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neelu
White फिर से वही कोशिश कीजिए आसमान को नीला और धरती को हरा कीजिए रविवार को गाजर और सोमवार को पनीर कीजिए कल को भूल कर ...आज को बेहतरीन कीजिए गन्ने का जूस या लस्सी कुछ भी .पर पीजिए अपना पराया छोड़कर. खुद से पहचान कीजिए रंग बदल कर गिरगिट की तरह गिरगिट को शर्मिंदा न1 कीजिए फिर से वही कोशिश कीजिए नफरत थोड़ी कम और प्यार ज्यादा कीजिए नोजोटो के लिए भी कुछ कह दीजिए भर भर के तोहफे दीजिए Ab aap bhi bus kijiye.. ©neelu #Lake #nojolife #nojohindi #motives #surdasauriqbalstory #nojolove #nojoenglish फिर से वही कोशिश कीजिए आसमान को नीला और धरती को हरा कीजिए र
paritosh@run
रूह तक नीलाम करनी पड़ती है... इश्क़ करना सबके बस की बात नहीं... ©paritosh@run रूह की नीलामी.. Ak.writer_2.0 Andy Mann Anupriya Arshad Siddiqui Dhyaan mira palak gupta aman6.1 Shubham Kumar Singh Mukesh Poonia Bobby(Br
Shivkumar
Vishnu Bhagwan वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से नयना सोए ।। जगत पालक जगतपति, की महिमा जटिल महान । लक्ष्मी पति बैकुण्ठ पति का, कोई क्या गाए गुणगान ।। धर्म उन्ही से कर्म उन्ही से, सबके पालनहार । सदा करे भक्तो की रक्षा, ले जग मे अवतार ।। चतुर्भुजा नीला वरण, तन पीताम्बर सोहे । हृदय बसे माता लक्ष्मी, माया से सबको मोहे ।। नाभि कमल से ब्रहम हुए, करने जगत संचार । सदा जपे हरि हर को, हर जपे हरि हर बार ।। कमल नयन पद्म चरण, सुंदर छवि बलवान । सबके स्वामी नारायण को, कोटी कोटी प्रणाम ।। ©Shivkumar #vishnubhagwan #विष्णु #Nojoto #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से न
Sethi Ji
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟 🌟 Happy Holi 🌟 🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟 आज अपने अंदर की बुराई को जला दो अपने संस्कारों की अच्छाई को जगा दो रोज़ देखता हूँ अपनी माँ को दिल में आती हैं एक ही ख्वाहिश ऐ मेरे ख़ुदा मुझे भी अपनी माँ जैसा बना दो कुछ ऐसा कमाल कर दो मेरे शब्दों में हर प्यार करने वाले की दिल में मुझे बसा दो आज भाई-भाई से लड़ रहा धर्म के नाम पर ऐ मेरे ख़ुदा इस नफरत की आग को हमेशा के लिए बुझा दो 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 ©Sethi Ji 💝💝 Happy Holi 💝💝 आप सबको होली की हार्दिक शुभकामनायें आओ आज हम सब मिल कर होली मनाएं दिल में प्रेम और उत्साह का दीपक जलाएं
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- ख्वाब आँखों में क्या पला था तब । छोड़कर जब सनम गया था तब ।।१ खत वहीं पे जला दिया था तब । बेवफ़ा जब सनम हुआ था तब ।।२ वक्त पे मैं पहुँच नहीं पाया । प्यार नीलाम हो चुका था तब ।।३ फासला चाह के किया उसने । प्यार का सिलसिला रुका था तब ।।४ कैसे कर ले यकीं सितमगर पे । उसकी हर बात में दगा था तब ।।५ राह कोई नजर न थी आती । पास कुछ भी न तो बचा था तब ।।६ खेल हम जाते जान की बाजी । साथ कोई नही खड़ा था तब ।।७ अब तो आँखों से बस बहे पानी । जख्म़ ऐसा हमें मिला था तब ।।८ दिल का सौदा करें प्रखर कैसे । प्यार में ही ठगा गया था तब ।।९ ०६/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- ख्वाब आँखों में क्या पला था तब । छोड़कर जब सनम गया था तब ।।१ खत वहीं पे जला दिया था तब ।