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ASHISH BALA
शिरीन... #ishq #mithayaar #jazbaat #alfaaz
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
प्यारे तु दुश्मन से भी दोस्ती कर, जरा इतनी*सरपरस्ती तो कर//१ दिल न दुखा तु*तल्खी से जरा *शिरीन खुदकी*हस्ती तो कर//२ उनवां बनाकर*खलकत में,जरा हालत मतलबियों की*खस्ती तो कर//३ इस चार दिन की जिंदगानी में, जरा प्यारे कुछ मस्ती तो कर//४ "शमा"तु सबसे मेलझोल बढाके, जरा इस हस्ती को सस्ती तो कर//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #beautifulhouse प्यारे तु दुश्मन से भी दोस्ती कर,जरा इतनी *सरपरस्ती तो कर//१ दिल न दुखा तु*तल्खी से जरा*शिरीन खुदकी *हस्ती तो कर//२ उनव
कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
कहने को तो कह दूँ जो ज़हन में है प उठ बैठेगें वो भी जो कफ़न में है साँसों का हिसाब दो कितनी साँसें लीं पूछ लो मालिक जो आपके मन में है बस दो - चार ही तो काम है जहां में मेरे , चार दिन की चांदनी फिर अँधेरा फ़न में है सबको ज़रूरत की रोटी है मिल जाती इसकी बुराई उसकी बुराई सब फैशन में है लोग जानतें हैं के मरना है सबको इक दिन मरते हुए जीते हैं जैसे सारा मज़ा धन में है छुट्टी पे भी करवाओगे काम अब तुम हमसे सिर्फ फायदा उठाना ही तो तेरे प्रयोजन में है । गुलाम और गुलामी कहाँ ख़त्म हुई यारों ग़ौर से देख लो आस-पास जन-जन में है शिरीन कर के भी देखा अपनी ज़ुबाँ को हमनें पर इन ऊचों को लगता ,के सब कुछ उन में है राम थोड़ी देर तो रोक लो इस भले यमदूत को देखो चरणामृत अभी सतिन्दर के आचमन में है ©️✍️ सतिन्दर कहने को तो कह दूँ जो ज़हन में है प उठ बैठेगें वो भी जो कफ़न में है साँसों का हिसाब दो कितनी साँसें लीं पूछ लो मालिक जो आपके मन में है बस
कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
कहने को तो कह दूँ जो ज़हन में है प उठ बैठेगें वो भी जो कफ़न में है साँसों का हिसाब दो कितनी साँसें लीं पूछ लो मालिक जो आपके मन में है बस दो - चार ही तो काम है जहां में मेरे , चार दिन की चांदनी फिर अँधेरा फ़न में है सबको ज़रूरत की रोटी है मिल जाती इसकी बुराई उसकी बुराई सब फैशन में है लोग जानतें हैं के मरना है सबको इक दिन मरते हुए जीते हैं जैसे सारा मज़ा धन में है छुट्टी पे भी करवाओगे काम अब तुम हमसे सिर्फ फायदा उठाना ही तो तेरे प्रयोजन में है । गुलाम और गुलामी कहाँ ख़त्म हुई यारों ग़ौर से देख लो आस-पास जन-जन में है शिरीन कर के भी देखा अपनी ज़ुबाँ को हमनें पर इन ऊचों को लगता ,के सब कुछ उन में है राम थोड़ी देर तो रोक लो इस भले यमदूत को देखो चरणामृत अभी सतिन्दर के आचमन में है ©️✍️ सतिन्दर कहने को तो कह दूँ जो ज़हन में है प उठ बैठेगें वो भी जो कफ़न में है साँसों का हिसाब दो कितनी साँसें लीं पूछ लो मालिक जो आपके मन में है बस
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White जो मेरे साथ में बुगज रखे हुए सोगवार हो, लानत हो ऐसो पर और बेशुमार हो//१ अदु अब चाले ना चल,ये ना हो कहीं तू खुद से ही फंस कर मुझसे ता उम्र शर्मसार हो//२ मैं शिरीन हूं,तु मुझे दिल में रखता क्यूं नही,तू तुर्श है तो फिर मेरे इस दिल से तेरा उतार हो//३ तेरे दीदार को ये चश्म बहुत तमन्नाई है,कहीं ये ना हो तु आ गया हो और फिर भी इंतजार हो//४ खामख्वाह क्यूं करे अब ऐसे अपनों से इसरार,के "शमा" को नहीं हाजत ऐसो की जो बस दिखावे से सोगवार हो//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Couple जो मेरे साथ में *बुगज रखे हुए सोगवार हो,लानत हो ऐसो पर और बेशुमार हो//१ *ईर्ष्या*शोकाकुल *अदु अब चाले ना चल,ये ना हो कहीं तू खुद से
Divyanshu Pathak
सुनो मैं ईश्वर को प्रेम लिखता हूँ क्योंकि वह भाव है देने का उसी तरह जीवन दिया है बिना कुछ लिए दिया है ना ! इसे स्वीकारते हो या नही हाँ तो कुछ भी छीना नही अब तुम्हें प्रेम से ही इसे विस्तार देना है ! कुछ को विशेष मानकर स्वयं जोड़ लेता है आशाएं अपने लिये कुछ उम्मीदें भी महत्वकांक्षाऐं लेकर पड़ता है बंधन में और दोष प्रेम पर रख स्वयं को निर्दोष साबित करता है ! 😊💕#good night💕😊 : प्रेम प्रदीप्ति हृदय में हो तो क्या भूख क्या प्यास ? जठराग्नि को बल ही नही मधुरता के आभास से तृप्त स्वयं की सुध रहती ही कब
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Ejaz Ahmad
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
*लहजा_ए_हुरमत से*शिरीन रिश्ते संभल जाते है *लफ्ज_ए बेहुरमत से अपने भी बदल जाते है//१ बमुश्किल गुजरता है*हिज्रे वक्त,कि अपनो के लगाव से,ये वक्त पल में संभल जाते है//२ *बदगुमानी में हम क्या,क्या नहीं करते,कि तोड़ के दिल,अपनो का,आगे निकल जाते है//३ *जुल्मत ने बुझा डाले कई चिराग*सहर न हुई, देखते देखते*बस्ती_ए_नशेमन जल जाते है//४ *दस्त पे दस्त धरे,कब सुलझे है*मसाइल भला चश्म बंद करने से हादसे टल जाते है//५ "शमा"कब लौटकर आते हैं छोड़कर जाने वाले ये तो*दिलासे की बात है,कि हम कल आते हैं//६ ©shama writes Bebaak #lifeTravel *लहजा_ए_हुरमत से*शिरीन रिश्ते संभल जाते है*लफ्ज_ए बेहुरमत से अपने भी बदल जाते है//१ आदरभाव के संबोधन *मधु*अनादर के बोल बमुश्किल