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PURAN SINGH
Unsplash किसने कहा हमें आपकी याद नहीं आती आपको ना सोचें ऐसी कोई रात नहीं जाती वक्त बदल जाता है आदतें नहीं जाती आप खास हो ये बात सबको कहीं नहीं जाती ©PURAN SINGH #lovelife 💕काली को रंग मिल 💕 🌻फूलों को निखार मिला🌹 🌻बहुत खुश नसीब हूं मैं ❤️ ❣️जो मुझे तेरे जैसा यार मिला❤️
#lovelife 💕काली को रंग मिल 💕 🌻फूलों को निखार मिला🌹 🌻बहुत खुश नसीब हूं मैं ❤️ ❣️जो मुझे तेरे जैसा यार मिला❤️
read moreGoluBabu
हर हर महादेव #राधास्वामीपंथ_का_महाखुलासा क्या राधास्वामी पंथ में दिए जाने वाले मंत्र काल के मुख में पहुंचाने वाले हैं? हो जाओ सावधान! और दे
read moreनवनीत ठाकुर
"शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद, माथे पे चंद्र, गले में विष, त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष। कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल, महादेव हैं सृष्टि के आदि और अंत का आधार। अर्धनरेश्वर रूप, जहां शक्ति संग विराज, गले में सर्प, हाथों में त्रिशूल का राज। वृत्रासुर संहारी, करुणा के सागर, शिव की महिमा में जग गाता है जैकार।" ©नवनीत ठाकुर #शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद, माथे पे चंद्र, गले में विष, त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष। कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल, महादेव
#शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद, माथे पे चंद्र, गले में विष, त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष। कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल, महादेव
read moreSlumdog Entertainment
वरिष्ठ पत्रकार कालिदास पांडे के सुपुत्र का विवाह संपन्न l Slumdog Entertainment Latest Update
read moreSwati kashyap
White काल का इक चक्र चला और जीवन बदला मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर आंसू के अस्त्र नही लेकर..मन में साहस तलवार लिए दहलीज़ लांघकर चल दी मैं, कांटों को दर किनार किए और मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर आंधी आयी, तुफ़ां आये.. मझधार खड़ी पर रुकी नहीं धूप में तन काला किया, पर माथे पर कोई शिकन नहीं और मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर ख़ुद में मनु को देखूं मैं, मन को बंधन मुक्त किया निडर अकेली डंटी रही, और आंसू धोकर पी गयी और मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर ना साथी, ना संगी कोई.. खुद को ही सखी बना लिया कलम का हाथ पकड़कर मैंने.. दुख के बोझ को पार किया और मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर ये साहस कहां से ढूंढ़ लाई.. इसकी आज भी ख़बर नहीं छिपी बैठी थी घर में कहीं.. वो हिम्मत कहां से ले आयी और मैं निकल पड़ी.. कर्म पथ पर .. ©Swati kashyap #कालचक्र
संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित अनुवाद सहित शीर्षक विचित्रः प्रतिद्वन्द्वी . . विधा गहन विचार भाव वास्तविक
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