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Srinivas
In the quiet struggles of survival, a warrior's strength is born, not in war but in resilience. ©Srinivas In the quiet struggles of survival, a warrior's strength is born, not in war but in resilience.
In the quiet struggles of survival, a warrior's strength is born, not in war but in resilience.
read moreSchizology
War , we don't need it War, we don't need it Peace, is in demand War, we shouldn't breed it Peace, love the fellow man War, do not feed it Peace, share the land War, do not lead it Peace, give a helping hand War, do they breathe it? Peace, we can take a stand ©Schizology War , we don't need it #War #poem✍🧡🧡💛
War , we don't need it #War poem✍🧡🧡💛
read moreWriter Mamta Ambedkar
मदद करना सीखिए फायदे के बगैर, मिलना झुलना सीखिए मतलब के बगैर। मदद की कोई कीमत नहीं होती, जब दिल से दिल जुड़ा हो, नफरत के बगैर। मिलना हो तो बस सच्चे इरादे से, ताकि कभी टूटे नहीं, बिना कारण के बगैर। हर राह में, हर मोड़ पे बस इंसानियत ही सही है, दिखावे के बगैर। जो करना हो, दिल से करो, फायदा और मतलब से ऊपर उठकर, बिना डर के बगैर। इस दुनिया में अगर कोई सच्चाई है, तो वो है - "मदद और प्यार", बिना किसी स्वार्थ के बगैर। ©Writer Mamta Ambedkar #God
RjSunitkumar
krishna vani જીવનમાં તમે જો નૈતિકતા થી ચાલ્યા છો તો હજુ પણ તમારો રથ અર્જુન ની જેમ કૃષ્ણ જી જ હંકારે છે... ©RjSunitkumar #God
Avinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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