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Sandeep Sandeep

परी मेरी बेटी

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नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर रिश्ते नए बनते हैं, पर एहसास वही है, हर चेहरे पर मुस्कान, पर दिल उदास वही है। ख्वाब जितने भी बदलें, हकीकत वही है, जिंदगी का ये

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हर चेहरा नया है, मगर दर्द वही है,
दिल के किसी कोने में, दबी आवाज़ वही है।
किरदार बदलते गए, पर कहानी वही है,
साँसें बदल रहीं हैं, पर धड़कन की राग वही है।

हर रास्ता अलग है, फिर भी सफर वही है,
जो खुशी थी कभी, आज उसकी कसक वही है।
आसमान बदलता है, मगर रंग वही हैं,
सितारे टूटते हैं, पर अरमान वही हैं।

रिश्ते नए बनते हैं, पर एहसास वही है,
हर चेहरे पर मुस्कान, पर दिल उदास वही है।
ख्वाब जितने भी बदलें, हकीकत वही है,
जिंदगी का ये नाटक, बस परछाईं वही है।

दिल की ज़ुबां पर सवालों का शोर वही है,
ज़िंदगी के हर मोड़ पर, सन्नाटा घना वही है।
वक्त ने हर चीज़ को बदला, पर जख्म पुराने वही हैं,
वो बातें जो छूट गईं थीं, अफसाने वही हैं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
रिश्ते नए बनते हैं, पर एहसास वही है,
हर चेहरे पर मुस्कान, पर दिल उदास वही है।
ख्वाब जितने भी बदलें, हकीकत वही है,
जिंदगी का ये

Vs Nagerkoti

#Sands यहां लोगों को समझना आपका एक वरदान है । जिससे आपको महसूस होता है कि यहां कोई अपना नहीं है । बल्कि अपने होने का जर्बदस्त नाटक कर रहे

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Red sands and spectacular sandstone rock formations किस तरह आपको मिला हुआ वरदान
 भी आपके लिए श्राप साबित हो जाता 
 है । जब आपका लोगों को आसानी
 से पढ़ लेना ही आपको बेहद तकलीफ 
 देता है । जब आपको महशुश होता है 
की जिन्हे आप सबसे ज्यादा पसंद करते 
है वही आपसे सबसे ज्यादा नफरत
 करते है ।सोचो कैसा लगता होगा उस 
वक्त । मन की क्या दशा होती होगी ।
वो इंसान रोज आपके सामने एक ही 
 नाटक करता है।और आपको पता भी
 होता है। फिर भी आप कुछ नहीं कहते ।

©Vs Nagerkoti #Sands यहां लोगों को समझना 
आपका एक वरदान है । जिससे आपको 
महसूस होता है कि यहां कोई अपना नहीं है । बल्कि अपने होने का जर्बदस्त नाटक 
कर रहे

Mayuri Bhosale

नाटक

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नाटक....
जीवन आहे एक न संपणार नाटक, 
सगळे लोक असतात याचे पात्र आणि घटक. 
नाटक असते एक रंगभूमी, 
पण कलाकारांची असते ती कर्मभूमी. 
इथे सादर करतात अनेक कला,
प्रश्न व उत्तर यांची मोजली जाते मग तुला. 
कलाकार मंडळी करतात अनेक वेशभूषा,
सादरीकरण असे जणू की न संपणाऱ्या वेड्या आशा.
पडद्यामागच्या लोकांची इथे गोष्ट असते वेगळी, 
पडदा उघडताच समोर येतात रोज नव्या खेळी. 
नाटक आहे सुंदर आयुष्याचे गीत,
शेवटी लोक पाहतात यामध्ये सत्याचीच जीत.
असे हे नाटक कधीही न उलगडणारी कथा, 
सगळ्यांच्याच आयुष्याची असते ही व्यथा.

©Mayuri Bhosale नाटक

Mayuri Bhosale

नाटक

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नाटक....
जीवन आहे एक न संपणार नाटक, 
सगळे लोक असतात याचे पात्र आणि घटक. 
नाटक असते एक रंगभूमी, 
पण कलाकारांची असते ती कर्मभूमी. 
इथे सादर करतात अनेक कला,
प्रश्न व उत्तर यांची मोजली जाते मग तुला. 
कलाकार मंडळी करतात अनेक वेशभूषा,
सादरीकरण असे जणू की न संपणाऱ्या वेड्या आशा.
पडद्यामागच्या लोकांची इथे गोष्ट असते वेगळी, 
पडदा उघडताच समोर येतात रोज नव्या खेळी. 
नाटक आहे सुंदर आयुष्याचे गीत,
शेवटी लोक पाहतात यामध्ये सत्याचीच जीत.
असे हे नाटक कधीही न उलगडणारी कथा, 
सगळ्यांच्याच आयुष्याची असते ही व्यथा.

©Mayuri Bhosale नाटक

SANIR SINGNORI

#DesertWalk नदी बचाओ

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पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

पैसे के लालच में आज,
साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की

 निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने,
 बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की

सहस्र जीवों का जीवन थी जो,
इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की

अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' 
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण,
जै  बच जाए जान 'काटली' की

पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की





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©SANIR SINGNORI #DesertWalk 
नदी बचाओ

Andy Mann

#बेटी अदनासा- Dr Udayver Singh Rakesh Srivastava Sangeet... MRS SHARMA

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अगर "गलत" करूं कुछ मैं,
तो "डाँटती" है मुझे..!
"प्रकृति" ने बख़्शी है.. "बेटी"भी,
मुझे "मां" की तरह..!!

©Andy Mann #बेटी   अदनासा-  Dr Udayver Singh  Rakesh Srivastava  Sangeet...  MRS SHARMA

Supriya Jha

बेटी की विदाई

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विधाता ने बेेटी विदाई की कैसी विधि बनाई है।
पिता के लाड में पली बेटी की आज विदाई है।।
जिस घर में हर पल की यादें,बचपन की लड़ाई है।
आज उससे ही मुझको करनी पड़ रही जुदाई है।।
बिछड़ने की किसने ये रस्म बनाई है।
मां के आंचल में पली बेटी की आज विदाई है।।
पिता भाई ने छुप छुप कर आंसू बहायें है।
मां बहने आंखो में आंसू लिए विदाई की दस्तूर निभाई है।।
कितनी निष्ठुरता से पिता ने कन्यादान निभाया है।
मुझको किसी के हाथ सौंप कर जिम्मेदारी से मुक्ति पाया है।।
आखिरी वचन कहकर मां ने बड़ी बात सिखाई है।
पिता के पगड़ी की लाज तू रखना इसमें ही कुल की भलाई है।।
विधाता ने बेटी विदाई की कैसी विधि बनाई है।
बचपन से ही क्युं बेटियां पराई धन कहलाई है।।

©Supriya Jha बेटी की विदाई

मोरध्वज सिंह

बेटी पर कविता Love Life कविता viral शायरी हिंदी कविता

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Anuradha T Gautam 6280

#दहेज दहेज में दिया पैसा कभी बेटी के काम नहीं आता लेकिन बेटी को पैरों पर खड़ा किया गया वो खर्च आपकी बेटी को एक मजबूत भविष्य देगा मैंने

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