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@deep_sunshine1210
जब रात अपने शबाब पर होती है तब आकाश में फैले नक्षत्र के बीच मुझे चंद्रमा श्वेत कमल की भांति खिला हुआ नजर आने लगता है।कई दफे एक नयी सहर की प्रतीक्षा करते हुए मेरे अंतर्मन को ये स्याह आसमां बहुत गहरा आघात पहुंचाने लगता है।हर रोज एक मीठी सहर की मेरी तमन्ना नीम सी कड़वाहट पर ख़तम होती है।इस कड़वाहट की समीक्षा करते हुए रात का एकांत मुझे पूरी तरह से जकड़ लेता है।आकाश नक्काशीदार जलद का भार मुझे सौंप कर सुकून की नींद सो जाता है। ये भार मेरे अंदर समाहित नहीं हो पा रहा है ना ही में इन्हे अपना पाती हूं।मेरी देह जलद के लिए नवीन है, वो पुरातन आसमां को नहीं भूल पा रहा है।मेरे मस्तिष्क के दोनों पटल मुझे एक दूसरे के विपरीत दिशा में खीचे जा रहे है। ऐसा लग रहा है मस्तिष्क के दोनों छोर मुझे रक्तरंजित करना चाहते है। रात सोने के लिए होती है लेकिन यदि रैना भीतर शोर मचाने लगे तब क्या किया जाए??शायद अंतर्मन को हरा कर नेत्रों से जल बरसा देना चाहिए। ©@deep_sunshine1210 #_writers_unplugged_ #दोस्तों… #ओपन_स्ट्रीट_एजुकेशन_क्लास #खयाला #SardarPatel
aman gupta
कुछ था जो खोया जा रहा था जानती हो क्या ❤ वो तुम्हारा रुठना, लडना फ़िर बाहो मे आ जाना हर बात पर रो देना फ़िर धीरे से मुस्कुरा देना ये जिंदगी चल तो रही थीं कुछ था जो खोया जा रहा था कुछ था जो खोया जा रहा था
AARMAAN
मै चले जा रहा हूं आपनी ही मस्ती में खोकर, महफ़िल से अालग, ना जाने मंजिल पर कब पहुंच गया , जीना तो था सब के साथ मगर में आपने में ही खोगाया ....। # खोया हुआ आपनी मस्ती में चला जा रहा
Himanshu Prajapati
खोया रहा गुम रहा ना खबर था ना होश, जगा रहा परेशान रहा, दुखी रहा ना रहा खुश..! ©Himanshu Prajapati #Baagh खोया रहा गुम रहा ना खबर था ना होश, जगा रहा परेशान रहा, दुखी रहा ना रहा खुश..!
अनजान शायर
अपना सब कुछ लगा कर तुझमे मैंने तुमको खोया फिर मैं तुमको खोया खोया और सब कुछ तुझमे खोया ©अनजान शायर खोया तुमको खोया
sourabh
चाँदनी की चादर होड़ खुली आँखों से मैं तेरे ख़यालो में खोया रहा ~100rab , ©sourabh रात भर चाँद का साया रहा खुली आँखों से तेरे ख़यालो में खोया रहा
Vickram
वक्त ने इस कदर अजमाया है सफर में,, याददाश्त तक चली गई जिस्म भी खोया,, जो बची थी राख वो पौधों के काम आई,, रुह तक गंवा दी क्या कुछ नहीं है खोया,, ©Vickram सिर्फ खोया ही खोया,,,
Rajni kant dixit
कि क्या खोया मैंने मैं ये सोचता रहा. चेहरे पर मायूसी नम आंखों से खोजता रहा.. मिलेगी फिर न जाने क्यों दिल कहता है. खुद के बनाए जाल में मै खुद फसता रहा.. ©Rajni kant dixit #todaypost #कि क्या खोया मैंने मैं ये सोचता रहा#mypoetry..