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mauryajibhawalpur wale
White फूल तुम्हें भेजा है खत मे। फूल नही ये मेरा दिल है।। प्रियतम मेरे खत में लिखना। क्या तुम्हारे काबिल है।। ©mauryajibhawalpur wale #flowers https://youtube.com/shorts/lVla7mud9ds?si=zbQtSoBxK30s4dqw pramodini Mohapatra PoonaM म्हस्के Vikram vicky 3.0 santoshray Satyapre
Ankur tiwari
Black कुछ होता है दिल के भीतर कुछ बाहर से ही खलता है जब नैन तेरे मुझको देखे दिल मेरा बड़ा मचलता है कभी यादों में कभी वादों में हर बार यूं ही आ जाते हो बस गए हो कुछ यूं रग रग में लहू सा दौड़े जाते हो साज श्रृंगार तुम्हारा यूं तो कितना पावन लगता हैं सजती हो तुम सादगी से रूप मनभावन सा लगता हैं मेरे स्वप्नों में आने वाली तुम वही परी मस्तानी हो जिससे मुझको हैं प्रेम हुआ तुम मेरी वही दीवानी हो ©Ankur tiwari #Morning कुछ होता है दिल के भीतर कुछ बाहर से ही खलता है जब नैन तेरे मुझको देखे दिल मेरा बड़ा मचलता है कभी यादों में कभी वादों में हर बार
Lotus Mali
Lotus Mali
Sangeeta Kalbhor
जगलेल्या क्षणांनी जागवून ठेवणे बरे नव्हे नाव प्रीतीचे गाव प्रीतीचे उमजून रडवणे खरे नव्हे कशाला हवा मार्ग परतीचा श्वास अनावर होताना लागावा की ठसका उगा ओरखडा मनावर करताना मुजून जातात खुणा व्रणाच्या घाव परी ठरलेला का म्हणून सोडावा हात हातात एकदा धरलेला सोडावा की स्वाभिमान नात्याला ह्रदयी कोरताना पाझरतील नयन आपसूकच प्रीत उरी स्मरताना जगलेल्या क्षणांनी व्हावे समजूतदार नको हट्ट उगा वाईट काळातही जगलेला क्षणच वाटतो की हो सगा काळ येवो कितीही सरसावून क्षणच होतात ढाल मनोदशा बदलायला क्षणांचीच तर ओढावी लागते शाल जगलेल्या क्षणांचा व्हावा जागर नाद मनी घुमवावा पडत्या क्षणांत असता आपण जगलेला क्षण आठवावा..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #boatclub जगलेल्या क्षणांनी जागवून ठेवणे बरे नव्हे नाव प्रीतीचे गाव प्रीतीचे उमजून रडवणे खरे नव्हे कशाला हवा मार्ग परतीचा श्वास अनावर होतान
paritosh@run
पापा की परियों पर खूब चुटकुले चलते हैं, पर कभी आपने सोचा है बेटियों को अपने ही माता पिता से मिलने वाले प्रेम को इतना glorify क्यो करने की जरूरत पड़ती है। बेटों को क्यो कभी ये साबित नहीं करना पड़ता कि वो अपने माता पिता के कितने दुलारे हैं? जवाब है कि उनको सदियो से ही जन्म से अधिकार और प्यार मिला है। घी का लड्डू टेढो मीठ जिनके लिए कहा गया हो उन्हें अपनी उपयोगिता साबित करने की जरूरत ही क्या है। वह लायक हो तब तो अच्छा है ही, पर यदि वह शराबी, जुआरी, बलात्कारी, हत्यारा, लुटेरा हो तब भी अंत में उसके हाँथ की मुखाग्नि पाकर माता पिता को स्वर्ग मिल जाता है। तमाम ग्रन्थ, व्रत, उपवास, प्रतीक पुत्र होने को अलौकिक और अदभुद सिद्ध करने में जुटे हैं। कुछ माता पिता जो कहते हैं " हम तो लड़का लड़की में कोई भेद नहीं करते" उनसे अगर कोई सम्पति में हिस्सा देने की बात कर दे तो उनकी परम्परा और संस्कृति खतरे में आ जाती है। वो दो बीघा जमीन बेच कर लड़की की शादी तो कर देंगे, लेकिन 1 बीघा बेच कर न उनको पढ़ा पाएंगे, न उनके नाम कर पाएंगे। आज भी बेटियां अपने ही अधिकारों से वंचित हैं तो इसके जिम्मेदार जितना समाज है उतना ही उनके माता पिता भी हैं। ©paritosh@run पापा की परी.