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Yogesh Goswami

#SAD शेष कथा फिर कभी #शायरी

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AYUSH SINGH

सुख का दिन डूबे डूब जाए। तुमसे न सहज मन ऊब जाए। खुल जाए न मिली गाँठ मन की, लुट जाए न उठी राशि धन की, धुल जाए न आन शुभानन की, सारा जग र #शायरी #kabita #Shayar♡Dil☆

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Suraj Jha

#CTET sadish राशि और आदिश राशि #DurgaAarti #Videos

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AwadheshPSRathore_7773

#nightthoughts शेष विशेष के जैसे चक्की के दो पाटों के बीच फंसती यह जिंदगी,किस तरह सादे मनुष्य से उसके जीवन की सारी सादगी छिन लेती है और अंतत #शायरी

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||स्वयं लेखन||

प्रकृति और परमेश्वर ही प्रेम है, शेष कुछ भी नहीं। Life #Life_Experiences #Shiva #God #thought #विचार

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प्रकृति और परमेश्वर ही प्रेम है,
शेष कुछ भी नहीं।

©||स्वयं लेखन|| प्रकृति और परमेश्वर ही प्रेम है,
शेष कुछ भी नहीं।
#Life #Life_Experiences #Shiva 
#God #thought

N S Yadav GoldMine

#lakeview {Bolo Ji Radhey Radhey} हमें भगवान श्री कृष्ण जी को, चित्र में नही, चिंतन में लाना चाहिए, हमें अपनी वाणी, अपना चरित्र, अपना यह अनम #विचार

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Shivkumar

#vishnubhagwan #विष्णु #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से न #हरि #नारायण #महिमा #पौराणिककथा

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Vinod Mishra

"मैं ही सही हूं शेष सब गलत हैं बस यही तो सही नहीं है."✍️✍️✍️🔱🔱🔱🙏🙏🙏 #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन #विचार

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Mansi Rathour

मीन राशि वाले लोगों को काला धागा नहीं बांधना चाहिए#@mansi'sway #विचार

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- नम आँखों से बेटियाँ , करती बस ये चाह । मातु-पिता की अब यहाँ , कौन करे परवाह ।। कौन करे परवाह , हमारी डोली उठते । ले जाती मैं स #कविता

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कुण्डलिया :-

नम आँखों से बेटियाँ , करती बस ये चाह ।
मातु-पिता की अब यहाँ , कौन करे परवाह ।।
कौन करे परवाह , हमारी डोली उठते ।
ले जाती मैं साथ , साथ जो मेरे चलते ।।
अब क्या मेरे हाथ , मुझे ले जाते हमदम ।
देख पिता को आज , हुई मेरी आँखें नम ।।

देने को तैयार हूँ , सभी *परीक्षा* आज ।
जैसे चाहो साँवरे , रोकों मेरे काज ।।
रोको मेरे काज , शरण तेरी मैं पकडूँ ।
यही हृदय की चाह ,  प्रीति में तेरी अकडूँ ।।
आओगे तुम पास , भेद फिर मेरे लेने ।
रहूँ सदा तैयार , परीक्षा जो हैं देने ।।

उतनी तुमने साँस दी , इतनी है अब शेष ।
और नहीं कुछ आस है , फिर क्यों भदलूँ भेष ।।
फिर क्यों बदलू भेष , *परीक्षा* देने आया ।
बनकर बैठा शिष्य , हृदय क्यों है घबराया ।।
पाया हूँ जो ज्ञान , कहूँ कम कैसे इतनी ।
कपट न पाया सीख , रही बस देखो उतनी ।।

०१/०३/२०२४      -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-

नम आँखों से बेटियाँ , करती बस ये चाह ।
मातु-पिता की अब यहाँ , कौन करे परवाह ।।
कौन करे परवाह , हमारी डोली उठते ।
ले जाती मैं स
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