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Shubham Pandey gagan

सोचता हूँ मैं बरगद बन जाऊं उम्र भर फिर ये रिश्ता निभाऊं बीत जाए सदियाँ धरती पर कितनी मैं बदलते सारे वक्त देख पाऊँ जब गुजर जाए ज़माना यहां आन #नज़्म #हिंदी #उर्दू #nojohindi

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सोचता हूँ मैं बरगद बन जाऊं
उम्र भर फिर ये रिश्ता निभाऊं
बीत जाए सदियाँ धरती पर कितनी
मैं बदलते सारे वक्त देख पाऊँ
जब गुजर जाए ज़माना यहां
आने वाली पुश्तों के घर बनाऊं
मेरी ऐंठी हुई लकड़ियों से
सबके बन पलंग उन्हें सुलाऊँ
आने वाली नस्लें से सुनकर नाम
मैं खुद ही खुद पर इतराऊँ

शुभम पांडेय गगन

©Shubham Pandey gagan सोचता हूँ मैं बरगद बन जाऊं
उम्र भर फिर ये रिश्ता निभाऊं
बीत जाए सदियाँ धरती पर कितनी
मैं बदलते सारे वक्त देख पाऊँ
जब गुजर जाए ज़माना यहां
आन

Dalip Kumar Deep

🍂🍁 सुलगती लकड़ियों की तरह मेरे संग जल ज़रा🍁🍂🍂 🌿🌿 शायर तेरा🌷

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हैं दौर गर्दिशों के अय
दिल संभल ज़रा
मौसम तो बदल 
ही जायेंगें तु भी 
बदल ज़रा
कितनी ही हसरतों 
को धुँआ बना के 
उड़ा दिया
सुलगती लकड़ियों
की तरह मेरे संग 
जल ज़रा
क्या मायने रहे चिराग
के अंधेरों से पुछिये
दो कदम कभी तो 
साथ रोशनी में 
चल जरा
बे-मौसमी बरसातों के
दिल बड़े नहीं होते
तेरे कदमों की आहटों 
से न जाये दहल ज़रा
हम फिर नज़र न आयें
शायद खिड़की से तेरी
चेहरा दिखा दे आज
घर से निकल ज़रा

©Dalip Kumar Deep
  🍂🍁 सुलगती लकड़ियों 
की तरह मेरे संग जल ज़रा🍁🍂🍂
🌿🌿 शायर तेरा🌷

Sarita Shreyasi

वह भक से जल उठती है, धप्प से बुझ जाती है, क्यूँकि उसे अच्छा नहीं लगता, गीली लकड़ियों-सा सुलगते रहना, मिथ्या दंभ और टूटे स्वाभिमान, के कड़वे #Fire #Woman #Hindi #yqbaba #yqdidi #Flame

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वो भक से जल उठती है,
धप्प से बुझ जाती है,
क्यूँकि उसे अच्छा नहीं लगता,
गीली लकड़ियों-सा सुलगते रहना,
मिथ्या दंभ और टूटे स्वाभिमान,
के कड़वे निवाले निगलते रहना। वह भक से जल उठती है,
धप्प से बुझ जाती है,
क्यूँकि उसे अच्छा नहीं लगता,
गीली लकड़ियों-सा सुलगते रहना,
मिथ्या दंभ और टूटे स्वाभिमान,
के कड़वे

Himanshu Prajapati

#holikadahan जला दो हर बार की तरह इस बार भी लकड़ियों का गठ्ठल आग में, देकर नाम फिर से त्योहार का, फिर से शुरू हो जाएगा कल से वही सिलसिला दिख #विचार

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जला दो हर बार की तरह इस बार भी
लकड़ियों का गठ्ठल आग में,
देकर नाम फिर से त्योहार का,
फिर से शुरू हो जाएगा कल से वही सिलसिला
दिखावे प्यार का, मतलब व्यवहार का,
जलन अंदर से, बाहर जुबान पे यार का,
दूसरों की बुराई,‌ दो नम्बर व्यापार का,
एक एक ने मिलकर बिगाड़ा है 
सुंदरता इस संसार का..!









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©Himanshu Prajapati #holikadahan जला दो हर बार की तरह इस बार भी
लकड़ियों का गठ्ठल आग में,
देकर नाम फिर से त्योहार का,
फिर से शुरू हो जाएगा कल से वही सिलसिला
दिख

MDN ALiPura

हमने तो अपनी चिता की लकड़ियों का इंतजाम कर लिया है बाकी आपकी मर्जी ? मदनरिंकू 🙏🙏🙏 Astha Singh Reenu Anu Internet Jockey Satyaprem Haimi Kuma #विचार

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 हमने तो अपनी चिता की लकड़ियों का इंतजाम कर लिया है बाकी आपकी मर्जी ? मदनरिंकू
🙏🙏🙏 Astha Singh Reenu Anu Internet Jockey Satyaprem Haimi Kuma

Kunal chouhan

न दिल से न दिमाग से हैप्पी दिवाली तन से मन से और धन से #कविता #nojotophoto

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 न दिल से न दिमाग से हैप्पी दिवाली तन से मन से और धन से

love

कसम से कसम से #Love

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Shubham Dwivedi

दिल से दिल से

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मिलेंगे कभी तो खूब रुलायेंगे उसे..
💕
सुना है…रोते हुये..लिपट जाने की
 आदत है उसकी.. #NojotoQuote दिल से 
 दिल से

Mamta choudhary

दिल से नहीं हाथों से लिखो हाथों से #शायरी

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सब जानते हैं हाथों से लिखा जाता फिर भी पता नहीं दिल से लिखो दिल से लिखो दिल से लिखो क्यों बोलते रहते हैं

©mamta choudhary दिल से नहीं हाथों से लिखो हाथों से

Prem Nirala

घास पे शबनम ने भी अब बैठने को मना कर दिया हैं, आईंने ने भी मेरा चेहरा देखना अब मना कर दिया हैं! जनवरी खत्म होने को हैं, मैं अब भी ठंड से ठि #prem_nirala_

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घास पे शबनम ने भी अब बैठने को मना कर दिया हैं,
आईंने ने भी मेरा चेहरा देखना अब मना कर दिया हैं!

जनवरी खत्म होने को हैं, मैं अब भी ठंड से ठिठुर रहा हूँ,
जलती लकड़ियों ने भी अब सुलगना मना कर दिया हैं!

मैं जानता हूँ, उसकी भी ख़ामोशी सब से छुप के रो रही होगी,
उसके घर वालों ने अब उसका घर से निकलना मना कर दिया हैं!

prem_nirala_ घास पे शबनम ने भी अब बैठने को मना कर दिया हैं,
आईंने ने भी मेरा चेहरा देखना अब मना कर दिया हैं!

जनवरी खत्म होने को हैं, मैं अब भी ठंड से ठि
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