Find the Latest Status about लोककथा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लोककथा.
Govinda Saini
एक बूढी दादी रोज भगवान का भजन करती थी। एक दिन भगवान ने दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा, बूढ़ी दादी सोच में पड़ गई और कुछ मांग ना सकी भगवान ने फिर कल मांगने की कहकर अन्तर्ध्यान हो गये।अगले दिन दादी ने अपने बेटे पूछा क्या मांगू बेटे ने कहा धन मांग लेना बहू ने कहा पोता मांग लेना पड़ोसन ने कहा अपनी आंखो की रोशनी मांग लेना।और अगले भगवान फिर आए और मांगने को कहा बूढ़ी दादी ने कहा भगवन मै चाहती हूं कि मै अपने पोते को सोने के कटोरे दूद पीता हुआ देखू भगवान जी ने कहा तुमने सब कुछ तो मांग लिया। लोककथा
Srilatha Gugunta
Pumpkin Village: Once upon a time, there lived a group of people who wandered into many lands and pitched their tents to a place on a full moon day. The moon was bright and this pushed them to drawn their frontiers. Unknown, to the happenings around in that place, the latterns were lit and the patterns were drawn on the ground. Merry the faces in joy and the fragrance of the happiness inherited nigh. The time seemed more content than little bitter. As the drooping eyes bid adieu to the moon, the crawl of the stalk vandalized the ground embedding so firm by raising the picthed tents. The fortifications of the frontiers were as high as one can touch the moon with bare hands. The raise of big creeping plants became a celebration turning "every witnessed eye or ear turns into a pumpkin". At first, the head of the group came out on hearing the crawling noise and as he witnessed the ravage, there you go, "every witnessed eye or ear turns into a pumpkin", soon he turned into a pumpkin. One by one, one after the other, soon the whole group turned into a pumpkin. Since, then the village is called "Pumpkin Village", waiting eagerly for any passersby.. Hello Resties! ❤️ Day 22 of #RzGeDiMo brings to you a chance to depict your ethnicity by penning a folktale! 😍 • Remember the stories of t
Naresh Chandra
बाबा बर्फानी गतांक से आगे..🙏 ©Naresh Chandra नीलमत पुराण और बृंगेश संहिता में अमरनाथ। नीलमत पुराण, बृंगेश संहिता में भी अमरनाथ तीर्थ का बारंबार उल्लेख मिलता है। बृंगेश संहिता में लिखा ह
Aprasil mishra
" वैश्विक महामारी के व्यापक संक्रमण से सुरक्षार्थ देशव्यापी जन एकांतवास के सुअवसर पर रिक्त समयों के सदुपयोग हेतु हमारे कुछ अनुकरणीय सुझाव। " (अनुशीर्षक में👇) ******************************** घर में रहने की शिल्पकला को जीवनदान दिया जाये, दादा-दादी सुत प्राणप्रिया को खोया मान दिया जाये। है चन्द्र-
Anil Ray
लोककथा.............✍🏻 इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि इतिहास में महिलाओं का जितना योगदान है उतना ही इतिहास के पन्नों में उनके लिए कम लिखा गया है या यूँ कहे तो लिखा ही नहीं गया क्योंकि ये पुरुष प्रधान समाज है और पुरुष प्रधान समाज महिलाओं को अपना आदर्श बनाने में हिचकिचाते है। खैर ये वीरगाथा है मैवन्द की मलालाई की..... इतिहास में शायद इस अफगानी बहादुर लड़की के बारे में कम लिखा गया है सो हम लिख रहे हैं.......✍🏻 (शेष अनुशीर्षक में पढ़ें 👇🏻) ©Anil Ray कहानी है अफ़ग़ानिस्तान की लोक कथाओं में रहती एक बहादुर लड़की की, जिसका नाम था मैवन्द की मलालाई... कहानी शुरू होती है 1880 के अफ़ग़ान-ब्रिटेन
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की लोहड़ी का त्योहार हर साल देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार का लोगों के बीच हमेशा से ही एक खास क्रेज होता है.नाच गाने से सजा ये त्योहार खुशियों से भरा होता है. यह त्योहार किसी उत्सव की तरह से मनाया जाता है. लोहड़ी के त्योहार में आग का अलाव जलाने का खास महत्व होता है इसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी, मूंगफली को हर कोई चढ़ाता है..., लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल तथा रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गया। मकर संक्रांति के दिन भी तिल-गुड़ खाने और बांटने का महत्व है। पंजाब के कई इलाकों मे इसे लोही या लोई भी कहा जाता है..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की मान्यता के अनुसार लोहड़ी का त्योहार शीतकालीन संक्रांति के गुजरने का प्रतीक है. यही कारण है इस खास पर्व को सर्दियों के अंत का प्रतीक भी माना जाता है. लोहड़ी का ये पर्व मकर संक्रांति से ठीक एक रात पहले धूमधाम से मनाया जाता है, जिसे माघी के नाम से भी जानते हैं. दरअसल चंद्र सौर विक्रमी कैलेंडर के सौर भाग के अनुसार और आमतौर पर लोहड़ी के पर्व को हमेशा ही 13 जनवरी को घरों में मनाया जाता है...,पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव खास महत्व रखता है। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है। प्राय: घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत विशेष होती है। इस दिन बड़े प्रेम से बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की लोहड़ी के त्योहार पर दुल्ला भट्टी की कहानी को खास रूप से सुना जाता है. दुल्ला भट्टी मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के वक्त पर पंजाब में रहता था. मध्य पूर्व के गुलाम बाजार में हिंदू लड़कियों को जबरन बेचने के लिए ले जाने से बचाने के लिए उन्हें आज भी पंजाब में एक नायक के रूप में माना और याद किया जाता है. कहानी में बताया गया है कि उन्होंने जिनको बचाया था उनमें दो लड़कियां सुंदरी और मुंदरी थीं, जो बाद में धीरे-धीरे पंजाब की लोककथाओं का विषय बन गईं थीं...,वैसाखी त्योहार की तरह लोहड़ी का सबंध भी पंजाब के गांव, फसल और मौसम से है। इस दिन से मूली और गन्ने की फसल बोई जाती है। इससे पहले रबी की फसल काटकर घर में रख ली जाती है। खेतों में सरसों के फूल लहराते दिखाई देते हैं..., आखिर में एक ही बात समझ आई की लोहड़ी के गीत का है खास महत्व..., लोहड़ी का त्योहार बिना गीत के अधूरा माना जाता है. बच्चे हों या फिर बड़े सभी लोहड़ी त्योहार पर पारंपरिक लोक गीतों को आग के आस पास घूम-घूम कर और घर-घर घूमकर गाते हैं, इन गीतों में “दुल्ला भट्टी” का नाम भी शामिल होता है. घरों में लोहड़ी को मांगने की रिवाज होती है. कहा जाता है कि बिना लोहड़ी के पारंपरिक गीतों के त्योहार अधूरा रहता है. लोहड़ी के फेमस पारंपरिक गीत सुंदर मुंदरिये ! …………हो तेरा कौन बेचारा, …………हो दुल्ला भट्टी वाला, ………हो दुल्ले घी व्याही, …………हो सेर शक्कर आई, ……………हो कुड़ी दे बाझे पाई, …………हो कुड़ी दा लाल पटारा, ………हो बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! If the guidance is right then everything is right, if the determination is strong then nothing is difficult. 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 If the guidance is right then everything is right, if the determination is strong then nothing is difficult. ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️जीवन 📖की पाठशाला 🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की लोहड़ी का त्योहार हर साल देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार का लोगों के बीच हम
anil kumar y625163
Mamta Singh
एक स्त्री अगर प्रेम करती है तो सिर्फ प्रेम करती है कोई हद नहीं रखती पर अगर विरक्त हो जाये कोई सरहद उसे नहीं रोकती... (अनुशीर्षक में पढ़े) एक स्त्री के प्रेम,सम्मान, और स्वाभिमान की कहानी मेरी सोना के पहले प्यार की कहानी मां नर्मदा 🙏 के उद्दभव की कहानी.. Eshu Anju Singh Archana Shukla✍️ AK Alfaaz... Disha Singh चिरकुंवारी नर्मदा की अधूरी प्रेम-कथा;- कहते हैं नर्मदा ने अपने प्रेमी शोणभ