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Ratan Singh Champawat
सत्य के साथ प्रयोग ✍️✍️✍️✍️✍️ शेष अनु शीर्षक में पढ़े ♦️♦️अनुभूति के आंगन से♦️♦️ 💓 कुछ स्पंदन 💓 जागा था भाव एक दिन मुझ में भी कि जीवन ऊर्जा का उपयोग करूं और मैं भी सत्य के साथ कुछ प्रयोग
Shree
कल शाम की मुलाकात... ✍🏼— % & कल शाम की मुलाकात करो बात.... रुको साथ! सुनो ना, बैठो पास... नहीं पास तो सामने...! शाम ढ़लने को उतारु...उतावली, रात ख्वाहिशें जगाती दरम्यान
AK__Alfaaz..
आग्रह की वाणी, अवसादित हो गयी, जब विखंडन रचित किया गया, उसके हृदय का, और..उसके जीवन के, प्रत्यय की आत्मियता, उपसर्ग की पगड़ियों मे लिपट, मर्यादा के बंधेज मे, बँधकर रह गयी, कि..जैसे, आँखों से बहता नमक, हृदय के घावों पर उसके, अपना वियोग मलता है,— % & #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अग्निशिखा आग्रह की वाणी, अवसादित हो गयी, जब विखंडन रचित किया गया, उसके हृदय का,
Anupama Jha
"काश" इच्छाओं का उपसर्ग है और "आस" प्रत्यय । #काश #आस #उपसर्ग #प्रत्यय #yqdidi #hindiquote #हिंदीकोट्स
AB
" ओ शुभम " प्रिय ( शुभम ) औघड़ , तुम उम्र के उस पड़ाव पर पहुँच चुके हो जहाँ तुमने काफी कुछ अर्जित कर लिया है, और साथ ही बहुत कुछ अर्जित करने को हो, मेर
Divyanshu Pathak
हमें इश्क़ के तीर से घायल कर दिया। हूर हुई धड़कन दिल पायल कर दिया। एक से दूसरे की बढ़ती शोभा कहते हैं! चाहतों के ज़ोर ने इकायल कर दिया। 'इकायल' एक नया शब्द है जिसका निर्माण आदर्णीय Ritu Vemuri ji ने किया है - मैंने इसे अर्थ देने की कोशिश की है आओ देखते हैं- यह एक मिश्रित शब्द
Divyanshu Pathak
प्रेम पंथ की बनकर किताब तुम मेरे सामने आती हो ! एक अल्हड़ से मस्त भ्रमर को तुम पाठक कर जाती हो !! स्वर व्यंजन के शब्द जाल को चुपके से यार बिछाती हो ! सन्धी कर खुद हो समास तुम प्रत्यय मुझे बनाती हो !! क्रियाविशेषण सर्वनाम सब तुम उपसर्ग लगाती हो ! महाप्राण का कारक बन अन्तःस्थ हृदय हो जाती हो !! प्रेम पंथ की बनकर किताब तुम मेरे सामने आती हो ! एक अल्हड़ से मस्त भ्रमर को तुम पाठक कर जाती हो !! स्वर व्यंजन के शब्द जाल को चुपके से यार बि
Divyanshu Pathak
"व्याकरण" क्रमशः 03 श्रीशास्त्वाअवतु माअपोह, दत्तात् ते मेअपि शर्म सः ! स्वामी ते मेअपि स हरि:,पातु वाम अपि नौ विभु: !! सुखं वां नौ ददात्वीस:,पतिर वाम अपि नौ हरि: ! सोअव्याद वो न: शिवं वो नो,दद्यात सेव्योअत्र वः स नः !! श्री हरि विष्णु इस संसार में मेरी और तेरी रक्षा करे ! वह मुझे और तुझे सुख दे ! वह विष्णु तेरा और मेरा भी स्वामी है ! वह विभु तुम दोनों और हम दोनों की रक्षा करे ! वह ईश्वर तुम दोनों और हम दोनों को सुख दे ! वह हरि तुम दोनों और हम दोनों का स्वामी है वह तुम्हारी और हमारी रक्षा करे ! वह तुम्हें और हमें सुख दे ! वह इस संसार में तुम सभी का और हम सभी का सेव्य है ! 🌞☕#पंछी☕☕🍹#पाठक🤓😃😀😄#व्याकरण🍧🍑💞#शिक्षा💕🙏 #भारतीय 🙏🌷🌹🌸#हरेकृष्ण🌺🏵️🌻🌻#संस्कार🐦🍇🍉🍑🍍🔯🕉️🔯 "पूर्वपाणिनि 15 व्याकरण आचार्य" 🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯 8.काशकृ
Divyanshu Pathak
व्याकरण व्याकरण की उत्पत्ति वेदों के साथ ही मानी जाती है ! प्रचलन में पाणिनि ऋषि की व्याकरण को मान्यता प्राप्त है ! पाणिनी से पूर्व अनेक व्याकरण आचार्य हो चुके थे! इनके ग्रंथों का आश्रय लेकर पाणिनि ने अष्टाध्याई की रचना की है ! इसीलिए व्याकरण को तीन भागों में विभाजित किया गया है ! 1.--पूर्व पाणिनी व्याकरण 2.--पाणिनी व्याकरण 3.--उत्तर पाणिनि व्याकरण प्राचीन ग्रंथों में पाणिनि से पहले लगभग 85 व्याकरण आचार्यों के नाम हमें प्राप्त हुए हैं उनमें से 10 का जिक्र आचार्य पाणिनि ने अपनी अष्टाध्याई में किया है ! आपिशलि,गार्ग्य,गालव,चक्रवर्मन,भारद्वाज, शाकटायन, शाकल्य,सनक, स्फोटायन, आदि । 🍹🍬🎂🎂🍟🌺🍫😜👍🏵😛🍔😝🏵🏵🙄🤗🙃😨😮😦😧😣😣🌞🤓🙉🙈🙀😸😻🙏👉👇 पाणिनी से पूर्व प्राचीन ग्रंथों में 15 आचार्यों का जिक्र आता है जिनमें से शिव या महेश्वर बृहस्पति इंद्र
तुषार"आदित्य"
अटल शिव पसंद है मुझे। वो हठी इंद्र नही। स्वाभिमान पसंद है। कोई झूठा घमंड नही। तांड़व देख सकता हूँ मैं। अप्सराओं का नृत्य नही। खुशी से हलाहल पी लूंगा। मगर छल का अमृत नही। मुझे अपना हिमालय चाहिए। कोई दहशत वाला स्वर्ग नही। उपयुक्त सारे प्रत्यय स्वीकार है। अनुपयुक्त कोई उपसर्ग नही। अटल शिव पसंद है मुझे। वो हठी इंद्र नही। अटल शिव पसंद है मुझे। वो हठी इंद्र नही। स्वाभिमान पसंद है। कोई झूठा घमंड नही। तांड़व देख सकता हूँ मैं। अप्सराओं का नृत्य नही। खुशी से हलाहल प