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Durgesh Tiwari..9451125950
जॉन एलिया और वसीम बरेलवी साहब के पुरातन चहेते,स्वभाव से सहज और व्यवहार से कर्मनिष्ठ,अपनी मित्र मंडली द्वारा स्वघोषित बी०टी०सी प्रशिक्षण के दौरान अम्बेडकर नगर वाली ऐनकधारी मैडम के भीरु प्रेमी,प्रशिक्षण के समय प्रिंसिपल सर के आभासी लाठी(स्कॉउट गाइड वाला लट्ठ)से पूर्ण रूप से आशीर्वाद अर्जित करने वाले,प्रेमिकविहीन कक्षाकक्ष में सर को देश के आजादी का सही तिथि न बता पाने वाले महान क्रांतिकारी, गुनाहों का देवता,गोदान,चित्रलेखा, वैशाली की नगरवधू तथा रश्मिरथी जैसे रचनाओं पर अपना विशेष मत रखने वाले, सरकार के मुख्य आर्थिक नियोजन कार्यक्रम(आबकारी विभाग)के स्टार प्रचारक,विशेष पल(चषक के सम्पर्क में आने के उपरांत)एक विशेष शायर,गायक व एक वरिष्ठ अंग्रेजी वक्ता,नवागत घरेलू पिच और प्राथमिक विद्यालय वाली क्रिकेट पिच के ऑलराउंडर खिलाड़ी,पेशे से प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक किंतु जेब से अत्यंत खर्चीले(हालांकि गृहमंत्री के आने से कुछ हद तक नियंत्रण हुआ है।),कालांतर में बहुवचन में त्यागे गए प्रेमिका के आतुर प्रेमी,एक अत्यंत ही सुंदर और सुशील पत्नी(गोराई में इनको भी मात देने वाली) और एक प्यारी बिटियां के जेंटलमैन पापा,तथा देवेंद्र पासी(ताड़ी व्यापारी,जहानागंज)और संभावी दुल्हेराजा संजय भाई(प्राथमिक शिक्षक)कप्तानगंज समेत हम सबके{खासतौर से मेरे} बहुत ही अजीज मित्र भाई रजनीश दुग्गल को जन्मदिन की हार्दिक बधाई व अशेष शुभकामनाएं। महादेव जी की कृपादृष्टि बनी रहे। 🎂🎈🥰🎉🥳🔥😍 ©Durgesh Tiwari..9451125950 #BirthDay rj
Rj purab
छोटी सी जिंदगी है अरमान बहुत है, हमदर्द नहीं कोई इंसान बहुत है, दिल का दर्द सुनाए तो किसको, जो दिल के करीब है वो अनजान बहुत है! ©Rj purab Rj
Rj #Shayari
read moreRj purab
जिंदगी के रथ में लगाम बहुत है, अपनों के अपनों पर इल्जाम बहुत हैं, शिकायतों का दौर देखता हूँ तो थम सा जाता हूँ, लगता है उम्र कम है और इम्तिहान बहुत है! ©Rj purab Rj purab
Rj purab #Shayari
read moreकरम गोरखपुरिया
Sumit Hansarian
angreji GyanSpeaK OuT @ indu karamunge Sanjana Rj Kant krishn kant kadamkl #वीडियो
read moreJashvant
White तुम जो क़ातिल न मसीहा ठहरे न इलाज-ए-शब-ए-हिज्राँ न ग़म-ए-चारागराँ न कोई दुश्ना-ए-पिन्हाँ न कहीं ख़ंजर-ए-सम-आलूदा न क़रीब-ए-रग-ए-जाँ तुम तो उस अहद के इंसाँ हो जिसे वादी-ए-मर्ग में जीने का हुनर आता था मुद्दतों पहले भी जब रख़्त-ए-सफ़र बाँधा था हाथ जब दस्त-ए-दुआ थे अपने पाँव ज़ंजीर के हल्क़ों से कटे जाते थे लफ़्ज़ तक़्सीर थे आवाज़ पे ताज़ीरें थीं तुम ने मासूम जसारत की थी इक तमन्ना की इबादत की थी पा बरहना थे तुम्हारे यही बोसीदा क़बा थी तन पर और यही सुर्ख़ लहू के धब्बे जिन्हें तहरीर-ए-गुल-ओ-लाला कहा था तुम ने हर नज़्ज़ारा पे नज्ज़ारगी-ए-जाँ तुम को हर गली कूचा-ए-महबूब नज़र आई थी रात को ज़ुल्फ़ से ताबीर किया था तुम ने तुम भला क्यूँ रसन-ओ-दार तक आ पहुँचे हो तुम न मंसूर न ईसा ठहरे ©Jashvant आखिर क्यों? R... Ojha NAZAR Raunak PФФJД ЦDΞSHI Geet Sangeet
आखिर क्यों? R... Ojha NAZAR Raunak PФФJД ЦDΞSHI Geet Sangeet #Life
read moreAmitSinghRajput ASR
Naincy Trivedi RJ Gumnam fouji "Hindustani" Riti sonkar @hardik Mahajan #वीडियो
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