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नशीली कलम
हाँ में लड़की हूँ👧 मुझे पता है मुझे पराये घर🏣 जाना है पर ये देश 🇮🇳तो मेरा अपना और एक आईपीएस💂 बन कर इसकी सेवा करना मेरा सपना है 🇮🇳आईपीएस🇮🇳 #आईपीएस #संघर्ष #निष्ठा #मेरा_भारत
Ek villain
भारत और कनाडा के संबंधों को जैसे मुद्दे में सर्वाधिक प्रभावित किया जाता है वह खाली स्थान का मुद्दा पिछली सदी के आठवें दशक में खासकर ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद भारतीय संघ से अलग होकर एक नए देश खालिस्तान के निर्माण के लिए इनको को विदेशी ताकतों ने जमकर बाधित करना शुरू कर दिया भारत विरोधी के प्रोपेगेंडा चलना भारत संघ के खिलाफ विषय द्वेष और नफरत करना आम बात हो गई थी दिलचस्प बात यह है कि खाली स्थान का मुद्दा हो या कश्मीर का उसे घरेलू स्तर पर तो विवादों को तोड़ने देने में कमी आ गई यदा कदा ऐसे मुद्दे भरते हैं जैसे कि आप दिल्ली के मुख्यमंत्री के संदर्भ में उभरा है लेकिन विदेश में भारतीय संघ के खिलाफ अलगाववादी आंदोलन को संगठित करके उसे फंडिंग करना उस पर रणनीति बनाने की प्रवृत्ति कायम रही है उसके पीछे मूल कारण यह था कि भारत विरोधी ताकतों पर कुछ भारतीय प्रवासी समुदाय को अपने राजनीतिक उद्देश्य के लिए उपयोग करना चाहा वहीं भारत में भी भारतीय प्रवासी समुदाय को राजनीतिक विचार और लाभ लेने की कोशिश की गई लेकिन ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों में खालिस्तान समर्थकों के बीच बीच में दिखाई गई ©Ek villain #काली स्थान मुद्दा और भारत कनाडा संबंध #selflove
Anuradha Vishwakarma
49 वीं समानांतर रेखा- अमेरिका तथा कनाडा के मध्य हैं, ये अमेरिका तथा कनाडा को दो भागों में बांटती है। jhankiom vishwakarma #river 49 वीं समानांतर रेखा- अमेरिका तथा कनाडा के मध्य हैं, ये अमेरिका तथा कनाडा को दो भागों में बांटती है। jhankiom vishwakarma
FBAEC
कुंडली में आईपीएस आईएएस का योग आइएएस और आइपीएस के योग प्रतियोगी और उच्च पदों की परीक्षा में सफलता हेतु सर्वप्रथम पूरी तरह से उस परीक्षा में सफल होने के लिए दृढ़ण निश्चयी होना, पराक्रमी और अत्यंत बुद्धिमान होने के साथ-साथ जातक की कुंडली में लग्न, षष्ठ और दशम भाव का बली होना और इनके भावेशों का शक्तिशाली होना अत्यंत आवश्यक है। यह तृतीय भाव, भावेश व कुंडली में उत्तम स्थान पर प्रतिष्ठित होना भी महत्वपूर्ण है। प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने के लिए जातक की जन्म कुंडली में सबसे पहले लग्न का बली व शक्तिशाली होने के साथ-साथ लग्नेश का उत्तम स्थान पर होना अति आवश्यक है। उसके बाद जातक के कर्म के भाव को देखा जाता है जो कि दशम भाव है। इस भाव के आवेश की प्रबलता से जाना जाता है कि जातक का व्यवसाय क्या होगा और वह उसमे कितना सफल होगा। जिन भावों के स्वामी दशम में होते हैं, उन्हें भी पर्याप्त बल मिल जाता है। यदि जातक की जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी बलवान होकर दशम भाव में बैठे या दशम भाव में सभी शुभ ग्रह हों और दशम भाव का स्वामी बली होकर अपनी या अपनी मित्र राशि में होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो व्यक्ति दीर्घायु होता है और उसका भाग्य राजा के समान होता है। उसकी रूचि धर्म-कर्म में होती है तथा वह यशी होता है। नभसि शुभखगे वा तत्पतौ केन्द्रकोणे, बलिनि निजगृहोच्चे कर्मगे लग्नपे वा। महित पृथुयशा: स्याद्धर्म कर्म प्रवृत्ति: नृपति सदृशभाग्यं दीर्घामायुश्च तस्य।| सबले कर्मभावेशे स्वोच्चे स्वांशे स्वराशिशे जातस्तातसुखोनादयो यशस्वी शुभकर्मकृत।| दशमेश सबल हो, अपनी राशि, उच्च राशि अथवा अपने ही नवांश में होने पर जातक पिता का सुख पाने वाला तथा यशस्वी एवं शुभ कर्म करने वाला होता है। स्वस्वाभिमाना वीक्षित: संयुतो वा बुधेन वाचस्पतिना प्रदिष्ट:। स एव राशि बलवान् किल स्वाच्छेषैर्यदा दृष्ट युता न चात्र।| जो राशि अपने स्वामी से दृष्ट हो या युक्त हो अथवा बुध व गुरु से दृष्ट हो, वह लग्न राशि निश्चित रूप से बलवान होती है। इसके आलावा स्वस्वामी बुध गुरु के अतिरिक्त अन्य ग्रहों से दृष्ट अथवा युक्त हो तो निर्बल होता है। यदि जन्मकुंडली के लग्न व दशम भाव में सूर्य का प्रभुत्व हो तो जातक राजनेता या राजपत्रित अधिकारी और मंगल का प्रभुत्व हो तो जातक के पुलिस या सेना उच्च पद पर आसीन होने के संकेत मिलते हैं। इन भावों में अन्य अच्छे योग जातक के जीवन में यश कीर्ति व शक्ति और लक्ष्मी की प्राप्ति होने का संकेत देते हैं। बलि लग्नेश तथा शक्तिशाली दशमेश यदि लग्न व दशम भाव में हो तो जातक उच्च पद पर आसीन होता है। गुरु का प्रभाव भी यश एवं कीर्ति तथा शुभ कर्म करने वाले लोगों पर देखा जाता है। अधिकतर उच्च पदों पर कार्यरत जातकों की कुंडली में बुध आदित्य योग जरूर होता है। जातक के उच्च पद पर आसीन होना उसकी जन्म कुंडली के छठे भाव पर भी बहुत हद तक निर्भर करती है। छठे भाव पर भी बृहस्पति की दृष्टि अथवा उपस्थिति होना भी जातक के सफल होने का संकेत देती है। यदि दशम भाव पर छठे भाव और भावेश का प्रभाव अच्छा है तो जातक के शत्रु परास्त होंगे तथा सेवक स्वामीभक्त होंगे। दशम भाव की 6,7,9,12 वें भाव पर अर्गला होती हैं जिनके द्वारा दुश्मन, नौकर वैभव तथा निद्रा प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए चाणक्य ने कहा है कि जिस राजा के कर्मचारी वफादार होते हैं, उसे कभी परास्त नहीं किया जा सकता। नई नौकरी की शुरुआत देखने के लिए पंचम भाव की पड़ताल की जाती है। पंचम भाव जातक की योग्यता, शक्ति और सम्मान और राज्य की योग्यता के कारण को दर्शाता है। यह पूर्ण उच्च शिक्षा का भी भाव है। एकादश प्रथम, द्वितीय और अष्टम की दशम भाव पर अर्गला होती है। अत: यह भाव भी महत्वपूर्ण है। पंचम भाव दशम से आठवां होने के कारण कार्य का प्रारम्भ तथा उसकी अवधि को प्रभावित करता है। कुंडली के दशम भाव में कोई भी गृह उत्तम फल देने में स्वतंत्र होता है, लेकिन कुंडली के नवांश और दशमांश कुंडली का भी लग्न कुंडली की भांति सभी तरह के योगों की अच्छी तरह पड़ताल करने पर ही पूर्णतया फल-कथन किया जाना चाहिए। आर्थिक त्रिकोण 2, 6, 10 वें भाव पर निर्भर करता है। अत: इनका प्रभाव अवश्य ही महत्वपूर्ण होता है। ©FBAEC क्या आपकी कुंडली में आईपीएस और आईएएस बनने का योग है
Ravindra Singh
http://yehaiindia.in/tourist-places-canada-in-hindi/ कनाडा में घूमने लायक जगह Tourist Places Canada in Hindi
Avneesh Kumar Chauhan
ummed Singh Karauli
"फर्क होता हैं खुदा और फ़कीर में फ़र्क होता है किस्मत और लकीर में अगर कुछ चाहों और ना मिले तों समझ लेना कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में #LostInNature फ़र्क होता है खुदा और फ़कीर में #खुदा#लकीर#खुदा_को_जो_पसंद_है #किस्मत #किस्मत_मेहनत_करने_से_बदलती_है #किस्मत__सबको__मौका__देत