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Prabhat Tiwari
सुसि ग़ाफ़िल
सैकड़ों रेखाएं, अजीबोगरीब आकृतियां, त्रिभुज, वृत्ताकार, गोलाकार, समांतर चलती हुई ट्रेन की पटरी, षट्भुज, अजीबोगरीब सुनसान रास्ते, फूलों से सटे कमरे, कीचड़ से निकलते हवा के बुलबुले, खाली पड़े डब्बे, लाल आंखें, सुजा हुआ चेहरा, दीमक के घर, टेडी मेडी टहनियां, हृदय के बीच से गुजरती तरंगे, लाल कपड़ा, चमकती हुई बिजलियां इन सब को छोड़कर अटक जाता है मेरा मन एक बिंदु पर वह बिंदु मेरे माथे पर ठुकी कील के बिल्कुल नीचे है! मुझे महसूस होता है यहां पर जख्म का जन्म हुआ है | सैकड़ों रेखाएं, अजीबोगरीब आकृतियां, त्रिभुज, वृत्ताकार, गोलाकार, समांतर चलती हुई ट्रेन की पटरी, षट्भुज, अजीबोगरीब सुनसान रास्ते, फूलों से स
lalitha sai
खयाल.... जब हम मिले थे बहुत सारे बातें थी कहने को मगर चुप होगई थी उनको दिखते ही.. क्योँकि उस दिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था उनका कॉल आया जल्दी आओ बस
Kajal The Poetry Writer
समाज संबंधों का जाल हैं।। मूल्यों, विश्वास, लोकाचार का आवरण ये विशाल हैं। कोई कहे गोलाकार हैं, इसकी चाल,, कोई कहे सर्पाकार हैं।। जातिवाद को श्रीनिवास कहे समाज का हिस्सा,, अंबेडकर कहे विकार हैं।। बी आर चौहान बताए राजस्थान के गांव की महिमा,, वहीं शर्मिला रेंगे बताए क्या महिलाओं का अधिकार हैं।। मूल यही जाना हैं समाज का बनकर इसका हिस्सा,, बात नहीं कोई तुच्छ सी ना कहो इसे कोई पुराना किस्सा।। ये तो नवीन ज्ञान का शास्त्र हैं। जिसे सीखने का हर नागरिक पात्र हैं।। ये सरल इतना जैसे देखू बहता जल,, इतना जटिल भी प्रकृति से, जो नियम आज बने, शायद ही उपयोगी होंगे कल।। शोध का एक अनूठा भंडार हैं।। सब जाना परखा पहचाना सा इस समाजशास्त्र का व्यवहार हैं।। ©KAJAL The poetry writer समाज संबंधों का जाल हैं। मूल्यों, विश्वास, लोकाचार का आवरण ये विशाल हैं। कोई कहे गोलाकार हैं, इसकी चाल,, कोई कहे सर्पाकार हैं। जातिवाद को श्
vishnu prabhakar singh
पाठक पात्र हुए! (कृपया, मेरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) मिट्टी अन्न पेड़ मेरे शब्द हैं मै अक्सर लिखकर भूल जाता हूँ कई कई दिनों तक पलटता तक नहीं महीनों पहले मै धान लिख रहा था
lalitha sai
मेरी सोणाची नथनी... ❤️❤️ Read caption.... 👇 मेरी सोणाची नथनी... मुझे याद दिलाती है... मुझे.. मैं पास होने का एहसास... मेरी सोणाची नथनी... मुझे याद दिलाती है... मेरी अनगिनत खुशियों के
Jyotshna Rani Sahoo
उन्हें मिलना था जो दिखता है होता नहीं भाग - ३ समापीका की बहती आसुं रफ़्तार बढ़ा दी।अब उसे पता नहीं था उसका कारण।कोई इतना सारा दर्द को सीने में दबाकर बेफिक्र बरताव करना उसका अद्भुत शक्ति