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Seema Rai
Black ये मई का महीना हैं साहब यहाँ लू में जलना भी होगा और बारिश का इंतजार करना भी होगा ठीक उसी तरह ये जिंदगी है साहब यहाँ जीना भी पड़ेगा और रोज घुट - घुट कर मरना भी पड़ेगा ©Seema Rai #मई का महीना
Mohit Gupta
Black यह थो सच है मेरे लिए अप्रैल का महीना बहुत बुरा है क्योंकि आज तीन साल हो गए आज के दिन ही उस श्क्स से आखरी बार बात हुई उस दिन उससे सारे रिश्ते खत्म हो चुके ते जिसको मैं अपना सब कुछ मान चुका था बंदर कहके बोलती मुझे हालाकि इतने वक्त साथ नहीं ते पर जितने दिन ते बहुत अच्छे से गुजरे ते ,आज जब उस गली को देखा जिसमें मैं उससे मिला था , पता नही क्यों वो पुराने दिन सामने आगया,अब थो उससे देखे हुऐ भी काफी टाइम हो गए (🥰टू बंदरी 🥰) और इस अप्रैल के महीने मे एक खास दोस्त से जो मेरी हिम्मत थी उससे दोस्ती का रिश्ता कुछ इस तरह टूटा जो अब कभी दुबारा नही बन सकता , पर अब कोई बात नही जिसमे उसकी खुशी उसमे मेरी,मुझे कहती थी मैं दुनिया की सबसे अमीर लड़की हूं की मेरे पास तुझ जैसा दोस्त है , इतना कहना चाहता हु कभी उस मोड़ पर मत जना जिस जगह तुझको दर्द और मम्मी पापा को दुख हो।। अब सब कुछ मैने उस महाकल पर छोड़ दिया है जैसी उसकी मर्जी मुझे मंजूर है ।।। ©Mohit Gupta अप्रेल का महीना सबसे बुरा है ।
Shashi Bhushan Mishra
White यह इलाज है इस मन का, ध्यान करो तुम जीवन का, सुंदर भुवन मिला सबको, ख़्याल रखो मानव तन का, ऋषि-मुनियों की धरा यही, आभारी हूँ कण-कण का, सागर सरिता पर्वत सब, यह निवास गोवर्धन का, शिक्षा-दीक्षा संस्कार सब, संसाधन ज्ञान संवर्द्धन का, मानवता की सेवा करना, सर्वोत्तम सुख निर्धन का, अवसर का कर सदुपयोग, है मंत्र यही अब गुंजन का, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #यह इलाज है इस मन का#
एज़ाज़ बेबाक़
White गुनाह करके सर कहां छुपाओगे यह जमीन आसमान उसी का है @एज़ाज़ बेबाक़ ©एज़ाज़ बेबाक़ #eidmubarak गुनाह करके सर कहां छुपाओगे यह जमीन आसमान उसी का है
Richa Dhar
घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना और कनखियों से मुझे भी देखना मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी सब कुछ याद है मुझे याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के अपनी हथेलियों को गीला कर लेना और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना और मेरे मन को भिगो देना..... ©Richa Dhar #loyalty सावन की घटा
लेखक ओझा
सावन भादों घिर आते है जब अपने भी जेठ आसाढ बन जाते हैं।। ©लेखक ओझा #Dhund सावन भादो
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Village Life ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२ चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे । करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३ लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से । जिगर तू थाम लेना बस मुहब्बत का महीना है ।।४ अभी आयी जवानी है सँभलकर तुम जरा चलना । कदम बलखा न जाये अब नज़ाकत का महीना है ।।५ खिले जो फूल गुलशन में उन्हें कच्ची कली मानों भँवर को भी बता दो अब हिफ़ाज़त का महीना है ।।६ प्रखर से सीख लो कुछ इल्म झूठी इन रिवायतों के । बता देगा तुम्हें वो भी तिज़ारत का महीना है ।।७ २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं