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Stories related to टखनों में सूजन के कारण

Anuradha T Gautam 6280

जिंदगी के सफर में

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Unsplash वो मुझे जिंदगी के
 तौर तरीके सीख रहा था 
 और उसे क्या पता
 इस जिंदगी की गुरु मां 
तो मैं ही थी..🖊️
#@2🤦🏻🙆🏻‍♀️

©Anuradha T Gautam 6280 जिंदगी के सफर में

Harshit Tyagi

हर घर के आंगन में तुलसी होनी चाहिए ।

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आप सभी को तुलसी पूजन 
की हादिक शुभकामनाएं
🙏

©Harshit Tyagi हर घर के आंगन में तुलसी होनी चाहिए ।

Ghumnam Gautam

मक़ाम पाया है रोशनी ने तुम्हारे चेहरे पे आके आख़िर
तुम्हारे कारण ही हो सका है हमारा परिचय भी रोशनी से

©Ghumnam Gautam #रोशनी 
#परिचय 
#ghumnamgautam 
#कारण

Kulvant Kumar

शैतान हमेशा सुंदर के लिबाश में रहेता है

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नवनीत ठाकुर

हर राह में बस प्यार के दीप जलाएं।

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भाईचारा हो जहां, वहां अमन का राज है,
सपनों से सजी दुनिया का यही आगाज़ है।

आओ इस अनमोल जज़्बे को और फैलाएं,
इंसानियत के फूल हर बगिया में खिलाएं।
हर राह में बस प्यार के दीप जलाएं।

©नवनीत ठाकुर हर राह में बस प्यार के दीप जलाएं।

F M POETRY

#मनाने रूठने के खेल में हम.....

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White मनाने रूठने के खेल में हम..

बिछड़ जायेंगे ये सोचा नहीं था..


यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #मनाने रूठने के खेल में हम.....

जय सिंह यादव

विष्णु# के चरणों# में लक्ष्मी# जी के# चरण#

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Praveen Jain "पल्लव"

#teatime तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है

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पल्लव की डायरी
अस्तित्व किस किस का डूबा
उबाल की सियासतों में
जिक्र कही उनका नही है
कितने उसूल तोड़े 
तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है
अदरक की तरह कुटा पिटा आमजन
तब कही जाकर 
सत्ता की चाय का स्वाद आया है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #teatime तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है

Poet Kuldeep Singh Ruhela

#love_shayari #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे मे

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White #कभी खामोश रहता हूं 
कभी में गुनगुनाता हूं
तेरी चाहत के समंदर में
 हमेशा में डूब जाता हूं 
में बदनसीब हूं तेरी चाहत 
के नशे में यार फंस जाता हूं
तेरी महफिल में आके अपनी
चाहत के किस्से सबको सुनाता हूं

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #love_shayari #कभी खामोश रहता हूं 
कभी में गुनगुनाता हूं
तेरी चाहत के समंदर में
 हमेशा में डूब जाता हूं 
में बदनसीब हूं तेरी चाहत 
के नशे मे

नवनीत ठाकुर

#वक्त के आगोश में खोए लम्हों की सदा

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वक्त की आगोश में खोए लम्हों की सदा

दिन का उजाला काली रात में जब घुल सा जाता है,
काले बालों पर सफेदी का रंग यूं धीरे-धीरे छाता है।

दरख़्तों को देखता हूँ, जो कभी थे हरियाली की मिसाल,
अब बिन पत्तों के खड़े हैं, वक्त का ये भी एक हाल।
ग्रीष्म में जो राहगीरों को ठंडक पहुंचाते थे हर बार,
आज वो सूखे ढेरों में बदल गए, जैसे वक्त ने की है मार।

तब सोचता हूँ, तेरी खूबसूरती का क्या होगा अंजाम,
इस वक्त के साये में, रहेगा क्या तेरा कोई नाम? वक्त की धार हर हुस्न को मिटा के जाती है,
नई खुशबू के संग पुरानी यादों को दबा जाती है।

वक्त की दराँती से कौन बच सका है यहाँ,
किसे है खबर इस सफर की आखिरी मंजिल है कहां?
पर एक उम्मीद है, जो तेरी बनाए रखेगी पहचान,
 जो तेरा नाम यूं ही रोशन करेगी, वो है तेरी संतान।

©नवनीत ठाकुर #वक्त के आगोश में खोए लम्हों की सदा
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