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M.K Meet
दयार-ए-इश्क में, मुश्किल है दिल को समझाना के मासुम मशविरों को, पागल ये मानता ही नहीं ©M.K Meet दिल पत्थर होने लगा है या कि पत्थर बना रहा कोई!!
दिल पत्थर होने लगा है या कि पत्थर बना रहा कोई!!
read moreKavi Himanshu Pandey
White कलियाँ खिलती हैं आने से तेरे सनम, फूल हँसते हैं आने से तेरे सनम, तिमटिमाते हैं तारे खुशी से यहाँ, दमकता है गगन आने से तेरे सनम! ....... Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey #love_shayari सनम #beingoriginal #NojotoHindi
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read moreGhumnam Gautam
गुल व भँवरे की हर कहानी में हैं बहारों के बाद पतझर भी घर में अमरूद गर लगाओगे आएँगे आँगनों में पत्थर भी ©Ghumnam Gautam #गुल #पत्थर #कहानी #ghumnamgautam
#गुल #पत्थर #कहानी #ghumnamgautam
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
पत्थर सड़क किनारे आज पड़ा हूँ मेरी होगी पूजा कल इंतजार में बैठा हूँ मैं सब्र का मीठा होगा फल नहीं किसी को घाव मैं देता खुद ही टकराती दुनिया मेरी यही कामना सबको मिल जाए अपनी खुशियाँ मैं कठोर हूँ इसमें मेरा कोई भी है दोष नहीं जहाँ मुझे कोई भी रखे रहता हूँ खामोश वहीं कोई ढूढ़ता मुझमें ईश्वर कोई ढूँढता है प्रियतम बेखुद जैसा भाव हो जिसका उसी रूप में मिलते हम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #पत्थर
नवनीत ठाकुर
मैंने हाथ फैलाए, पास मेरे कुछ न था, तूने झोलियां दीं, भर-भर कर आशीर्वाद था। गुनाह मेरा कोई, तुझसे छुपा न था, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका तलबगार न था। ©नवनीत ठाकुर मैंने हाथ फैलाए, पास मेरे कुछ न था, तूने झोलियां दीं, भर-भर कर आशीर्वाद था। गुनाह मेरा कोई, तुझसे छुपा न था, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उस
मैंने हाथ फैलाए, पास मेरे कुछ न था, तूने झोलियां दीं, भर-भर कर आशीर्वाद था। गुनाह मेरा कोई, तुझसे छुपा न था, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उस
read moreनवनीत ठाकुर
जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था। ©नवनीत ठाकुर जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।
जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।
read moregudiya
White वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती पत्थर कोई ना छायादार पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ; श्याम तन, भर बंधा यौवन, नत नयन ,प्रिय- कर्म -रत मन, गुरु हथोड़ा हाथ , करती बार-बार प्रहार ;- सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार । चढ़ रही थी धूप; गर्मियों के दिन दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू रूई - ज्यों जलती हुई भू गर्द चिनगी छा गई, प्राय: हुई दुपहर :- वह तोड़ती पत्थर ! देखे देखा मुझे तो एक बार उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार; देखकर कोई नहीं, देखा मुझे इस दृष्टि से जो मार खा गई रोई नहीं, सजा सहज सीतार , सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार; एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, ढोलक माथे से गिरे सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा - मैं तोड़ती पत्थर 'मैं तोड़ती पत्थर।' - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ©gudiya #love_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प
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read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
चाहकर भी घर से निकलते नहीं अब.. खूब फिसले जमाने फिसलते नहीं अब.. वो बड़े ही सख्त मिजाज़ हुए रे कलम तेरे लफ्जों के कमाल चलते नहीं अब.. पिघले होंगे पत्थर किसी के पिघलाये से मेरे पिघलाये से वो पिघलते नहीं अब.. रातों के इंतजार में रहता हूँ तुम्हारे लिये ये दुश्मन दिन जल्दी ढलते नहीं अब.. ख़ुद को बाँट तो लिया सर्द गर्म रातों सा मौसम हैं कि सही से बदलते नहीं अब.. वादियाँ मशगूल हैं हुस्न की फिराक में दिवाने दिल के अरमाँ मचलते नहीं अब.. एक हम हैं, कोशिशें खूब की भुलाने की एक वो हैं, दिल से खिसकते नहीं अब.. ©अज्ञात #पत्थर