खामोश अंधेरा बेगानी नही होती,
हम तो जी रहे उम्मीद से इतना,
पाना  नही  ना   है  खोना,

हम तो ठहरे  चाँद ईद का,
रहते है तारो के बीच,
रहकर भी हज़ारो तारो  के बीच,
पर  स्पेशल  बादलो  के  बिना, किसी  से  अब  दिल  की  दिल से बात नही  होती,
🙏प्रणाम🙏

©Kumar Rohit मेरी डायरी

Kumar Rohit

मेरी डायरी

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उनसे दूर डरता हूँ तन्हाइयो से
डर लगता खामोशियों से
डर लगता इस बेरुखी सी मौसम से
डर लगता इस अंधेरे से
डर लगता है हर उस शख्स से
जो पहले दोस्ती करते 
फिर लेते है भरोसे में
फिर निभा ना सके
नाम देते मजबूरी को
डर लगता हर उस इंसान से
हर उस झूटी मुस्कान से
डर लगता उन कातिल निगाहों
जो पहले करते घायल
फिर कर देते अनदेखा 
दूर कर देते अपनी बाहों से
पता नही कैसी इम्तिहान है 
ज़िन्दगी की
जिसको जितना मन से माना
उन्होंने उतना दिया ताना
इसी का नाम ज़िंदगी है
और इसी तरह ही गुजर जाना
🙏प्रणाम🙏

©Kumar Rohit मेरी डायरी

Kumar Rohit

मेरी डायरी

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जाने जिगर  खामोशियों के समुन्द्र में तूफान जब आ जाता है,
टूटे हुवे दिल मे बेक़रारी बढ़ जाता है,
है दिल की तमन्ना ये पास वो आ जए जब
एक मस्तानी शाम की घटाओ में शमा बन्ध जाता है, अगर आप किसी को चाहो, और वो आपको वक़्त ना दे, घबराओ मत उसे अनदेखा करना शुरू कर दे, अगर वो आपको सच्चे दिल से चाहता होगा आपको जरूर ढूंढेगा,अगर ना ढूंढे तब समझलो आपका प्यार एक तरफ है.

©Kumar Rohit मेरी डायरी

Kumar Rohit

मेरी डायरी

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प्यारे दोस्त  एक शायर की ग़ज़ल से मिलती रूह को सुकून.
दर्दो में टूटे हुवे अल्फाजो से मिले  तन्हाइयो में 
जैसे कोई अंधेरो में रोशनी मिल जाये जुगनू से.
इस दिल मे दर्द इतना जैसे
समुन्द्र के पास रहकर भी कोई मुसाफ़िर हो प्यासा.
दिन के उजालो में  तो कट जाती है ज़िन्दगी
काटे नही कटे जो वो है  रात की ख़ामोशी.
गमो में भी मुस्कुरा लू है ये फ़ितरत 
खुशी  नही आती  ज़िन्दगी में
जिसकी होती सबको ज़रूरत.
ज़ज़्बातों को  दिल  मे छिपा लेता हूँ
दर्दो को अल्फाजो में  आंसुओं  के स्याही  से  बहा देता
हुं
कितना भी टूट जाऊँ मैं , कितना भी बिखर जाऊँ मैं,
हुँ इतना मज़बूत, गम में भी मुस्कुरा देता हुँ.
🙏प्रणाम🙏

©Kumar Rohit मेरी डायरी
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