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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी अंदाज हम जीवन में अपने खुद के लगा लेते है सीमित सोच बनाकर अहंकार की प्रवर्ती बना लेते है कई रहस्य छिपे है ब्रम्हाण्ड में पोषित जीवन काल तक करते है हवा पानी चाँद सूरज जरा गुल हो जाये हाहाकार धरती के प्राणी करते है धन संपदा तो ऊपरी आवरण है भौतिकता के आविष्कार कर खुशहाल जीवन नही कर सकते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #mountain धन संपदा तो ऊपरी आवरण है #nojotohindi
Guruwanshu
कभी शंख तो, कभी थाली बजाली, धन्य है देश मेरा, जिसने दर्द में भी दीवाली मना ली। शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्। शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ अतार्थ : शुभ और कल्याण
Harry
ॐ शुभं करोति कल्याणम, आरोग्यं धन संपदा, शत्रु-बुद्धि विनाशायः, दीपः ज्योति नमोस्तुते ! समस्त देशवासियों को दीपावली के पावन अवसर पर हार्द
RiChA SiNgH SoMvAnShI
आज हमारा देश कोरोना जैसी महामारी की अभूतपूर्व चुनौती से जो जूझ रहा है...तब हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर आज रात नौ बजते ही संपूर्ण भारत अखंडता के महाप्रकाश से चमक उठा। कोरोना वायरस के खिलाफ देश की जंग में सभी नें मोमबत्ती, दिया,मोबाइल फोन की फ्लैश लाइट जलाकर अनोखे अंदाज में एकजुटता का इजहार किया। उम्मीद के उजाले से भरे नौ मिनट नें संकेत दिया कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में हम सभी एकजुट हैं । इस एकजुटता के लिये सभी को तहे दिल से शुक्रिया🙏🙏🙏😊😊 #Fight Against Corona 'शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसंपदा । शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥' श्लोक का अर्थ - जो शुभ करता है, कल्या
Ranu
अब ये आरोग्य सेतू भी ना जले पर नमक छिड़क रहा है.... लॉकडाउन हुए डेढ़ महीना हो गया, लेकिन पूछता है पिछले 28-45 दिन में कोई विदेश यात्रा की ? अबे 54 दिन से पडोसयात्रा नहीं हुई है....😞 तू विदेशयात्रा की पूछ रहा है आरोग्य सेतू....
Tushar ML Srivastava
ॐ शुभं करोति कल्याणम, आरोग्यं धन संपदा, शत्रु-बुद्धि विनाशायः, दीपः ज्योति नमोस्तुते ! समस्त देशवासियों को दीपावली के पावन अवसर पर हार्द
Ek villain
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि संसार में दो प्रकार के मनुष्य पाए जाते हैं एक देवी संपदा से संपन्न और दूसरा आसुरी संपदा वाले ब्रह्म दृष्टि से दो समान होते हैं पर इनमें स्वभाव आगत अंतर पाया जाता है देवी संपदा से संपन्न व्यक्ति आप भी अंत करण की शुद्धी स्वाध्याय सरलता सत्य क्रोध त्याग दया आदि गुणों से संपन्न होता है वही सब के हित में सुबह का जीवन समर्पित कर देता है जबकि उसके विपरीत साहित्य विषय भोग और अन्य पूर्वक संचालन की का मान रखने वाले अधूरी स्वभाव वाले होते हैं वह स्वयं के अहित के साथ दूसरों का भी अहित करते हैं जैसे एक आलू भूमि में स्वयं को समर्पित कर अनेक आलू के उत्पाद धन का कारण बनता है जबकि दूसरा सरकार अपने आसपास अन्य लोगों को भी थोड़ा देता है ठीक वैसे ही देवी संपदा वाले व्यक्ति अपने कृत्यों से दूर के अध्ययनों का आधार बनते हैं जबकि असुरी संपत्ति वाले दूसरों के विनाश का कारण बनते हैं ©Ek villain #देवी संपदा #Navraatra