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सुरेश सारस्वत
White कुछ रात की खुमारी है नए ख्वाब की शुमारी है । कहने को नाम है हसरतें सब चाहतें वो तुम्हारी है । जो हैं बातें राजे ज़िन्दगी हमने सभी वो संवारी है । तन्हाइयों में जो गूंज है वो ही शक्ल तो उभारी है । जो बरस रहा है आंखों से रूहानी प्रेम कहानी है । हमसे जुड़ा है जो हमनवां सांसों में खुश्बू उतारी है । अब जिंदगी मुश्किल नहीं दिन रात संग गुज़ारी है । सायों को सच ये कह दिया पहचान अपनी पुरानी है । ©सुरेश सारस्वत #love_shayari कुछ रात की खुमारी है
harsha mishra
White आज की नारी कल तक मूकबधिर-सी जिह्वा अब अग्नि की धार बहे। अबला सम चर्चित जो जग में, अब जन - जन सबला नार कहे।। हर्षा ©harsha mishra आज की नारी
Jashvant
White दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे वो फ़लाने से फ़लाने से फ़लाने से मिले ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले कभी लिखवाने गए ख़त कभी पढ़वाने गए हम हसीनों से इसी हीले बहाने से मिले इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले एक हम ही नहीं फिरते हैं लिए क़िस्सा-ए-ग़म उन के ख़ामोश लबों पर भी फ़साने से मिले कैसे मानें कि उन्हें भूल गया तू ऐ 'कैफ़' उन के ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले ©Jashvant ग़ज़ल ( माँ )
Deep Aviral
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. वो सुनते हैं उनको सुनाते रहना पेड़ों को अपना दुख बताते रहना घटती हो इज़्जत तो घटे मगर तुम उसकी गली से आते जाते रहना ये समझो इक उत्सुक्ता है मुहब्बत तुमने की है सबको कराते रहना हमको मुहब्बत के ये मानी हैं बस चट्टानों को मखमल बनाते रहना ©Deep Aviral #ग़ज़ल
Amit Singhal "Aseemit"
नवरात्रों के नौ दिन होंगे और होंगी नौ गरबे की रात, भक्ति, शक्ति, खुशी, उत्साह व उमंग की होगी बात। ©Amit Singhal "Aseemit" #गरबे #की #रात
HintsOfHeart.
"आप की याद आती रही रात भर'' चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर एक उम्मीद से दिल बहलता रहा, इक तमन्ना सताती रही रात भर"¹ ©HintsOfHeart. #फ़ैज़_अहमद_फ़ैज़ ने यह ग़ज़ल मशहूर शायर मख़्दूम मोहिउद्दीन की याद में लिखी थी। मोहिउद्दीन की ग़ज़ल की पहली लाइन भी यही थी "आप की याद आती रह
श्याम कौशिक
क्या कुछ हम में कमी है अभी इन चिराग़ों में रौशनी है अभी छोड़ो मुझ को लुटना खसोटना चंद लम्हों की जिन्दगी है अभी रात के बाद सबेरा आयेगा नया आहट ऐसी ही आ रही है अभी बात तो पते की ही कहीं उस ने क्या कोई गुंजाइश बची है अभी हिम्मत जो बची है कैसे छोड़ दे आस दिल में ऐसी लगी है अभी श्याम कौशिक ©श्याम कौशिक #snowpark ग़ज़ल