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Anuradha T Gautam 6280
#बीन सांप और रस्सी को लेकर कभी भ्रम हो तो तुरंत मोबाइल पर बिन की धुन बजाना सांप होगा तो फन उठा कर नाचे बिना नहीं मानेगा..🖊️
read moreBROKENBOY
कुछ शो पीस, कुछ निराशा के मोती, कुछ आस्तीन के सांप, कुछ मतलबी पीठ, कुछ झूठे कंधे, कुछ खीर में खटाई, और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं के सौदागर, सब दोस्त दोस्त नहीं होते!!!! ©BROKENBOY #Exploration कुछ शो पीस, कुछ निराशा के मोती, कुछ आस्तीन के सांप, कुछ मतलबी पीठ, कुछ झूठे कंधे, कुछ खीर में खटाई, और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं
#Exploration कुछ शो पीस, कुछ निराशा के मोती, कुछ आस्तीन के सांप, कुछ मतलबी पीठ, कुछ झूठे कंधे, कुछ खीर में खटाई, और कुछ इक्का दुक्का आंसुओं
read moreRakesh frnds4ever
White मौत सबको आनी है कौन इससे छूटा है तू फ़ना नही होगा ये खयाल झूठा है साँस टूटते ही सब रिश्ते टूट जायेंगे बाप माँ बहन बीवी बच्चे छूट जायेंगे तेरे जितने हैं भाई वक़तका चलन देंगे छीनकर तेरी दौलत दोही गज़ कफ़न देंगे जिनको अपना कहता है सब ये तेरे साथी हैं कब्र है तेरी मंज़िल और ये बराती हैं ला के कब्र में तुझको मुरदा बक डालेंगे अपने हाथोंसे तेरे मुँह पे खाक डालेंगे तेरी सारी उल्फ़त को खाक में मिला देंगे तेरे चाहनेवाले कल तुझे भुला देंगे इस लिये ये कहता हूँ खूब सोचले दिल में क्यूँ फंसाये बैठा है जान अपनी मुश्किल में कर गुनाहों पे तौबा ,,,आके बस सम्भल जायें - २ दम का क्या भरोसा है,,,,जाने कब निकल जाये - २ मुट्ठी बाँधके आनेवाले ... मुट्ठी बाँधके आनेवाले हाथ पसारे जायेगा धन दौलत जागीर से तूने क्या पाया क्या पायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - ४ ,,,,,,,, 3 ,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #मौत सबको आनी है कौन इससे छूटा है तू फ़ना नही होगा ये खयाल झूठा है #साँस टूटते ही सब रिश्ते टूट जायेंगे बाप #माँ बहन बीवी बच्चे छूट जायेंग
Shashi Bhushan Mishra
आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
#आस्तीन के सांप बहुत थे#
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