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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल:- वो ख्वाबों की दुनिया सजाने लगे थे हमें देखने आने जाने लगे थे ।। छुपाने पड़े थे हमें भी तो आँसूँ । सनम दूर हमसे जो जाने लगे थे ।। नज़र जब कभी इत्तफाकन मिली तो उन्हें देख कर मुस्कराने लगे थे ।। यहाँ चाँद सबको कहाँ मिल सका है । चरागों से जीवन बिताने लगे थे ।। कभी चैन हमको न आया किसी पल । सुनो हाल दिल जब छुपाने लगे थे ।। अभी भी तरसती है आँखें उन्ही को । जिन्हें दिल में अपने बसाने लगे थे ।। हुए दूर हमसे वही आज फिर से । जिन्हें ज़िन्दगी हम बनाने लगे थे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:- वो ख्वाबों की दुनिया सजाने लगे थे हमें देखने आने जाने लगे थे ।। छुपाने पड़े थे हमें भी तो आँसूँ । सनम दूर हमसे जो जाने लगे थे ।। नज़र जब
हिमांशु Kulshreshtha
White जब तन्हाई दर्द देने लगे पुकार लेना हमें छोड़ कर तुम गए थे हम आज भी खड़े है कूचा ए इश्क़ में ©हिमांशु Kulshreshtha जब..
healthdoj
@healthdoj ©healthdoj जब पानी के लिए मिट्टी के घड़े थे, तब हम बीमारी से...? #trending #viral #fbpost #health #Healthy
Dev Rishi
ताज की महक तुम हो ये लिबास पहनी क्या तुम हो वो कौन थे समाज के चंद लोगों में शामिल मज़ाक हर जात का उड़ा रहे थे क्या तुम थे..? ©Dev Rishi #तुम थे
Sagar Parasher
ना निकलने दिया एक भी आँसू, जब वो दूर हमसे जा रहे थे। एक एक कदम बढ़ाते हुए, मेरे सपनों को दफ़ना रहे थे। हम-नवाई के मंजर थे हर कहीं, बस हम चलते जा रहे थे। इतनी भी नकारा ना की थी मोहब्बत, जो धोखे हम ये खा रहे थे। ना पलट कर देखा उसने एक बार भी, हम ना नजरें उनसे हटा पा रहे थे। आंखों में उफनता समन्दर था, और वो वादे मुझे याद आ रहे थे। कहते थे धूप हो या फिर हो छांव, हर सुख दुख में साथ निभाएंगे। वो सपना था या ये सपना है, कैसे खुद को हम समझाएंगे। वो जो फ़ूलों से सहेजे थे सपने, कैसे उनको हम दफ़नाएंगे? हंसेगा आलम जब भी देखकर, कैसे उनको हम बतलाएंगे? अब ना सीखा किसी से मैंने लिखना, जाने ज़माना क्या पढ़ लेता है। जब जब लिखता हूँ मैं अपने दर्द को, उसे वो अपनी ही कहानी कहता है। ©Sagar Parasher ना निकलने दिया एक भी आँसू, जब वो दूर हमसे जा रहे थे। _Sagar Parasher 31.03.2024
bhim ka लाडला official
Chinka Upadhyay
जिंदगी वो पुराना ज़माना ही अच्छा था, वो वक्त पुराना ही अच्छा था, जब हमें न किसी बात की फिक्र हुआ करती थी, न भविष्य की कोई चिंता हुआ करती थी, दिल खोलकर बोलने और हंसने की आजादी मिला करती थी, न जवानी में फिसलने का डर था, न बुढ़ापे में होने वाली बीमारियों की चिंता, बस वर्तमान में जिया करते थे, और मुस्कुराते हुए उठते और मुस्कुराते हुए ही सोया करते थे, कितना रोशन समा था, और कितना प्यारा जहां था, जब हम बच्चे हुआ करते थे। ©Chinka Upadhyay ए जिंदगी जब हम बच्चे हुआ करते थे।🤞 #matangiupadhyay #Nojoto