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Hemant Goyal Agrawanshi
आशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी"
"हुक्म-ए-सर-ए-बाम को न कर अबस बदनाम, ऐ खाकनशीं! अभी भी ढूंढ रहा है उनके जैसा मुकद्दर कोई!!" ©आशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी" करोड़ों के नायक और करोड़ों के प्रेरणास्रोत है ये। किसी के बदनाम करने से धूमिल नहीं होने वाले।।
Kamaal Husain
कोशिश और सिर्फ कोशिश एक हैरतअंगेज दास्ताँ पढें कैप्शन में कोशिश का अंदाजा शायद लग जाए नमस्कार लेखकों।🌸 Collab करें आज इस पर और अपने ख्याल व्यक्त करें। Check out our pinned post 🎊 #rzpartners #rzhindiquest238 #yqdidi #yqr
Shree
छोटी-सी बात आज प्रेम के साथ! प्रेम, तुम जिस गति से जीवन में आते हो, उसी गति से मेघ बनकर बरसते हो, तन, मन, जीवन सब भीगा जाते हो, सराबोर कर जाते हो, सोचने समझने का वक्त ही
Hrishabh Trivedi
Belated Happy marriage anniversary Namita ji🥰🥰🌺🌺💐💐🎉🎉 Dedicating a #testimonial to Namita Chauhan I'm so sorry नमिता जी कि मैं उस दिन आपको विश नहीं कर पाया। दिन में निजी कामों में फंसा रहा और श
Poetry with Avdhesh Kanojia
नमन भगवद्ध्वज को #poetry #poem #poetrycommunity #poet #nation #india #truth नमन भगवद्ध्वज को - - - - - - - - - - - - - - आप हो प्रेरणास्रोत हमारे आपने हमको
Vijay Thakare
जिंकायच्या उद्देषाने सुरुवात केली तर हारायचा प्रश्नच येत नाही, नेतृत्व आणि कर्तुत्व है कोणाकोडून उसने मिळत नाही ते स्वतःलाच निर्माण करावे लागतात...! #प्रेरणास्रोत🙏🏻
Shivangi
मेरे जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव और अगिनत उतार-चढ़ाव बने मेरे प्रेरणास्रोत, एक-एक अक्षरों को जोड़ कर उन्हें शब्द का रूप दिया, अपने शब्दकोश से नित नए शब्दों को ढूंढकर उन्हें एक वाक्य, एक पक्ति का रूप दिया, इन शब्दों, वाक्यों, पंक्तियों को जोड़-जोड़ कर मैंने अपने अनुभवों को कागज़ कलम संग पिरोना शुरू किया, कुछ इस तरह मेरी काव्य यात्रा की शुरुआत हुई, गुजरते समय के साथ मेरी यह काव्य यात्रा छोटे-छोटे पड़ावों को पार कर आगे बढ़ रही हैं, मैं अभी भी कागज़ कलम संग अपनी भावनाओं को बांटने में व्यस्त हूँ, उम्मीद करती हूंँ कि ईश्वर की कृपा से मेरी काव्य यात्रा यूँ ही आगे बढ़ती रहेगी।।।। मेरे जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव और अगिनत उतार-चढ़ाव बने मेरे प्रेरणास्रोत, एक-एक अक्षरों को जोड़ कर उन्हें शब्द का रूप दिया, अपने शब्दकोश से न
Kavya Goswami
यूँ तो कई बार मुलाक़ात हुई कभी प्रार्थना में तो कभी सपनों में तो कभी-कभी डायरी के पन्नों में... ( अनुशीर्षक में पुरी कविता पढ़े ) कभी जो रुबरु होती आपसे तो निश्चय ही जता पाती खुद की नज़रों में आपके प्रति मेरा स्वार्थी भाव जो मुझे निस्वार्थ बनाता है इस पूरी दुनियां की न
Ansh Rajora
खोज मुसाफिर खोज रे जिन खोजा तिन पाइया बाहर मिलै कुछ नाहीं घट भीतर तेरा साईंया सत्य है जब एक दिन यहां से प्रत्येक को जाना है तो एक राहगीर से अधिक अस्तित्व ही क्या है किसी का...धनी हो या निर्धन बस एक मुसाफिर है मंज़िल सभी