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Aabid Khan
Harpinder Kaur
White अक्सर कह दिया जाता है और समझ भी लिया जाता है कि किसी एक का, दूसरे से अलग हो जाने से कभी कोई नहीं मरता क्या सच में कोई नहीं मरता? फिर अचानक से मन में एक प्रश्न कौंधता है क्या जिस्म का मरना ही, मरना है? फिर एक और ख्याल आता है कि किसी के जुदा होने से, उसके लिए बुने ख्वाब मिटने से, मन- मस्तिष्क में बनी वो चेहरे की आकृतियाँ, वो लंबी लंबी बातें, मुस्कुराहट, सुकून, वो प्यार, वो रिश्ता...... और बहुत कुछ क्या वो सब जिंदा रहता है! किसी के जाने के बाद (part -1) ©Harpinder Kaur # किसी के जाने के बाद.......
i_m_charlie...
White जिंदगी को बोहोत प्यार हमने दिया, मौत से भी मोहोब्बत निभायेंगे हम, रोते रोते जमाने में आए मगर, हंसते हंसते जमाने से जाएंगे हम। ©i_m_charlie... #Couple बोहोत प्यारी लाइन है गाने की।
Kiran Chaudhary
हम भी अब मोहब्बत के गीत गाने लगे हैं, जब से वो हमारे ख्वाबों में आने लगे हैं.. ©Kiran Chaudhary हम भी अब मोहब्बत के गीत गाने लगे हैं... #shayaari #Love
Sushma
नये दौर कि नयी सी चाहते हैं, आसमां मे उड़ने कि ...... हम तो जीते उन्हीं पुराने जामाने में, लता मंगेशकर के गाने गुनगुनाते हैं, और रेलगाड़ी कि छुक छुक कहीं जाने कि असली खुशी महसूस कराती है..... ©Sushma #skylining नये दौर कि नयी सी चाहते हैं, आसमां मे उड़ने कि ...... हम तो जीते उन्हीं पुराने जामाने में, लता मंगेशकर के गाने गुनगुनाते हैं,
Rajesh Patel
कर्म किए जाओ, फल की चिंता मत करो। आत्मा अमर है, इसलिए मरने की चिंता मत करो। इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है। ©Rajesh Patel श्रीकृष्ण के उपदेश #श्रीकृष्ण के उपदेश
Anand Ji Mayura Ji
अकाल मौत वो मरे जो काम करे चांडाल का।काल उसका क्या बिगाङे जो भक्त हो महाकाल का । ©Anand Ji Mayura Ji कविता के रंग आनंद के संग
Deepanjali Patel (DAMS)
एक बेटा होना भी आसान नहीं है जनाब......... बेटियों के भाग्य को लिखकर तो विधाता भी कभी-कभी रो देता होगा, पर कभी सोचा नहीं था कि आज तो एक बेटा होना या उसके माता-पिता होना भी आसान नहीं है। कितनों से सुना है और देखा भी है कि बदलते समाज के साथ बेटियों के प्रति बढ़ती असुरक्षा और दहेज प्रथा ने तो बेटी होने पर दुःख एवं भय पहले ही सताने लगता है किन्तु आज की तारीख में बेटे के जन्म से ही उसके माता-पिता को उसकी शादी के समय की चिंता सताने लगती है। हर एक माता-पिता का सपना होता है कि उनकी संतानों का सही उम्र और सही जीवन साथी से अगर बंधन जुड़ जाए तो उनका जीवन सफल हो जाएगा। पर उन्हें क्या पता था कि आज तो बेटे के ब्याह के लिए भी इतना चिंतित होना पड़ेगा। हां, आज एक लड़का पढ़-लिखकर, डिग्री हासिल कर, जिम्मेदार और घर को चलाने व संभालने लायक भी बन जाए तो उसका रिश्ता ये कहकर ठुकरा दिया जाता है कि उसके सर पर खुद के घर की छत नहीं है। अगर लड़का कमाऊ भी है, खुद का घर भी है लेकिन जमीन तो नहीं है न। अब लड़का कमाऊ भी है, खुद का घर और जमीन-जायदाद भी है, चरित्र का भी ठीक है, जिम्मेदार है, गुटखा-दारू भी नहीं खाता-पीता, लेकिन सरकारी नौकरी तो नहीं है न। अब सरकारी नौकरी भी है, घर में भी सब कुछ है बस माता-पिता के लिए बहू लाने में जो नौकरी की कमी थी वो भी इस तगड़े प्रतिस्पर्धा में आखिरकार पा ली, मगर जरा सी देर हो गई, पर अब दिक्कत क्या है? अरे ये सब जोड़ने-बनाने में, नौकरी पाने में ब्याह की जो उम्र निकल गई, उसे कैसे भूल जाएंगे? उम्र भी तो रिश्ते ठुकराने का एक तरीका है। वाकई, न ही खुशी-खुशी बेटियां ब्याही जा रही और न ही बेटों की बारात निकल पा रही है, बस इसी चिंता में माता-पिता की भी आस मिटती जा रही। और इस चिंता से चिता तक आकर जीवन का सफर बीच में ही पूरा मगर वास्तव में अधूरा ही रह जाता। वजह मात्र इतनी कि इन कुरीतियों को अपनाने के चक्कर में शादी जैसे पवित्र बंधन को भी सौदेबाजी में बदल दिया गया है। ©Deepanjali Patel (DAMS) बेटियों के मेरे लेख को अगर आपने पढ़ा है तो एक बार इसे भी पढ़ कर, अपनी राय जरूर दें। #imagesourcepinterest #beta #Sarakarinaukari #Jameenjayd