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चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

# कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024

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New Year 2024-25  कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
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हे दिसंबर ! कैसे कहूँ अलविदा --2024

जाते जाते  कितनों के आंँखें  कर गए नम
माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ, 
खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो गम

हे दिसंबर ! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा-- 2024

भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा
 ज़ख्म है कितना गहरा , बेखबर हो गए हो
तुम क्या जानो ! जाने कितनों की सांँसे थम गईं

हे दिसंबर ! कैसे कहूंँ  अलविदा -- 2024

कपकपाती काया के रूह से पूछो-
जाते जाते  कितने को दर्द दे गए
  सिलते सिलते जाने कितने की उंगलियांँ जम गईं 

हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा - 2024

(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश
३१/१२/२०२४ , ११:०८ पूर्वाह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024

Parasram Arora

कैसे पता लगे?

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Unsplash कैसे  पता लगे 
कि कौनसी बात
  न्याय संगत है 
और कौनसी बात व्यर्थ 

कागज़ी फूलों पर तुमने
कभी किसी  भवरे को 
बैठते हुए  देखा है क्या?

©Parasram Arora कैसे पता लगे?

F M POETRY

#ज़िन्दगी उलझी हुई.....

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Unsplash ज़िन्दगी उलझी हुई पहेली है..

कैसे हल होगी ये मालूम नहीं..



यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #ज़िन्दगी उलझी हुई.....

Parasram Arora

रुकी हुई साँसे

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White हवाए तों अभी भी
 अपनी शालीन गति 
से बह रहीं है 
इसके बावजूद उसकी
 साँसे  रुकी हुई दिख रहीं है 

हो सकता है वो 
आदमी इतने लम्बे अर्से 
से साँसे लेते  लेते थक
 गया हो और अब वो 
एक लम्बी नींद लेकर 
 अपनी उस थकान 
को विश्रान  देने की कोशिश कर रहा हो

©Parasram Arora रुकी हुई साँसे

KASTURI

एक कोशिश Dr Zohaan सैफ की रचना को गुनगुना ने की ....

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kuldeepbabra

सावन की शुरू हुई कावड़ हरिद्वार से उज्जैन तक wbhakti bhajan

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नवनीत ठाकुर

#हुस्न की चर्चा हुई और तेरा नाम याद आया

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White तेरी अदाओं से जो लिखी थी मोहब्बत की दास्तां,
आज उसी किताब का अधूरा पन्ना याद आया।
तेरी पलकों की स्याही से जो लिखे थे जज़्बात,
उन ख्वाबों का सिमटा हुआ फसाना याद आया।

तेरे लम्स की तपिश में जो पिघला था वजूद,
वो टूटते सितारों का सुहाना गुमां याद आया।
तेरी जुल्फों में छुपा था जो शाम का सुकून,
आज उसी ढलते सूरज का अंजुमन याद आया।

तेरी बातों के फूल जो खिलते थे चमन में,
उनकी खुशबू का बिखरा हर जाम याद आया।
तेरा नाम जुबां पर आते ही रोशन हुए,
हर उस हसीन पल का गुलिस्तां याद आया।

हुस्न की महफ़िल में जब तेरे हुस्न का ज़िक्र हुआ,
जैसे वीरानों में किसी का सलाम याद आया।
तेरे दीदार की हसरत में जो गुज़रे थे लम्हे,
उन लम्हों का हर अधूरा ख्वाब याद आया।"**

©नवनीत ठाकुर #हुस्न की चर्चा हुई और तेरा नाम याद आया

Nurul Shabd

#कभी #आंसुओं #में छुपी हुई, उनकी खामोशी की आवाज़

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Devendra Sahis

पनीर की सब्जी बीना पनीर के कैसे बनायें 🤣🤣

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Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#रचना

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उत्कृष्ट हो कालजयी प्रमाण बनना होगा 
ए मेरी रचनाओं तुम्हें..!
कलम की प्रतिष्ठा व सम्मान बनना होगा
ए मेरी संवेदनाओं तुम्हें..!

मेरे अंतर्मन का सर्व श्रृंगार हो तुम 
दीपक में ज्योति सा आधार हो तुम 
जीवनदर्शन का उपमान बनना होगा 
 ए मेरी सामर्थ्यताओं ओं तुम्हें..!

बड़ी सिद्द्त से गढ़ा है हर्फ़ हर्फ़ तराश कर
कैसे जी पाउँगा तुमसे ही हारकर 
निराभिमान स्वाभिमान बनना होगा
ए मेरी कल्पनाओं तुम्हें..!

तुम्हारा अस्तित्व यूँ निरर्थक न हो पाये 
हमारा अथक परिश्रम ही व्यर्थ न जाये 
सत्यं शिवम सुंदरम की पहचान बनना होगा
ए मेरी प्रेरणाओं तुम्हें..!

प्रेम से पल्ल्वित हो पवित्रता का परिचय बनो
तुम अमिट हो अजेय हो तो अक्षय बनो 
काव्य धरोहर में मनोरम स्थान बनना होगा
ए मेरी भावनाओं तुम्हें..!

©अज्ञात #रचना
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