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manoj kumar jha"Manu"
यतो यतः समीहसे ततो नो अभयं कुरु। शं नः कुरु प्रजाभ्यो अभयं नः पशुभ्यः।। (शुक्ल यजुर्वेद) हे ईश्वर! (आप) जहाँ जहाँ से चाहते हो, वहाँ वहाँ से हमें निर्भय कर दो। हमारी सन्तान का कल्याण करो और हमारे पशुओं को निर्भय करो। ईश्वर से प्रार्थना
Ahamad naved
दौरे जिंदगी में कोई रास्ता हो तो मुझे बता, मैं चलूं उस रास्ते पे तेरी हो जिसमे राजा। तू मुझे अपना बना,मुझे गले लगा है ये मेरी इल्तेजा या मेरे खुदा। ©Naved ईश्वर से प्रार्थना
Dhirendra Tiwari
लक्ष्मीपते कमलनाभ सुरेश विष्णो 👏 वैकुंठ कृष्ण मधुसूदन पुष्कराक्ष👏 ब्रह्मन्य केशव जनार्दन वासुदेव 👏देवेश देहि कृपणस्य करावलम्बम👏🙏🙏 प्रार्थना श्री नारायण जी की 👏
Mohini Mishra
त्राहिमाम ,त्राहिमाम.. तुम कण-कण में हो विद्यमान वो मेरे सर्व शक्तिमान ईश्वर..!!🙏 दुआओं में उठे हाथों को संबल प्रदान कर... बचा ले अपनी मरती हुई मिटती हुई दुनिया को..... बस इतनी विनती है, रक्षा करो ...! ...रक्षा करो..! हे जगतपति...!!! #ईश्वर#प्रार्थना🙏💐
Ek villain
वेदों में ईश्वर भाइयों अग्नि पृथ्वी और इंद्र से भिन्न भिन्न प्रकार की प्रस्ताव पर चर्चा की गई है इन प्रांतों में तरह-तरह के ऐश्वर्य देने की बात की गई है प्राकृतिक से सुबह तत्व और शुभचिंतक पर प्रदान करने की बात की गई है प्रार्थना का मतलब होता है विशेष प्रकार की वस्तु या गुण के लिए याचना करना दूसरे भाव में देखें तो प्रार्थना जीवन को ऊर्जावान बनाने के लिए की जाती है ऐसी ऊर्जा जिससे धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और जीवन में संपूर्णता आती है यह संपूर्णता सुखदायक होती है ऐश्वर्या दो प्रकार के हैं धन ऐश्वर्य और सद्गुण धन ऐश्वर्य से भी तरह-तरह के आवश्यक संसाधन प्राप्त होते हैं जिससे जीवन सुखी बनता है और सद्गुण से जीवन व्यतीत तब से परिपूर्ण होता है शारीरिक मानसिक और आत्मिक उन्नति के लिए जिस जीवन शक्ति की आवश्यकता पड़ती है वह प्रार्थना द्वारा स्वच्छता से प्राप्त होती है प्रार्थना स्वयं को स्वयं के द्वारा की जाती है और किसी अपार पारा पारा पारा से भी लेकिन दोनों प्रार्थना में पवित्रता और श्रद्धा का अनुभव भाव होना चाहिए स्वयं के कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है और समाज के कल्याण के लिए भी प्रार्थना जीवन की सबसे उत्कृष्ट बहन भावना है जो इन भावनाओं को जान समझ लेती है और प्रार्थना पूरी होती है आध्यात्मिक जीवन में दो मार्ग प्रेम और शेयर भी मार्ग बताए गए हैं प्रिय का मार्ग संसार इक्ता वाला है और श्री मां कल्याणकारी या धर्म का माना जाता है दोनों मार्ग को अपनाकर जीवन की पूर्णता आती है यानी भौतिक और आध्यात्मिक दोनों का समावेश जीवन में होना आवश्यक है यह मार्ग अपार विद्या और परा विद्या के साथ आगे बढ़ता है हम दोनों की पूर्णता के लिए यदि स्वयं से स्वयं के द्वारा प्रार्थना करें तो जीवन में समृद्धि समानता और प्रशंसा आती है विचार यही है यही है कि हमारी प्रार्थनाएं विनाश या मात्र भौतिक जीवन के लिए तो नहीं है ©Ek villain # प्रार्थना ईश्वर से #gurpurab