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banjarasoul
Bachpan k din b kya deen the Wallet khali rehta tha par dil bhara ©banjarasoul #Childhood
Imran Khan
सनम मेरी किसी भी शायरी में तेरा नाम नही... तू बस दिल में है सरेआम नहीं.....✍️ ©Imran Khan #Love love story
#Love love story
read more' मुसाफ़िर '
White जब देखोगे मुझे मेरी ही नजर से तब मानोगे, वयस्क शरीर में छुपी एक बाल्यावस्था को पहचानोगे| रह गया बचपना मुझमें या बचपन में ही जिन्दा हूं मै....... कुछ कुछ मुझ सा होना पड़ेगा तुम्हे तब जानोगे|| ©' मुसाफ़िर ' #Sad_Status #Childhood #bachpan #boy #SAD #story #Shayari #Quote #Mood
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read moreD. J.
Love isn't only love its a hard work,tears,trust and even few gimplses of devastation.But at the end of each day if you can still look at the person by your side and can't imagine anyone else you'd rather have there the pain and heartache and the ups and downs of love are worth it.. Vgm dear 🌹💋 ©D. J. #Love love story
Praveen ji
childhood heart is very sweet in internal parts ©Praveen ji #childhood
Writer Mamta Ambedkar
गद्दारों के शहर में दिल की बात कहे भी तो, किससे कहे, यहां सब गद्दार हैं। चेहरे पर मुस्कान, दिल में खंजर, हर कोई छल-कपट का साकार है। बातों में मलहम, हाथों में नमक, दिखावटी अपनापन हर ओर है। दर्द पूछते हैं, सहला के, फिर घावों को चीरने का जोर है। यहां सच की आवाज़ दबा दी जाती, झूठ के सिक्के खनकते हैं। अपनों के बीच भी परायापन, दिलों में फासले पलते हैं। तो किससे कहें ये दिल की बात, कौन सुनेगा हमारी पुकार? इस अंधेरे में ढूंढ़ रहे रोशनी, जहां हर रिश्ता एक व्यापार। पर दिल है कि उम्मीद नहीं छोड़ता, शायद कहीं कोई अपना भी हो। जो मलहम भी लगाए, सहलाए, और नमक के घावों से बचाए। ©Writer Mamta Ambedkar #Childhood
Avinash Jha
वात्सल्य का स्पर्श जब मुस्काए किलकारी बन, भर दे घर आंगन की चहल-पहल। छोटे हाथों की छुअन से, झूम उठे सारा घर-आलय। नन्हें कदमों की वो आहट, जैसे सुबह का पहला किरण। माँ के आंचल में छुप जाए, पिता के कंधों पर वो सुमिरण। उनकी हँसी का संगीत सुन, दीवारें भी गुनगुनाने लगतीं। खिलौनों की मीठी बातें, हर कोना दर्पण बन जातीं। नटखट शैतानी में छिपा, जीवन का अनमोल ज्ञान। हर बिखरी चीज़ में झलकता, स्नेह का अनुपम सम्मान। माँ के हाथों से खाए निवाले, स्वाद बन जाते हैं अमृत। पिता की उँगली पकड़कर चले, हर सफर लगता है सरल। वो छोटे-छोटे सवाल, जैसे गूंजें नदियों के सुर। उनकी जिज्ञासा से सीखें, हर पल का अद्भुत मर्म। इस वात्सल्य की सुगंध से, महक उठे हर आशियाना। एक बच्चे की मासूमियत से, सजता है सारा जमाना। ©Avinash Jha #Childhood