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#maxicandragon
अमरावती के ब्रायलर बच्चे क्या दाना चुग पाऐंगे ठंड बढ रही है तेजी से, क्या वो ये सब सह पाऐगे लाखों की यूं सेंध लगाकर हाँ वो मीर बन जाएंगे भूरी नाच रही सब छोडे वही पीढी को सिखलाएंगे मरने तो दो चार तभी तो वो घर से बाहर आएंगे सांतवना मगरमच्छ के आँसू तब आँखों पे लाएंगे दलिया पानी बकरी का वो दूध पे पल जाएंगे कही हो गई चूक अगर तो मुर्गी से मर जाएंगे कितने भी बढ जाएं चूजे, चूजे ही कहलाएंगे इन्हें रखो तुम ओढ ढांक के वरना ये गल जाएंगे #प्लास्टिक_कि_गुडिया #Sadharanmanushya ©#maxicandragon अमरावती के ब्रायलर बच्चे क्या दाना चुग पाऐंगे ठंड बढ रही है तेजी से, क्या वो ये सब सह पाऐगे लाखों की यूं सेंध लगाकर हाँ वो मीर बन जाएंगे भ
Naresh Chandra
बाबा बर्फानी गतांक से आगे..🙏 ©Naresh Chandra नीलमत पुराण और बृंगेश संहिता में अमरनाथ। नीलमत पुराण, बृंगेश संहिता में भी अमरनाथ तीर्थ का बारंबार उल्लेख मिलता है। बृंगेश संहिता में लिखा ह
Anil Siwach
Anil Siwach
अज्ञात
पेज -5 रत्नाकर कालोनी.. ! इस स्वार्थपरक जहां से अलग दुनिया..! बड़ी अनोखी, बड़ी सुहानी दुनिया.. जहाँ भोर में सूरज की पहली किरण आते ही कालोनी के मंदिर में मन को शीतल करने वाली आरति और मस्जिद में अजान से साँझ का प्रारम्भ होता था..ईश्वर की कृपा ऐसी हुई कि वहाँ सभी रचनाकारों का व्यवसाय व्यापार और जॉब सेटल हो गया... इस कालोनी में आकर सबने अपने जीवन का एक ही लक्ष्य बना लिया... " एक दूजे के लिये जीना है " कालोनी पूरी तरह से ईर्ष्या द्वेष, घृणा मनमुटाव से मुक्त केवल भाईचारे के भावों से ओतप्रोत हो गई... ऊंच नीच जात पांत छोटा बड़ा.. इन शब्दों का कोई स्थान ही नहीं था.. मनुष्य जीवन कैसा होना चाहिए इसके लिये लोगों की जुबां पर रत्नाकरवासियों का नाम आने लगा और देखते ही देखते इस कालोनी के प्रेम और भाईचारे ने आस पास के शहरों में भी अपनी खासी पहचान बना ली.... मानो इस कालोनी को ईश्वर ने अपनी निगरानी में रख लिया हो.. और क्यूँ ना रखे ईश्वर का वास भी तो वहीं होगा जहां छल कपट ईर्ष्या द्वेष नहीं होगा... हर दिन सुखमय.. हर घड़ी आनंदमयी..! कथाकार आये दिन अपनी कालोनी में सुबह शाम भ्रमण करके सबसे उनकी कोई भी परेशानियों के बारे में पूछता चलता था..इस कालोनी ने सारे संसार की दिव्यता को अपने में समेट रख्खा था, परिणाम ये हुआ कि नोजोटो के जिन रचनाकारों को अब तक इस. कालोनी की ख़बर नहीं थी उन्हें भी जब यह पता चला तो वो भी इस कालोनी का हिस्सा बनने को आतुर हो गये.. उन रचनाकारों में A.K.शर्मा जी..जिनकी रचनाएँ बोलती हैं संस्कृति सभ्यता से जोड़ती हैं, सुमित जी..कुशाग्र लेखक...जिनकी रचनाओं की सराहना नोजोटो के मेधावी रचनाकार भी करते हैं, मनीषा जी.. जिनके आडिओ,विडिओ,राइट-अप्स, अपने आप में अद्भुत हैं, जिनकी लेखिनी बेहद प्रभावशाली है अब इस कालोनी में शामिल हो गये, सभी कालोनीवासियों ने तहे दिल से इनका स्वागत किया,, मगर अभी रचनाकारों के आने का क्रम समाप्त नहीं हुआ बल्कि नये नये रचनाकार इस अमरावती से भी उत्तम कालोनी में अपना आशियाना बनाने को उत्सुक हैं,और हों भी क्यूँ नहीं, हम सभी एक ही परिवार तो हैं,, सबका अभिनन्दन है, सबका स्वागत है.. रत्नाकर कालोनी आपका अपना वैकुण्ठधाम है.. कथाकार इनके आने से और भी प्रफुल्लित हुआ.. आइये अब चलते हैं रत्नाकर कालोनी में रोजाना घटित होने वाले कुछ आनंददायी दृश्यों की ओर... अब आगे पेज-6 ©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी पेज -5 रत्नाकर कालोनी.. ! इस स्वार्थपरक जहां से अलग दुनिया..! बड़ी अनोखी, बड़ी सुहानी दुनिया.. जहाँ भोर में सूरज की पहली कि
Anil Siwach
Anil Siwach
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 "रक्षा बंधन पर केवल हमें अपनी ही नहीं अपितु हर स्त्री की रक्षा का वचन लेना चाहिए ,सभी देशवासियों को इस पावन पुनीत पर्व की हार्दिक बधाइयाँ " जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की रक्षाबंधन ना केवल हिन्दुओं का बल्कि इंसानियत का महत्वपूर्ण पर्व है, जो भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है. भारत के अलावा भी विश्व भर में जहाँ पर हिन्दू धर्मं के लोग रहते हैं, वहाँ इस पर्व को भाई बहनों के बीच मनाया जाता है. इस त्यौहार का आध्यात्मिक महत्व के साथ साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी है...,भाई बहन का यह त्यौहार प्रति वर्ष हिन्दू पचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की दैत्यों और देवताओं के मध्य होने वाले एक युद्ध में भगवान इंद्र को एक असुर राजा, राजा बलि ने हरा दिया था. इस समय इंद्र की पत्नी सची ने भगवान विष्णु से मदद माँगी. भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया. इस वलय को भगवान विष्णु ने पवित्र वलय कहा. सची ने इस धागे को इंद्र की कलाई में बाँध दिया तथा इंद्र की सुरक्षा और सफलता की कामना की. इसके बाद अगले युद्द में इंद्र बलि नामक असुर को हारने में सफ़ल हुए और पुनः अमरावती पर अपना अधिकार कर लिया. यहाँ से इस पवित्र धागे का प्रचलन आरम्भ हुआ. इसके बाद युद्द में जाने के पहले अपने पति को औरतें यह धागा बांधती थीं. इस तरह यह त्योहार सिर्फ भाइयों बहनों तक ही सीमित नहीं रह गया..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अगर असल मायने में इसे मनाना हैं तो इसमें से सबसे पहले लेन देन का व्यवहार खत्म करना चाहिये. साथ ही बहनों को अपने भाई को हर एक नारी की इज्जत करे, यह सीख देनी चाहिये. जरुरी हैं कि व्यवहारिक ज्ञान एवम परम्परा बढे तब ही समाज ऐसे गंदे अपराधो से दूर हो सकेगा..., आखिर में एक ही बात समझ आई की रक्षाबंधन का यह त्यौहार मनाना हम सभी के हाथ में हैं और आज के युवा वर्ग को इस दिशा में पहला कदम रखने की जरुरत हैं. इसे एक व्यापार ना बनाकर एक त्यौहार ही रहने दे. जरूरत के मुताबिक अपनी बहन की मदद करना सही हैं लेकिन बहन को भी सोचने की जरुरत हैं कि गिफ्ट या पैसे पर ही प्यार नहीं टिका हैं. जब यह त्यौहार इन सबके उपर आयेगा तो इसकी सुन्दरता और भी अधिक निखर जायेगी...! अपनी दुआओं में हमें याद रखें बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 प्रार्थना :उस परमपिता परमेश्वर से एक ही प्रार्थना🙏है की वैसे तो हमेशा के लिए ही पर कम से कम आज और कल इस रक्षाबंधन के पावन -पवित्र -पूजनीय पर्व पर कोई भी माँ -बहन -बेटी -बहू -किसी की इंसान रुपी जानवर की हैवानियत का शिकार ना बने .. 🙏 ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 "रक्षा बंधन पर केवल हमें अपनी ही नहीं अपितु हर स्त्री की रक्षा का