Find the Latest Status about छापरी कला का मौसम from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, छापरी कला का मौसम.
Mukesh Poonia
White हवाएं मौसम का रुख बदलती हैं और दुआएं मुसीबत का . ©Mukesh Poonia #cg_forest #हवाएं #मौसम का #रुख बदलती हैं और #दुआएं #मुसीबत का
BANDHETIYA OFFICIAL
कलम कला है,कलई भी खुल जाती है। सर कलम मौत हो, हो जीवन पेड़ कलम कटा, मरण -जनम की थाती है, कलई भी खुल जाती है। प्रमाण पत्र जनम का, प्रमाण पत्र मरण का, मृत्यु का जीवन का, कुंडली भी कुछ पाती है। सृजन किसे भाये, कौन दुश्मन, ये भी कलम की हस्ती यकीनन, सर, धड़, जड़, पकड़ ले धड़कन, जकड़ ले यम अकाल भी, अकाल मृत्यु आती हैं। ©BANDHETIYA OFFICIAL #कलम #कला है।
#कलम #कला है। #मोटिवेशनल
read moreGhanshyam Ratre
White गर्मी के मौसम में आसमान में घोर काले बादल छा रही है। ठंडी ठंडी हवा चल रही है झर -झर पानी गिर रही है।। ऐसा सुहाना मौसम है जो भीषण गर्मी से तन मन को रहात मिल रहा है। ©Ghanshyam Ratre मौसम
मौसम #विचार
read moreमुसाफिर
इस ठंड भरी एहसास के मौसम में तेरी यादों गर्म चादर है जिसमें हर शाम लिपट जाता हूं। ©मुसाफिर #मौसम
Adesh K Arjun
"मनुष्य ने चूहों से धन छुपाने की कला तो सीखी, परन्तु हाथी जैसे विशाल काय गणेश का भार उठा पाने की कला नहीं सीख सका. ©Adesh K Arjun कला
कला #Quotes
read moreKUNWA SAY
White दिल का दर्द छुपाने की कला बस एक है, रूख जाते हैं आँसु, उस वक़्त बिताने की कला बस एक है। ©KUNWA SAY #nightthoughts दिल का दर्द छुपाने की कला बस एक है, रूख जाते हैं आँसु, वक़्त बिताने की कला बस एक है।
#nightthoughts दिल का दर्द छुपाने की कला बस एक है, रूख जाते हैं आँसु, वक़्त बिताने की कला बस एक है।
read moreManish Raaj
कला ------ बहते आंसुओं को दरकिनार कर सब्र के साथ आगे बढ़ जाने की कला हर किसी को नहीं आती वाक़िफ-ए-तकलीफ़ से गुज़र क़ाबिल-ए-तारीफ़ से आगे निकल जाने की कला हर किसी को नहीं आती बंजर ज़मीं से हो कर लहलहाते खेतों बीच घरौंदा बनाने से ऊपर उठ जाने की कला हर किसी को नहीं आती मकां और मुक़ाम के सफ़र से हो कर किसी के दिल में पनाह पाने और रूह का सुकूं हो जाने की कला हर किसी को नहीं आती बेइमानों की बस्ती से हो कर ईमानदारों की महफ़िल से आगे बढ़ जाने की कला हर किसी को नहीं आती गरीबी से गुज़र अमीरों से आगे निकल जाने की कला हर किसी को नहीं आती जज़्बात की गिरफ्त से निकल जज़्बे को मिसाल बनाने की कला हर किसी को नहीं आती कल के सपनों को पिछे छोड़ अपने आज के आधार को आकार और धार देने की कला हर किसी को नहीं आती कविः मनीष राज ©Manish Raaj #कला